गन्ने में लग जाए कीट तो ऐसे करें प्रबंधन एक्सपर्ट ने बताया तरीका

डॉ. नीलम कुरील ने बताया कि गन्ने के लिए मिली बग, रस चूसक कीट, पत्तियां कुतरने वाला टिड्डा और आर्मी वर्म बेहद खतरनाक है. इसको नियंत्रित करने के लिए 5 लीटर क्लोरो पायरीफॉस 20 ईसी 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव कर दें या 750 ml रॉकेट 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं.

गन्ने में लग जाए कीट तो ऐसे करें प्रबंधन एक्सपर्ट ने बताया तरीका
शाहजहांपुर. सितम्बर के मौसम में गन्ने की फसल को कई तरह के कीट चपेट में लेते हैं. यह कीट पत्तियों को कुतरने के साथ-साथ रस चूसते हैं. पत्तियों का रंग पीला पड़ने लगता है. पत्तियों का रंग पीला पड़ने के बाद प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है. पत्तियां भोजन बनाना बंद कर देती है. जिसका सीधा असर करने के पौधे पर पड़ता है. पौधा कमजोर होकर मर जाता है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है. जरूरी है कि ऐसे कीटों का समय पर उपचार किया जाए. मिली बग हो सकता है घातक उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान में तैनात कृषि वैज्ञानिक डॉ. नीलम कुरील ने बताया कि इन दिनों गन्ने की फसल में रस चूसने वाले कीट के अलावा पत्तियों को कुतरने वाले कीट भी फसल को चपेट में ले रहे हैं. जिनका समय पर समाधान हो जाना बेहद जरूरी है. गन्ने की फसल में रस चूसक कीट मिली बग, पत्तियां कुतरने वाला टिड्डा और आर्मी वर्म बरसात के मौसम में प्रभावी हो जाते हैं. जिनकी रोकथाम बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि गन्ने में पोरी बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मिली बग कीट गन्ने की गांठों पर चिपक कर रस चूसना शुरू कर देता है. इसके बाद पौधा धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है. पत्तियां काली पड़ने लगती है. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है और पौधा नष्ट हो जाता है. ऐसे करें कीट का नियंत्रण डॉ. नीलम कुरील ने बताया कि गन्ने की में पत्तियों को कुतरने वाले टिड्डा और आर्मी वर्म भी फसल को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीट धीरे-धीरे पत्तियों को कुतर देते हैं और पौधा पर्याप्त मात्रा में भोजन ग्रहण नहीं कर पाता है. इसके बाद पौधा कमजोर होकर सूख जाता है. उन्होंने बताया कि रस चूसक और पत्ती को कुतरने वाले कीटों का समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. अन्यथा यह फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. नियंत्रण करने के लिए 5 लीटर क्लोरो पायरीफॉस 20 ईसी 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव कर दें या 750 ml रॉकेट 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा इमिडा क्लोप्रिड नाम का कीटनाशक 200 ml 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. यदि छिड़काव के बाद बारिश हो जाए और दोबारा से कीट दिखने लगे तो 20 से 25 दिन का अंतराल रखते हुए कीटनाशक का छिड़काव कर देना चाहिए. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Sugarcane Farmers, UP newsFIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 11:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed