नौकरी छोड़ किसान ने शुरू की इस तकनीक से खेती लाखों की हो रही कमाई
नौकरी छोड़ किसान ने शुरू की इस तकनीक से खेती लाखों की हो रही कमाई
बाराबंकी जिले के पलहरी गांव के रहने वाले किसान आनंद मौर्या ने पांच साल पहले 2 बीघे में मेंथा मक्का की खेती की शुरुआत की. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. आज वह करीब एक एकड़ से ज्यादा की जमीन पर मेंथा मक्का की खेती कर रहे हैं.
संजय यादव/ बाराबंकी: देश के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ उन फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनसे कम लागत में तगड़ा मुनाफा होता है. कई किसान एक ही खेत में एक साथ कई तरह की फसलों की पैदावार कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. जिसे सहफसली खेती कहा जाता है. जिले के कई किसान मेंथा, मक्का की सहफसली खेती एक ही खेत मे कर रहे हैं. उनका मानना है कि मेंथा के खेत में मक्का की खेती बहुत ही आराम से हो जाती है. जिससे हम उन्हें डबल मुनाफा हो रहा है और लागत भी बेहद कम आ रही है.
लाखों की हो रही है कमाई
वहीं जिले के एक किसान मेंथा और मक्का की सहफ़सली की खेती लंबे समय से कर रहा है. जिससे वो लाखों रुपए मुनाफा कमा रहा है. बाराबंकी जिले के पलहरी गांव के रहने वाले किसान आनंद मौर्या ने पांच साल पहले 2 बीघे में मेंथा मक्का की खेती की शुरुआत की. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. आज वह करीब एक एकड़ से ज्यादा की जमीन पर मेंथा मक्का की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें 3 से 4 लाख रुपए प्रतिवर्ष मुनाफा हो रहा है.
कम लागत में होता है दोगुना मुनाफा
सह फसली की खेती करने वाले किसान आनंद मौर्या ने बताया कि पढ़ाई करने के बाद वह प्राइवेट नौकरी करने लगे. जिसमें उन्हें 15 से 18 हजार रुपए महीने मिलते थे. लेकिन उससे घर का खर्च चलाना मुश्किल था. फिर उन्होंने अपनी पैतृक जमीन पर खेती करने की ठानी. जिसमें उन्होंने साग सब्जियों की खेती शुरू की. जिसमें उन्हें अच्छा लाभ हुआ. आज वह करीब 1 एकड़ से ज्यादा जमीन पर सह फसली तकनीक अपना कर मेंथा मक्का की खेती कर रहे हैं. जिसमें लागत बहुत कम आती है. खर्च एक फसल पर करके दो फसलों का लाभ मिल जाता है. इस समय मक्के की खेती तैयार है और मक्का निकल भी रहा है. उन्होंने बताया कि इस विधि से खेती में एक बीघे में करीब 8 से 10 हजार रुपये की लागत आती है. इन फसलों में हम जैविक खाद का छिड़काव करते हैं.जिससे फसल की अच्छी पैदावार होने के साथ आय भी दोगुनी होती है.
कैसे होती है सहफसली की खेती
सह फसली की खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की जुताई की जाती है. उसके बाद खेत समतल करके उसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मेड बना देते हैं. उन मेडों पर हम मक्का की बुवाई करते हैं और समतल वाली जमीन पर मेंथा की रोपाई करवाई जाती है. जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है, तब इसमें हम जीवा अमृत का छिड़काव करते हैं. जिससे मेंथा और ज्वार की अच्छी पैदावार होने के साथ दोनों फसलें एक साथ तैयार हो जाती हैं. जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 9, 2024, 09:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed