मार्शल आर्ट में एक्सपर्ट54 गोल्ड मेडल शख्स की स्थिति देख छलक पड़ेंगे आंसू
मार्शल आर्ट में एक्सपर्ट54 गोल्ड मेडल शख्स की स्थिति देख छलक पड़ेंगे आंसू
Saharanpur News: राजेश आर्य बताते हैं कि इतने सारे मेडल उनका एक जुनून था, जो आज खत्म हो चुका है. अंतरराष्ट्रीय स्तर तक गोल्ड मेडल हासिल कर आज यह सभी मेडल घर के विभिन्न कोनों में कूड़े के ढेर की तरह पड़े हैं. राजेश आर्य को इतनी उम्मीद नहीं थी कि उनका यह जुनून आज उनको इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देगा.
अंकुर सैनी /सहारनपुर: हर एक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल जीत अपने देश का नाम रोशन करें. ऐसा ही एक खिलाड़ी सहारनपुर का भी है, जो देश भक्ति में चूर देश की पुरानी शाओलिन कुंग फू को वापस भारत में लाने और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा करने के लिए दिन रात एक कर देता था. लेकिन आज वह खिलाड़ी पूरी तरह से टूट चुका है. और मात्र ढाई से 3 फीट की दुकान चला रहा है.
हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के रहने वाले राजेश आर्य की, जिन्होंने 9 साल की उम्र से ही कुंग फू कराटे सीखना शुरू कर दिया था. राजेश आर्य के अंदर कुंग फू कराटे, मार्शल आर्ट सीखने का जुनून इस कदर था कि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 47 गोल्ड मेडल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 7 गोल्ड मेडल भी हासिल किए. जबकि, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल की गिनती नहीं है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम कई बार रोशन कर चुके राजेश आर्य आज गुमनाम की जिंदगी जी रहे है.
मार्शल आर्ट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडलिस्ट
राजेश आर्य ने सहारनपुर के गुरु नानक इंटर कॉलेज से 12th किया है. डेढ़ वर्ष पूर्व पत्नी की मौत हो जाने के बाद राजेश आर्य ने अपने घर का खर्च चलाने के लिए छोटी सी दुकान शुरू की. राजेश आर्य के एक बेटी और एक बेटा है. राजेश आर्य का बेटा और बेटी भी मार्शल आर्ट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडलिस्ट है. राजेश आर्य ने सरकार द्वारा चलाई जा रही मुहिम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत 3316 स्कूलों में 3 लाख से अधिक महिलाओं व लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर भी सिखाए.
कूड़े की तरह पड़े हैं मेडल्स
राजेश आर्य बताते हैं कि इतने सारे मेडल उनका एक जुनून था, जो आज खत्म हो चुका है. अंतरराष्ट्रीय स्तर तक गोल्ड मेडल हासिल कर आज यह सभी मेडल घर के विभिन्न कोनों में कूड़े के ढेर की तरह पड़े हैं. राजेश आर्य को इतनी उम्मीद नहीं थी कि उनका यह जुनून आज उनको इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देगा कि जीविका चलाने के लिए उनको छोटी सी दुकान चलानी पड़ेगी. राजेश आर्य का कहना है कि एजुकेशन कम और समाज में पिछड़ापन उनके कार्य में सबसे ज्यादा आड़े आया.
मेडल देखकर रो पड़ते हैं राजेश
राजेश आर्य आज भी अपने मेडल को देखकर रो पड़ते हैं. उनका कहना है कि इन मेडल्स को देखकर दिल का दर्द बाहर आने लगता है. और आंखों से आंसू छलक जाते हैं. राजेश आर्य ने सभी खिलाड़ियों को खेल के साथ-साथ एजुकेशन में भी मजबूत होने की अपील की है. अन्यथा खिलाड़ी किसी भी ऊंचाइयों को छू ले बिना एजुकेशन के एक दिन सारी मेहनत कूड़े का ढेर बन जाएगा. राजेश आर्य का कहना है कि एक समय गुजारने के बाद सरकार के द्वारा पुराने खिलाड़ियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. वहीं अगर कोई प्रतिभा गली के नुक्कड़ से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है, तो उसकी और सरकार को ध्यान देना चाहिए.
Tags: Local18, Saharanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 10:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed