यहां बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम! होंगी 5 स्टार होटल जैसी सुविधा
यहां बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम! होंगी 5 स्टार होटल जैसी सुविधा
Saddhavna Old Age Home: सद्भावना वृद्धाश्रम राजकोट में 300 करोड़ की लागत से बन रहा दुनिया का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम है. यह बेसहारा बुजुर्गों और जानवरों को आश्रय, 5-स्टार सुविधाएं और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है.
राजकोट: सद्भावना वृद्धाश्रम बुजुर्गों के लिए आखिरी दिनों में सहारा बन रहा है. आपको बता दें कि, राजकोट-जामनगर हाईवे पर 5000 बुजुर्गों के रहने के लिए एक बड़ा सद्भावना वृद्धाश्रम बनाया जा रहा है. माना जा रहा है कि यह वृद्धाश्रम दुनिया का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम होगा, तो आज की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि सद्भावना वृद्धाश्रम की शुरुआत कब हुई थी और तब से लेकर 5 स्टार होटल जैसी इमारत बनने तक की क्या कहानी है.
हाल ही में सद्भावना वृद्धाश्रम द्वारा मोरारी बापू की रामकथा का आयोजन किया गया था. पेड़ और बुजुर्गों के लिए आयोजित मोरारीबापू की रामकथा के 7 दिनों के दौरान सद्भावना वृद्धाश्रम को 60 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान मिला है. फिर भी अगले 8-10 दिनों में 10 करोड़ से ज्यादा का योगदान देखने को मिल रहा है. राजकोट-जामनगर राजमार्ग पर सद्भावना वृद्धाश्रम प्रोजेक्ट के भूमिपूजन होने के अवसर पर 60 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ था. यानी 300 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट में अब तक कुल योगदान 120 करोड़ से ज्यादा आ चुका है.
भविष्य के लिए 150 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य
सद्भावना वृद्धाश्रम का लक्ष्य पूरे भारत में 150 करोड़ पेड़ लगाना भी है. हर कोई उनके मिशन में भागीदार बन रहा है. राम कथा के दौरान पूरे भारत में पेड़ लगाने का संकल्प किया गया है. सद्भावना वृद्धाश्रम का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में इस मिशन को पूरा करना है. सद्भावना वृद्धाश्रम बेसहारा बुजुर्गों, आवारा कुत्तों और आवारा बैल का घर है. यहां बुजुर्गों के साथ-साथ असहाय, आवारा और बीमार कुत्तों और बैलों की भी वृद्धाश्रम द्वारा अच्छी सेवा की जाती है. सद्भावना वृद्धाश्रम वर्तमान में कई लोगों की सेवा कर रहा है. यहां रहने वाले बुजुर्गों की इस तरह सेवा की जा रही है कि, उन्हें घर की याद ही नहीं आती.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सद्भावना वृद्धाश्रम की शुरुआत किसने की और क्यों की गई? सद्भावना वृद्धाश्रम की शुरुआत 10 साल पहले राजकोट के विजयभाई डोबरिया ने की थी. यहां उन लोगों को विशेष आश्रय दिया जाता है, जो बीमार, कैंसर, लकवाग्रस्त या बुजुर्ग हैं जिनको कोई सेवा नहीं मिलती. 2014 से सद्भावना वृद्धाश्रम की शुरुआत हुई. आज दस साल बाद इस वृद्धाश्रम में 600 बुजुर्ग हैं. इन 600 बुजुर्गों में से 200 बुजुर्ग पूरी तरह से बिस्तर पर हैं.
आपको बता दें कि राजकोट-जामनगर रोड पर 300 करोड़ रुपये की लागत से सद्भावना वृद्धाश्रम बनाया जा रहा है. इस वृद्धाश्रम में 5 हजार से ज्यादा वृद्धों को रखने की व्यवस्था की गई है. सद्भावना वृद्धाश्रम की नींव रखने वाले विजयभाई डोबरिया ने कहा, ”बिल्डिंग में कुल 1400 कमरे होंगे, जिनमें 5 हजार से ज्यादा बुजुर्गों की देखभाल की जाएगी. कुल 7 इमारतों का निर्माण किया जाएगा, इमारत में 11 मंजिलें होंगी और इस एक इमारत में 700 वरिष्ठ नागरिक रह सकेंगे. विजयभाई कहते हैं, ”फिलहाल एक बिल्डिंग का काम पूरा हो रहा है और 1 अप्रैल से उस बिल्डिंग में बुजुर्गों को रखने की व्यवस्था भी शुरू हो जाएगी.”
उन्होंने आगे कहा, ”इस वृद्धाश्रम में सभी बुनियादी सुविधाएं तैयार की गई हैं. एक कमरा 500 वर्ग फीट का बना है. इस एक कमरे में केवल 4 व्यक्ति के रहने के लिए बनाया गया है. एक कमरे में 4 बेड, सोफ़ा और अलमारी होंगी. हवादार कमरों के साथ-साथ बुजुर्गों के लिए एक बगीचा भी बनाया गया है. बता दें कि, सात बिल्डिंग्स का निर्माण किया जा रहा है. एक इमारत में 700 बुजुर्गों के रहने की व्यवस्था की गई है. प्रत्येक इमारत में 192 कमरे हैं. इस वृद्धाश्रम के हर कमरे में 5 सितारा होटल जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.”
विजयभाई डोबरिया ने कहा, “एक इमारत अभी पूरी हो रही है, जबकि दूसरी इमारत अगले 1 साल में पूरी हो जाएगी. वृद्धाश्रम में प्रसाद भवन और ऑडिटोरियम भी तैयार होगा. ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि हर साल 2 भवन तैयार हों. पूरा प्रोजेक्ट अगले 5 साल में पूरा हो जाएगा. भवन के भूतल पर बुजुर्गों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए एक आरोग्य भवन का भी निर्माण किया गया है, जो वर्तमान में पूरा होने वाला है. इसके साथ ही बुजुर्गों को बीमारी के दौरान भर्ती करने की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें डॉक्टरों की एक टीम 24 घंटे मौजूद रहती है.”
सद्भावना वृद्धाश्रम द्वारा बुजुर्गों के साथ-साथ असहाय, आवारा और बीमार कुत्तों और बैलों की अच्छी सेवा की जाती है. विजयभाई डोबरिया कहते हैं, ”हर जगह कई गौशालाएं हैं. जो बहुत अच्छा भी है. लेकिन हम नई गौशाला खोलकर प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहते थे, बल्कि हम सेवा करना चाहते थे, इसलिए हमने बैलों के लिए एक आश्रम खोलने का फैसला किया.’ इसके पीछे कारण यह है कि, बैल ने जीवन भर काम किया है. चूँकि पहले के ज़माने में ट्रैक्टर नहीं होते थे, काम बैलों से होता था, इसलिए हमने इन बैलों की सेवा के लिए एक बैल आश्रम शुरू किया है.” विजयभाई कहते हैं, ”इस बैल की वजह से ही हम यहां तक पहुंचे हैं क्योंकि बैल किसानों का साथी रहा है. इसलिए हमने इन बैलों की सेवा करने का फैसला किया और एक बैल आश्रम शुरू किया.”
इस बैल आश्रम में 500 से अधिक बैलों की सेवा की जा रही है. पहले चरण में 1600 बैलों को आजीवन आश्रय देकर उनकी देखभाल करने की प्रतिज्ञा ली है. जैसे गायों के लिए गौशाला चलाई जाती है, वैसे ही अब राजकोट के सद्भावना वृद्धाश्रम ने बैलों के लिए आश्रम खोलकर समाज को नई प्रेरणा दी है. इस आश्रम की शुरुआत 30 से 40 बैलों से की गई थी. हालांकि, वर्तमान में बैलों की संख्या 500 से अधिक है. यह आश्रम बीमार बैलों की सेवा करता है. बैलों को भरपेट खाने-पीने को नहीं मिलता. खाने के लिए कहीं भी मुंह देखना पड़ता है. बैल जीवन भर किसानों के खेतों में काम करते हैं और बाद में बूढ़े होने पर उन्हें बाहर धकेल दिया जाता है, ऐसे बैलों की सद्भावना बैल आश्रम द्वारा सेवा की जा रही है.
विजयभाई ने कहा, “सद्भावना वृद्धाश्रम ने गुजरात के हर गांव के सरपंचों से अपील की है कि, अगर कोई ऐसा बेसहारा बैल ध्यान में आए जो बीमार, विकलांग या परेशान हो तो कृपया उसे सद्भावना वृद्धाश्रम या सद्भावना बैल आश्रम में ले आएं.” आप बस ऐसे बैलों को हमारे आश्रम में पहुंचा दीजिए और यह आश्रम उनकी सेवा करेगा.” बैल आश्रम के साथ-साथ सद्भावना श्वान आश्रम भी खोला गया है. जहां चल नहीं सकते, खड़े नहीं हो सकते, लकवाग्रस्त, कमर टूटी, फ्रैक्चर वाले, अंधे विकलांग श्वानों को यहां स्थायी रूप से आश्रय दिया जाता है. साथ ही यहां डॉक्टरों की एक टीम भी काम कर रही है, ताकि श्वानों का इलाज किया जा सके. सद्भावना श्वान आश्रम में श्वानों के लिए टीकाकरण, ऑपरेशन थिएटर समेत कई सुविधाएं हैं.
सद्भावना वृद्धाश्रम बुजुर्गों के संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण और रक्तदान शिविर का कार्य भी संचालित करता है. सद्भावना वृद्धाश्रम का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 150 करोड़ से अधिक पेड़ लगाना और उनका पोषण करना है. सद्भावना वृद्धाश्रम के ट्रस्टी विजयभाई कहते हैं, “अगर कोई हवाई जहाज ऊपर से उड़ान भरता है तो उसे भी पता होना चाहिए कि यह भारत है.” सद्भावना वृद्धाश्रम भारत को हरित भारत बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है. विजयभाई कहते हैं, “200 साल में एक बार पेड़ लगाना पड़ता है. एक बार पीपल का पेड़ लगाने पर 200 साल तक पेड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ती. राजकोट में 1 लाख पेड़ लगाने के बाद आपको 200 साल तक पेड़ लगाने की जरूरत नहीं है.” इसी विचार के साथ विजय भाई ने वृक्षारोपण का कार्य अपने गांव से प्रारंभ किया.
पिछले 10 वर्षों की उपलब्धियां
विजयभाई ने 5 जून 2014 से अपने गांव यानी पदधारी तालुका के फतेपुर गांव से वृक्षारोपण की शुरुआत की. पिछले 10 वर्षों में सद्भावना वृद्धाश्रम द्वारा 30 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं. सद्भावना वृद्धाश्रम में वर्तमान में 400 ट्रैक्टर, 400 पानी के टैंकर और 1600 कर्मचारियों का स्टाफ है. जो कर्मचारी एक भी पेड़ को सूखने नहीं देते. विजयभाई का लक्ष्य है, “निकट भविष्य में हमारे पास 1000 ट्रैक्टर, 1000 पानी के टैंकर और 5000 कर्मचारियों का स्टाफ होगा.” अगले 5 वर्षों में 150 करोड़ से अधिक पेड़ लगाकर पूरे भारत को हरा-भरा बनाने का लक्ष्य है.
(रिपोर्ट – मुस्तफा लाकड़ावाला, राजकोट)
Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 16:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed