कब धुले जाते हैं एसी कोच के चादर और कंबल रेलवे ने खुद कबूली सच्चाई
कब धुले जाते हैं एसी कोच के चादर और कंबल रेलवे ने खुद कबूली सच्चाई
Indian Railway : ट्रेन में सफर करने वालों के मन में एक सवाल अक्सर आता है कि उन्हें एसी बोगी में मिलने वाले चादर-तकिये और कंबल साफ हैं या नहीं. आपके इस सवाल का जवाब रेलवे ने खुद दिया है और सच्चाई जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.
हाइलाइट्स रेलवे ने आरटीआई के तहत जवाब भेजा है. इसमें बताया कि कंबल-चादर कब धुलते हैं कंबल की धुलाई महीने में एक बार होती है.
नई दिल्ली. ट्रेन में सफर तो आपने भी खूब किया होगा और खासकर एसी बोगी में. हर ट्रेन में एसी की बोगियां भी खूब लगी होती हैं और इसमें यात्रियों को सुविधा भी काफी मिलती है. लेकिन, एसी बोगी में मिलने वाली इन सुविधाओं को लेकर रेलवे ने एक खुलासा किया है, जिसे सुनकर आप सकते में पड़ जाएंगे. सालों से इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे यात्रियों का सारा भ्रम इस कबूलनामे से खत्म हो जाएगा. भारतीय रेलवे ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत खुद यह बात कबूली है, जो एसी बोगी में मिलने वाले बिस्तर से जुड़ी हुई है.
जब आप एसी बोगी में सफर करते हैं तो हर सीट पर आपको बाकायदा ब्राउन कलर के बड़े से लिफाफे में चादर, तकिये और कंबल उपलब्ध कराए जाते हैं. इसे आप न सिर्फ शीट पर बिछाते हैं, बल्कि एसी की ठंडक से बचने के लिए कंबल को ओढ़ते भी होंगे. अब चादर-तकिये तो सफेद रंग के होते हैं, जिसे देखते ही आपको पता चल जाता है कि यह साफ-सुथरे और धुले हुए हैं. लेकिन, कंबल का रंग या तो काला होता है या फिर गहरे भूरे रंग का होता है. इन्हें देखने से आपको यह पता नहीं चल पाता कि इनकी धुलाई हुई है या फिर नहीं. अब आपकी इस कंफ्यूजन को रेलवे ने दूर कर दिया है.
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कब धुले जाते हैं चादर-कंबल
इंडियन एक्सप्रेस ने एक आरटीआई के हवाले से बताया है कि रेलवे हर बार यूज किए जाने के बाद चादर और तकिये के कवर को धुलकर ही दोबारा इस्तेमाल के लिए यात्रियों को देता है. यह जानकर आपको निश्चित रूप से बहुत अच्छा लगा होगा. लेकिन, असली बात तो कंबल में छुपी है. रेलवे ने आगे बताया कि कंबल की धुलाई महीने में एक ही बार की जाती है. जी, सहा पढ़ा आपने. जिस कंबल से आप बेधड़क अपना मुंह ढककर सो जाते हैं, उसकी धुलाई महीने में एक बार या कभी कभार दो बार ही की जाती है.
क्या अलग से लगता है इनका पैसा
रेलवे से जब यह पूछा गया कि इन चादर-तकिये और कंबल के लिए क्या यात्रियों से अलग से पैसा वसूला जाता है तो रेलवे ने साफ कहा कि इनकी लागत भी टिकट के किराये में जुड़ी होती है. सिर्फ गरीब रथ और दुरंतो जैसी ट्रेनों में ही यात्रियों को बेडशीट और कंबल का अलग से विकल्प दिया जाता है, जिसके लिए उन्हें कुछ शुल्क का भुगतान भी करना पड़ता है. रेल मंत्रालय के इनवॉयर्नमेंट एंड हाउसकीपिंग मैनेजमेंट विभाग के सेक्शन ऑफिसर रिशु गुप्ता ने बताया कि दुरंतो जैसी ट्रेनों में इन सामानों की सफाई के लिए बाकायदा मानक का पालन किया जाता है.
क्या होता है हर सफर के बाद
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने आरटीआई के जवाब में बताया कि ट्रेन की हर ट्रिप के बाद बेडशीट और तकिये के कवर को लॉड्री में धुलने के लिए भेज दिया जाता है, जबकि कंबल को फोल्ड करके कोच में ही स्टोर कर दिया जाता है. अगर यह काफी गंदा है और इसमें से बदबू आती है तो कंबल को भी धुलाई के लिए भेज दिया जाता है. कंबलों की धुलाई तभी होती है, जब इसमें कोई दाग-धब्बे लग जाते हैं या फिर बदबू आने लगती है. साल 2017 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया था. कैग ने अपनी जांच में बताया था कि कंबलों की धुलाई कई बार तो 6-6 महीने पर की जाती है.
Tags: AC Trains, Business news, Indian railway, Indian Railway newsFIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 13:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed