अमेरिकी कंपनियां योग्यता देखकर नहीं शोषण के लिए चुनती हैं भारतीय प्रतिभाएं!
India vs America : भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी विवेक रामास्वामी ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने अमेरिकी इंजीनियरों के बजाय भारतीय अथवा अन्य विदेशी इंजीनियर भर्ती किए जाने की वजह टैलेंट में कमी को बताया तो एक अमेरिकी नागरिक ने आंखें खोलने वाली सच्चाई उजागर की.
अमेरिका का INA कानून
अमांडा ने विवेक के ट्वीट पर रिप्लाई किया कि अमेरिका का INA कानून स्पष्ट रूप से नियोक्ताओं को योग्य अमेरिकी श्रमिकों को हटाने से रोकता है, जिसमें सांस्कृतिक अंतर जैसी विषयगत वजहें भी शामिल हैं. यदि कंपनियां अमेरिकियों को इसलिए नजरअंदाज कर रही हैं, क्योंकि वे मानती हैं कि विदेशी इंजीनियरों का ‘बेहतर कार्य नैतिकता’ श्रेष्ठ है, तो वे संघीय कानून का उल्लंघन कर रही हैं. आपका इसका समर्थन करके कंपनियों को H-1B और PERM जैसे वीजा कार्यक्रमों का दुरुपयोग जारी रखने के बहाने दे रहे हैं.
टैलेंट नहीं शोषण है वजह
अमांडा ने लिखा कि अमेरिकी कंपनियों में विदेशी इंजीनियरों की प्राथमिकता लागत और नियंत्रण से प्रेरित है, न कि सांस्कृतिक श्रेष्ठता से. नियोक्ता अक्सर अस्थायी वीजा धारकों को इसलिए नियुक्त करते हैं, क्योंकि वे उन्हें कम वेतन दे सकते हैं, उनके रोजगार की शर्तों में हेरफेर कर सकते हैं और उनके वीजा की स्थिति का उपयोग वेतन और कार्य स्थितियों को दबाने के लिए कर सकते हैं. जाहिर है कि यह योग्यता पर आधारित नहीं है, बल्कि कॉर्पोरेट शोषण है जो अमेरिकी और विदेशी दोनों श्रमिकों को कमजोर करता है.
Vivek, your assertion that “native” Americans are overlooked for top tech positions due to cultural mediocrity is not only dismissive and oversimplified it’s an indirect acknowledgment of illegal practices under U.S. law. By framing this as a cultural issue, you inadvertently…
— Alb (@amandalouise416) December 26, 2024
अमेरिकी टैलेंट साबित करने की जरूरत नहीं
अमंडा के अनुसार, अमेरिका लंबे समय से प्रौद्योगिकी और नवाचार में वैश्विक नेता रहा है. स्टीव जॉब्स, ग्रेस हूपर, कैथरीन जॉनसन और इनके जैसे अनगिनत अन्य आइकन इसी संस्कृति से उभरे हैं, जिसकी आप आलोचना कर रहे हैं. आपकी राय शोषण को सक्षम बनाती है, जो अमेरिकी संस्कृति को दोष देकर, आप कंपनियों को अमेरिकी श्रमिकों को हटाने और INA का उल्लंघन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. नियोक्ताओं को उनके वीजा कार्यक्रमों के शोषण के लिए जिम्मेदार ठहराने के बजाय, आप दोष अमेरिकी परिवारों, छात्रों और कामगारों पर डाल रहे हैं, जो इन प्रथाओं से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.
वीजा योजनाओं की आलोचना
अमांडा ने कहा कि H-1B और PERM कार्यक्रमों का व्यापक दुरुपयोग अमेरिकी कामगारों पर विनाशकारी प्रभाव डाल चुका है. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य तब श्रम की कमी को पूरा करना था जब कोई योग्य अमेरिकी कामगार उपलब्ध नहीं हो, न कि उन्हें बदलना. इन अवैध प्रथाओं को सांस्कृतिक तर्कों से मान्यता देकर, आप उसी नुकसान को बढ़ावा दे रहे हैं जिसे ये कार्यक्रम रोकने के लिए बनाए गए थे.
कानून से हो रहा खिलवाड़
अमांडा की मानें तो INA को अमेरिकी कामगारों के साथ निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था. कंपनियों को सांस्कृतिक कमियों के बहाने योग्य अमेरिकी नागरिकों को बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. नियोक्ताओं को उन भर्ती प्रथाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जो कानून का उल्लंघन करती हैं और अमेरिकी कामगारों को निराधार आलोचना नहीं, बल्कि सुरक्षा मिलनी चाहिए.
क्या बोला था विवेक ने
विवेक रामास्वामी ने एक्स पर ट्वीट किया था कि बड़ी तकनीकी कंपनियों अमेरिकी इंजीनियरों को प्राथमिकता क्यों नहीं देती हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए उनका आईक्यू कम नहीं है, बल्कि औसत दर्जे को उत्कृष्टता पर प्राथमिकता देने के कल्चर की कमी है. यह कॉलेज में शुरू नहीं होता, यह बचपन से शुरू होता है. एक संस्कृति जो प्रोम क्वीन को गणित ओलंपियाड चैंपियन पर, या जॉक को वैलेडिक्टोरियन पर प्राथमिकता देती है, वह सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरों का उत्पादन नहीं करेगी. एक संस्कृति जो ‘बॉय मीट्स वर्ल्ड’ के कोरी, ‘सेव्ड बाय द बेल’ में जैक और स्लेटर को स्क्रीच पर, या ‘फैमिली मैटर्स’ में ‘स्टेफन’ को स्टीव उर्कल पर प्राथमिकता देती है, वह सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरों का उत्पादन नहीं करेगी. इसके बजाय उत्कृष्ट प्रतिभा पैदा करने पर जोर दिया जाना चाहिए.
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