सभी तीर्थों का तीर्थ है धर्म नगरी चित्रकूट जानें इसके पीछे की पौराणिक कहानी

जब माघ मेले में अन्य तीर्थों की तरह चित्रकूट तीर्थ प्रयागराज नहीं पहुंचे. तब प्रयागराज को चित्रकूट की उच्चतम पदवी के बारे में बताया गया और प्रयागराज से अपेक्षा की गई कि वे चित्रकूट जाएं. मान्यता है कि प्रयागराज प्रत्येक वर्ष पयस्वनी में स्नान करके अपने पापों को धोने के लिए आते हैं.

सभी तीर्थों का तीर्थ है धर्म नगरी चित्रकूट जानें इसके पीछे की पौराणिक कहानी
चित्रकूट /विकाश कुमार: धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है. क्योंकि वनवास काल के दौरान श्री राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ साढ़े ग्यारह वर्ष यहां व्यतीत किया था. इसलिए धर्म नगरी चित्रकूट को सभी तीर्थों का तीर्थ भी कहा गया है. लेकिन, हिंदू आस्था के अनुसार प्रयागराज को सभी तीर्थों का राजा माना गया है. लेकिन चित्रकूट को उससे भी ऊंचा स्थान प्रदान किया गया है. जब माघ मेले में अन्य तीर्थों की तरह चित्रकूट तीर्थ प्रयागराज नहीं पहुंचे. तब प्रयागराज को चित्रकूट की उच्चतम पदवी के बारे में बताया गया और प्रयागराज से अपेक्षा की गई कि वे चित्रकूट जाएं. मान्यता है कि प्रयागराज प्रत्येक वर्ष पयस्वनी में स्नान करके अपने पापों को धोने के लिए आते हैं. यह भी कहा जाता है कि जब प्रभु राम ने अपने पिता का श्राद्ध किया, तो सभी देवी-देवता शुद्धि भोज में भाग लेने चित्रकूट आए थे. वे इस स्थान की सुंदरता से मोहित हो गए थे. पुजारी ने दी जानकारी चित्रकूट के तोतामुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मोहितदास ने बताया कि सभी तीर्थों के राजा ने प्रयागराज ने एक बार भगवान श्रीराम से की. उन्होंने, बताया की प्रयागराज में सभी तीर्थ आएं. लेकिन, चित्रकूट तीर्थ नहीं आया है. इस पर भगवान राम जवाब देते हुए कहते हैं कि मैने आपको सभी तीर्थ का राजा बनाया है. अपने घर का राजा नहीं बनाया. भगवान बोले चित्रकूट ऐसा स्थान है, वो मुझको अयोध्या से भी प्रिय है. इसलिए तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा भी है कि “चित्रकूट सब दिन बसत, प्रभु सिय लखन समेत” इसमें अयोध्या का नाम नहीं आया है. तुलसीदास को कलयुग में हुए श्री राम के दर्शन उन्होंने आगे की जानकारी देते हुए बताया कि कलयुग की घटना देखी जाए तो तुलसीदास जी अयोध्या में 12 साल रहे. लेकिन, भगवान उनको वहां नहीं मिले. लेकिन, चित्रकूट में मिल गए. इसलिए चित्रकूट सभी तीर्थों से उच्चतम स्थान है. क्योंकि, यहां प्रभु श्री राम अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष रहे. चित्रकूट का अर्थ ही है कि यहां इतने सुंदर-सुंदर चित्र मौजूद हैं, जिसे देखकर लोग मोहित हो जाते हैं. Tags: Chitrakoot News, UP newsFIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 15:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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