चोरी होने पर थाने गए बिना करा सकेंगे e-FIR इन मामलों को सुनकर चौंक जाएंगे आप

यूपी पुलिस की e-FIR दर्ज करने की प्रक्रिया पर अब सवाल उठने लगे हैं. पुलिस की PCR कॉल में चेन स्नेचिंग, चोरी और छिनैती जैसी घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता है. पीड़ित व्यक्ति को एफआईआर दर्ज कराने के लिए 5 दिन, 10 दिन और 20 दिन नहीं बल्कि महीनों इंतजार करना पड़ रहा है.

चोरी होने पर थाने गए बिना करा सकेंगे e-FIR इन मामलों को सुनकर चौंक जाएंगे आप
नोएडा. उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के 7 साल से ज्यादा के शासनकाल में कई बदलाव देखने मिले हैं. खासकर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति अब पहले से बेहतर हो गई है. लेकिन, कुछ मामलों में पीड़ित को न्याय मिलने में अभी भी महीनों इंतजार करना पड़ रहा है. खासकर, यूपी पुलिस की ई-एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं. चेन स्नेचिंग, चोरी और छिनैती जैसी घटनाओं के ई-एफआईआर दर्ज कराने में पीड़ित व्यक्ति को 5 दिन, 10 दिन और 20 दिन नहीं महीनों लग रहे हैं. नोएडा का ही एक मामला देख लीजिए, जिसमें पीड़ित को अपना एफआईआर दर्ज कराने में तकरीबन 215 दिन लग गए. दरअसल, इसी साल 31 जनवरी को नोएडा के सेक्टर-55 में रहने वाले शिवपाल तिवारी ने अपनी ई-रिक्शा चोरी होने पर 112 नंबर पर कॉल किया और पुलिस आई भी. पुलिस ने पहुंच कर तिवारी को ई-एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी. तिवारी ने 2 फरवरी को एफआईआर के लिए आवेदन कर दिया. तिवारी को एक नंबर मिल गया. लेकिन, कई दिनों तक जब थाने में एफआईआर की कॉपी नहीं आई तो पता चला कि यूपी पुलिस का यूपी कॉप ऐप नहीं चल रहा है. ई-एफआईआर को लेकर क्या यूपी पुलिस की हो रही बदनामी? तिवारी ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया. इस पर थाने ने कहा कि जबतक ऑनलाइन आवेदन आपका रिजेक्ट नहीं हो जाता, तब तक थाने में एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. पीड़ित ने बीते 16 अगस्त को फिर से ई-एफआईआर कराई तो वह रिजेक्ट हो गया. तब जाकर पीड़ित शिकायत पर नोएडा पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. इस प्रक्रिया में 7 महीने तकरीबन 215 दिन लग गए. यह कहानी सिर्फ शिवपाल तिवारी की नहीं है. इस तरह की कहानियां तकरबीन यूपी के हर थानों की है. पेशे से बिजनेसमैन राकेश चौधरी कहते हैं, कुछ महीने पहले कार से मेरा लैपटॉप बैग चोरी हो गया था. इसमें दो मोबाइल फोन और मेरा लैपटॉप था. 112 नंबर पर कॉल करने पर यूपी पुलिस ने बेहद बेकार बातें करते हुए कहा कि आप इतना महंगा सामान कार में क्यों छोड़ आए? मैंने जब एफआईआर दर्ज करवाना चाहा तो उन्होंने मुझे ई-एफआईआर दर्ज करवाने को कह कर चल दिए.’ जानिए पीड़ितों की पीड़ा शिकायतकर्ताओं की शिकायत रहती है कि बेशक चेन स्नेचिंग, चोरी, छिनैती पुलिस के नजिरए ये छोटी घटना लगती है, लेकिन इससे मेरा महीनों की कमाई का नुकसान होता है. ऐसे में इन घटनाओं को पुलिस को गंभीरता से लेना चाहिए. इन लोगों की शिकायत रहती है कि पुलिस कहती है कि सीसीटीवी चेक करो,  चोरी हुई है तो सबूत कहां है? ई-एफआईआर दर्ज कराओ. जबकि, ई-एफआईआर का नियम यह है कि 48 घंटे के अंदर आपको जवाब मिलेगा. रिजेक्ट होने पर आप संबंधित थाने में जाकर मामला दर्ज करा सकते हैं. बशर्ते, पुलिस वाले कनविंस हो जाएं. चिराग पासवान राहुल-अखिलेश की राह पर क्‍यों? बिहार में JDU का खेल बिगाड़ने के बाद क्या झारखंड में BJP के लिए बनेंगे विलन? बता दें कि बीते एक जुलाई से देश में नया आपराधिक कानून बीएनएस-23 लागू हो गया है. नए कानून के तहत आप देश या विदेश या फिर एक राज्य से दूसरे राज्य से संबंधित थानों में ई-एफआईआर दर्ज कर सकते हैं. लेकिन, उसकी मान्यता तब तक नहीं होगी, जब तक आप तीन दिन के भीतर साक्ष्यों के साथ थानाध्यक्ष के पास उपस्थित नहीं होंगे. Tags: CM Yogi Adityanath, UP news, UP policeFIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 10:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed