Kanpur: कुलपति या शिक्षा माफिया! विनय पाठक का अब तक बतौर कुलपति रहा विवादित सफ़र
Kanpur: कुलपति या शिक्षा माफिया! विनय पाठक का अब तक बतौर कुलपति रहा विवादित सफ़र
विनय पाठक और उनके सहयोगी अजय मिश्रा के खिलाफ कमीशन मांगने तथा भ्रष्टाचार के कई आरोपों के तहत राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने आरोपी अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है जिससे कई हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं
अखंड प्रताप सिंह
कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर के छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक इन दिनों सुर्खियों में हैं. विनय पाठक और उनके सहयोगी अजय मिश्रा के खिलाफ कमीशन मांगने तथा भ्रष्टाचार के कई आरोपों के तहत राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने आरोपी अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है जिससे कई हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं. इसके साथ ही विनय पाठक पहले जिन-जिन विश्वविद्यालयों में कुलपति के तौर पर रहे हैं वहां से भी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं.
बतौर कुलपति विनय पाठक का कार्यकाल विवादित
विनय पाठक शिक्षा जगत से जुड़ी बड़ी हस्तियों में से एक हैं. वो बीते 13 साल से अलग-अलग विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर तैनात रहे हैं. सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी उन्होंने विश्वविद्यालयों में कुलपति के तौर पर जिम्मेदारी संभाली है. विनय पाठक का बतौर कुलपति बनने का सफर उत्तराखंड से शुरू हुआ है. वो पहली बार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के कुलपति बने थे. जिसके बाद वो राजस्थान की वर्धमान के महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति बने. इसके बाद वर्ष 2015 में अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति का कार्यभार विनय पाठक ने संभाला. इसके बाद वो कानपुर के छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति बने.
शिक्षा जगत में तगड़ी सेटिंग के बलबूते विनय पाठक अपने 13 साल के कुलपति के कार्यकाल में आठ विश्वविद्यालयों में निरंतर कुलपति बने रहे हैं. इतना ही नहीं, एक साथ उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में कुलपति का पद भी संभाला. जब वो लखनऊ की एकेटीयू में नियमित कुलपति थे तो वो कानपुर की एचबीटीयू तथा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के भी कुलपति रहे थे. वहीं, कानपुर विश्वविद्यालय में कुलपति होने के साथ-साथ आगरा की डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार भी उनके पास रह चुका है.
मामला दर्ज होने के बाद लगे कई गंभीर आरोप
विनय पाठक के ऊपर आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में दो करोड़ रुपए की कमीशनखोरी का मामला इंदिरा नगर थाने में दर्ज हुआ था. इस केस की जांच उत्तर प्रदेश की एसटीएफ कर रही है. एफआईआर दर्ज होने के बाद उनके कई और मामले भी सामने आ रहे हैं जिसमें उनके ऊपर बड़े भ्रष्टाचार करने और कमीशनखोरी के आरोप लग रहे हैं.
एकेटीयू में कुलपति रहने के दौरान विनय पाठक ने 24 करोड़ रुपए की फिक्स डिपोजिट को तोड़ कर दूसरी जगह इन्वेस्ट किया था. इसको लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं. इसके साथ ही कानपुर के एक पूर्व प्रोफेसर ने उनके ऊपर कानपुर में शिक्षकों की भर्ती को लेकर सवाल उठाए हैं और फर्जी तरीके से नियुक्ति होने की बात की जा रही है. एसटीएफ भी कानपुर विश्वविद्यालयों के कई अधिकारियों, प्रोफेसरों से पूछताछ कर लगातार जानकारियां जुटा रही है. इसके साथ ही पुराने मामले जो अब सवालों के घेरे में आ रहे हैं उनके बारे में भी एसटीएफ गहनता से पड़ताल में जुटी हुई है.
सीएसजेएमयू के पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर प्रमोद रंजन ने कुलपति विनय पाठक पर विश्वविद्यालय में मनमाने ढंग से भर्तियां करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कुलपति ने छात्रों का भविष्य बर्बाद कर दिया है. अब वो न कहीं और नौकरी कर सकते हैं, न ही उनकी उम्र बची है.
उधर, कल्याणपुर के एसीपी विकास पांडे ने कहा कि लखनऊ में मामला दर्ज हुआ है. एसटीएफ मामले की जांच कर रही है. कानपुर में जो भी जांच के बिंदु होंगे, जहां मदद मांगी जाएगी पुलिस सहयोग करेगी.
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Tags: Corruption case, Kanpur news, Up news in hindi, UP STFFIRST PUBLISHED : November 11, 2022, 20:28 IST