हाथरस कांड वाले भोले बाबा की थी प्राइवेट आर्मी भाई की मौत से बदली जिंदगी
हाथरस कांड वाले भोले बाबा की थी प्राइवेट आर्मी भाई की मौत से बदली जिंदगी
भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगरी गांव में हुआ था. उनकी अपनी कोई संतान नहीं है और हर सत्संग में वह अपनी पत्नी को भी साथ ले जाते हैं. हादसे के बाद से फिलहाल बाबा, उनकी पत्नी और सारे सेवादार फरार चल रहे हैं.
हाथरस. उत्तर प्रदेश में हाथरस में एक सत्संग मातम में बदल गया. यहां मंगलवार को भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का सत्संग था, जिसमें अचानक भगदड़ गई. इस भगदड़ में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 121 तक पहुंच गई है, जिसमें 110 से ज्यादा महिलाएं हैं.
भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगरी गांव में हुआ था और फिर वह कासगंज जिले के बहादुर नगर में रहने लगे. उनकी अपनी कोई संतान नहीं है और हर सत्संग में वह अपनी पत्नी को भी साथ ले जाते हैं. हादसे के बाद से फिलहाल बाबा, उनकी पत्नी और सारे सेवादार फरार चल रहे हैं.
पुलिस से कैसे बना बाबा
ये बाबा अक्सर दावा करते रहे हैं कि उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ काम किया है. उन्होंने अपने भक्तों को ये भी बताया कि जब वो नौकरी कर रहे थे, तभी भक्ति और आध्यात्म की ओर उनका ध्यान था, इसलिए उन्होंने 1990 के दशक में पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला लिया.
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बताया जाता है कि सूरजपाल के तीन भाइयों में से एक की मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया और बहादुरगढ़ में एक आश्रम शुरू किया. स्थानीय लोगों के मुताबिक, बहादुर नगर में आश्रम खोलने के बाद भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों लोग उनके अनुयायी बन गए.
बाबा ने बना रखी थी अपनी आर्मी
बताया जाता है कि भोले बाबा ने प्राइवेट आर्मी भी बना रखी है, जिन्हें सेवादार कहा जाता है. हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी कमान यही सेवादार संभालते हैं. सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था करते हैं. हाथरस के एक व्यक्ति ने बताया, ‘बाबा प्रवचन करते हैं और सुरक्षा के लिए अपने सेवादार रखते हैं, जो उनके सत्संग की व्यवस्था का ध्यान रखते हैं.”
सफेद सूट बूट वाले बाबा
दूसरे धार्मिक गुरुओं की तरह नारायण हरि कभी भगवा कपड़े नहीं पहनते, बल्कि हमेशा ही सफेद सूट, टाइ और सफेज जूते पहने ही दिखे. उनकी दूसरी पसंदीदा पोशाक कुर्ता-पायजामा है. अपने उपदेशों के दौरान वो कहते हैं कि उन्हें जो दान दिया जाता है, वो सारी रकम अपने भक्तों पर खर्च कर देते हैं.
भोले बाबा ने पहले भी किए कई कांड
भोले बाबा का विवादों से पुराना नाता रहा है. इससे पहले कोरोना काल की पाबंदियों के बावजूद उन्होंने फर्रुखाबाद में विशाल सत्संग किया था. तब जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उसमें 50,000 से ज्यादा लोग सत्संग में शामिल हुए थे.
Tags: Hathras Case, Hathras newsFIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 12:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed