संगम नगरी के इस घाट को देख भूल जाएंगे बनारस के घाट यहां जलती रहती हैं चिताएं
संगम नगरी के इस घाट को देख भूल जाएंगे बनारस के घाट यहां जलती रहती हैं चिताएं
Prayagraj River Front: घाटों की सुंदरता और प्राचीनता की वजह से बनारस हमेशा फेमस रहा है, लेकिन प्रयागराज में हो रहे विकास कार्यों से यहां के घाट भी अब चमक उठे हैं. ऐसे में संगम नगरी का रसूलाबाद घाट अपनी सुंदरता और श्मशान घाट होने की वजह से काफी फेमस है. जहां एक और लोग पर्यटन करते हैं तो वहीं दूसरी ओर लगातार चिताएं जलती रहती हैं.
रजनीश यादव /प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के संगम नगरी में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रयागराज में लगातार सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है. इसमें गंगा और यमुना के घाट भी शामिल हैं. यहां पर अरैल घाट, गऊघाट, सरस्वती घाट और रसूलाबाद घाट आदि को विकसित किया जा रहा है.
बनारस के घाटों को है टक्कर देने की योजना
यही नहीं रसूलाबाद घाट से लेकर अकबर के किला घाट तक प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से रिवर फ्रंट बनाने का काम किया जा रहा है. आने वाले 2 साल में यह घाट बनकर तैयार हो जाएंगे. फिर प्रयागराज भी बनारस की तरह घाटों का शहर हो जाएगा. आज भी प्रयागराज के कुछ घाट अपनी ऐतिहासिकता और प्राचीनता की वजह से बनारस के घाटों को टक्कर दे रहे हैं, जिनमें प्रमुख रसूलाबाद घाट है.
एक ओर पर्यटन तो दूसरी ओर जलती है चिता
रसूलाबाद घाट तेलियरगंज में गंगा नदी के किनारे स्थित है, जो अपनी सुंदरता की वजह से लोगों को खूब आकर्षित करता है. बनारस के मणिकर्णिका घाट की तरह ही यहां दिनभर चिताएं जलती रहती हैं. वहीं, दूसरी ओर लोग पर्यटन करने आते हैं और शाम को यहां पर लोगों की काफी भीड़ होती है. प्रयागराज नगर निगम की ओर से लगातार प्रयास करते हुए इस घाट को स्वच्छ बनाने का कार्य किया गया है.
इस घाट की सुंदरता को बनाए रखने के लिए यहां पर कूड़ेदान की व्यवस्था की गई है. एक पीले कलर का प्लास्टिक का बड़ा सा घड़ा बनाकर रखा गया है, जिसका उपयोग कूड़ा एकत्रित करने में किया जाता है, लेकिन पर्यटन के लिहाज से या अभी काफी आकर्षक दिखता है, जिसके साथ लोग सेल्फी खींचते हुए दिख जाते हैं.
इस घाट का है ऐतिहासिक नाता
रसूलाबाद घाट पर ही देश की आजादी के नायक अमर शहीद क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की अंत्येष्टि स्थल है. यहां आने वाले लोग अक्सर इस जगह की ऐतिहासिकता को जानकर दंग रह जाते हैं. इसके अलावा इसी घाट पर ही हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका व कवित्री महादेवी वर्मा का प्राचीन घर भी स्थित है. इसके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं.
इस घाट पर आने वाले लोग अक्षर नाव में बैठकर गंगा नदी में इस पार से उस पार जाते हैं. जहां बालू के रेत में शिवलिंग बनते हुए नजर आते हैं. स्पर्श उसे पर जाने के लिए नावीकों द्वारा एक व्यक्ति से 40 रुपए लिया जाता है.
Tags: Local18, Prayagraj Latest News, Prayagraj News, UP newsFIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 11:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed