Katni: स्वदेशी उत्पाद की पक्षधर है गौ सेविका सबको देती है ईको फ्रेंडली होने का संदेश
Katni: स्वदेशी उत्पाद की पक्षधर है गौ सेविका सबको देती है ईको फ्रेंडली होने का संदेश
गौ रक्षा कमांडो फोर्स की कटनी जिला अध्यक्ष अमिता श्रीवास ईको फ्रेंडली दीपावली के साथ स्वदेशी अपनाओ का संदेश दे रही हैं. खास बात है कि उन्होंने दूसरे को संदेश देने से पहले स्वयं ही स्वदेशी वस्तुओं को प्रयोग करने का निर्णय लिया. उनके साथ पूरी गौ रक्षक टीम ने यह प्रण लिया है कि अगर हमें अपनी परंपरा को जीवित रखना है, तो सबसे पहले हमे स्वयं में बदलाव लाना पड़ेगा
हेमंत सिंह
कटनी. भारत की सनातन संस्कृति हमें सिखलाती है कि किस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना हम अपने त्यौहारों को मना सकते हैं. यही वजह है कि कुछ वर्षों पूर्व तक सिर्फ गाय के गोबर और उससे बनी वस्तुओं का भरपूर मात्रा में उपयोग किया जाता था. आज भी हम में से कुछ लोग हैं, जो इस परंपरा और पुरखों की सीख पर चल रहे हैं. इनमें से एक हैं मध्य प्रदेश के कटनी की गौ रक्षा कमांडो अमिता श्रीवास, जो न सिर्फ गौ-उत्पादों का प्रयोग करती हैं, बल्कि खुद ऐसे उत्पाद तैयार कर लोगों को इनके प्रति जागरूक करती हैं.
आधुनिक युग में लोग पुरानेरीति रिवाज को भूल कर विदेशी वस्तुओं पर ज्यादा निर्भर रहने लगे हैं. वहीं, कटनी के कुछ युवाओं ने स्वदेशी उत्पाद अपनाकर अपनी परंपराओं को जीवित रखने की ओर कदम बढ़ाया है. गौ रक्षा कमांडो फोर्स की जिला अध्यक्ष अमिता श्रीवास ईको फ्रेंडली दीपावली के साथ स्वदेशी अपनाओ का संदेश दे रही हैं. खास बात है कि उन्होंने दूसरे को संदेश देने से पहले स्वयं ही स्वदेशी वस्तुओं को प्रयोग करने का निर्णय लिया. उनके साथ पूरी गौ रक्षक टीम ने यह प्रण लिया है कि अगर हमें अपनी परंपरा को जीवित रखना है, तो सबसे पहले हमे स्वयं में बदलाव लाना पड़ेगा. उसके बाद ही हम दूसरों तक यह संदेश पहुंचा पाएंगे.
गोबर से बने इन उत्पादों के लिए कर रहीं जागरूक
अमिता श्रीवास का कहना है कि हम गाय को माता के रूप में पूजते चले आ रहे हैं, पौराणिक काल से पंचगव्य का उपयोग किया जाता है. इनमें दूध, दही, घी, गौमूत्र और गोबर शामिल होता है. पूजा पाठ के दौरान भी इन्हें शुद्ध माना गया है. गाय के गोबर से इतने उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जिनका त्योहारों के मौकों पर सजावट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. अमिता ने अपने घर में गाय के गोबर से निर्मित हवन, धूप बत्ती, दीये, कंडे, सजावटी मूर्तियां, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां एवं बंदनवार सहित अन्य सजावट सामग्रियां तैयार की हैं.
गोबर से निर्मित उत्पादों की है डिमांड
अमिता ने बताया कि वो पिछले तीन वर्ष से गोबर से निर्मित उत्पाद तैयार कर रही हैं. इनकी खासी डिमांड रहती है, साथ ही यह पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होते हैं. उन्होंने सनातनी परंपरा को जीवित रखने के लिए और गौ माता को रोजगार से भी जोड़ने की बात कही.
अमिता का मानना है कि देश का निर्धन तबका यदि इस क्षेत्र में आगे आए तो उसे आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. गौ रक्षा कमांडो की टीम के जरिए अमिता स्वदेशी अभियान को आगे बढ़ा रही हैं.
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Tags: Cow Rescue Operation, Gaushala, Katni news, Mp newsFIRST PUBLISHED : October 25, 2022, 17:55 IST