MP में डबल इंजन की सरकार फिर भी CBI-ED की डायरेक्ट एंट्री पर क्यों लगा ब्रेक

CBI Will Need Written Consent: मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने कहा कि राज्य के अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए सीबीआई को लिखित अनुमति की जरूरत होगी.

MP में डबल इंजन की सरकार फिर भी CBI-ED की डायरेक्ट एंट्री पर क्यों लगा ब्रेक
भोपाल. मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कोई भी जांच शुरू करने के लिए उसकी लिखित सहमति जरूरी होगी. राज्य में मोहन यादव और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार है. इसके बावजूद इस तरह का फैसला लिए जाने से लोगों में अचरज है. आखिर किस मजबूरी के तहत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह कड़ा फैसला लिया है. इसके पीछे की वजहों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इससे पहले कई विपक्षी राज्यों में इस तरह के कदम उठाए जा चुके हैं. सीबीआई, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 से संचालित होता है. डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 में कहा गया है कि सीबीआई को रेलवे और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा कार्रवाई करने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी होगी. सीबीआई को राज्य सरकार की सहमति या तो मामलों के आधार पर या सामान्य सहमति हो सकती है. आम सहमति आम तौर पर राज्यों द्वारा अपने राज्यों में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की निर्बाध जांच में सीबीआई की मदद करने के लिए दी जाती है. यह डिफ़ॉल्ट रूप से सहमति है, जिसके अभाव में सीबीआई को हर मामले में राज्य सरकार के पास आवेदन करना होगा. हालांकि मध्य प्रदेश सरकार ने सामान्य सहमति वापस लेने का उल्लेख नहीं किया है. मगर मंगलवार को इसके गृह विभाग द्वारा प्रकाशित अधिसूचना में कहा गया है कि “मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नियंत्रित लोक सेवकों से संबंधित मामलों में, राज्य सरकार की पूर्व लिखित अनुमति के बिना ऐसी कोई जांच नहीं की जाएगी. किसी भी अन्य अपराध के लिए सभी पिछली सामान्य सहमति और किसी भी अन्य अपराध के लिए राज्य सरकार द्वारा केस-दर-केस आधार पर दी गई कोई भी सहमति भी लागू रहेगी. इसमें कहा गया है कि यह आदेश 1 जुलाई से पूर्वव्यापी असर से लागू होगा. पहले भी मेघालय और मिजोरम जैसे राज्यों ने एनडीए सरकारों के तहत सीबीआई को सामान्य सहमति वापस ले ली है. पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल और पंजाब जैसे अन्य राज्यों ने भी विपक्षी सरकारों के तहत सामान्य सहमति वापस ले ली है. राज्यों द्वारा सामान्य सहमति वापस लेने के बढ़ते मामलों के कारण एक संसदीय पैनल ने 2023 में कहा था कि सीबीआई की स्थिति, कार्यों और शक्तियों को परिभाषित करने के लिए एक नया कानून बनाने की जरूरत है. Tags: CBI Probe, Enforcement directorate, Madhya pradesh, Mohan YadavFIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 07:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed