मैदा और देसी घी से बनती है ये लाजवाब मिठाई सौ साल से लोग दीवाने

मैदा और देशी घी से बनाई जाने वाली बालूशाही को पकाने के बाद शक्कर के घोल में डालकर तैयार किया जाता है. सबसे खास बात यह है कि मुंह में डालने के बाद यह मिठाई खुद-ब-खुद घुल जाती है.

मैदा और देसी घी से बनती है ये लाजवाब मिठाई सौ साल से लोग दीवाने
इटावा: इंसानी स्वाद की बात ही अलग है, किसको क्या पसंद है, यह कोई नहीं बता सकता. लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा में बलदेव प्रसाद मिष्ठान भंडार पर बनी बालूशाही एक ऐसी मिठाई है जो हर किसी को न केवल पसंद आती है, बल्कि बड़े चाव से खाई जाती है. मैदा और देशी घी से बनाई जाने वाली बालूशाही को पकाने के बाद शक्कर के घोल में डालकर तैयार किया जाता है. सबसे खास बात यह है कि मुंह में डालने के बाद यह मिठाई खुद-ब-खुद घुल जाती है. दर्जनों कारीगर तैयार करते हैं मिठाई इस मिष्ठान भंडार में बालूशाही को बड़ी मात्रा में तैयार किया जाता है. दर्जनों कारीगर इस मिठाई को बनाने में प्रतिदिन जुटे रहते हैं. इस दुकान की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस चौराहे की पहचान भी इस मिठाई की दुकान से ही हो गई है. मिठाई की दुकान का नाम बलदेव प्रसाद मिष्ठान भंडार है, और अब इस चौराहे को भी बलदेव चौराहा कहा जाने लगा है.  एडवांस बुकिंग करीब 100 साल पुरानी इस दुकान पर बनने वाली बालूशाही की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि लोग बालूशाही की मांग को लेकर एडवांस बुकिंग भी करवा लेते हैं. बलदेव प्रसाद मिष्ठान भंडार के संचालक सुरेश यादव ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि करीब सौ साल पहले उनके पिता ने इस दुकान की शुरुआत की थी. तब से यहां विभिन्न किस्म की मिठाइयां बनाई जाती हैं, लेकिन सबसे अधिक लोकप्रिय बालूशाही है जिसकी सबसे ज्यादा मांग होती है. नेताजी भी करते थे पसंद उनकी दुकान पर बनने वाली बालूशाही लखनऊ, दिल्ली के अलावा देश के बड़े महानगरों में भी पैक करके भेजी जाती है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक नेताजी मुलायम सिंह यादव इस दुकान की बालूशाही के खासे मुरीद रहे हैं. जब भी उन्हें बालूशाही खाने की ललक लगती थी, तो वह लखनऊ से फोन करके बता देते थे और फिर बालूशाही लखनऊ तक पहुंचाई जाती थी. जब कभी नेताजी इटावा आते थे, तो उनके लिए विशेष तौर पर बालूशाही तैयार करके उनके घर भेजी जाती थी. ऐतिहासिक दुकान करीब आधा दर्जन बार नेताजी खुद दुकान पर आकर बालूशाही खाने के लिए पहुंच गए. इस दौरान की तस्वीरें भी उनके पास प्रमाण के रूप में मौजूद हैं. यादव बताते हैं कि छोटे लोहिया के नाम से लोकप्रिय दिवंगत जनेश्वर मिश्र को भी बालूशाही बहुत पसंद थी. एक बार सैफई एयरस्ट्रिप पर उनका प्लेन खड़ा था और वह बालूशाही की डिमांड कर रहे थे. जब तक बालूशाही नहीं पहुंची, तब तक उन्होंने प्लेन को उड़ने नहीं दिया. Tags: Food 18, Local18FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 12:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed