बेटे ने भरोसा दिया था कि छोटे भाइयों के लिए पैसा भेजेगापर अब हमेशा के लिए

Manipur Militants Attack: 500 रुपये की दिहाड़ी कमाने के लिए ही तो वह बिहार से दूर मणिपुर गया था. परिवार की स्थिति सुधारने का सपना था और भाइयों की पढ़ा-लिखाकर बड़ा बनाने का अरमान था. लेकिन, इन सपनों से उग्रवादियों को क्या लेना-देना...अब ये सारे सपने खत्म हो गए और परिवार में मातम पसर गया है.

बेटे ने भरोसा दिया था कि छोटे भाइयों के लिए पैसा भेजेगापर अब हमेशा के लिए
हाइलाइट्स परिवार पर पड़ी आफत, तो 500 की दिहाड़ी पर मणिपुर कमाने चला गया सोनेलाल मुखिया. गंडक की त्रासदी से बेघर हुआ था परिवार, मां-बाप को छोड़कर बड़ा भाई चला गया ससुराल. राजवाही बिन टोला के सोनेलाल अपने पिता के साथ गया था मणिपुर, अधूरा रह गया सपना. गोपालगंज. गंडक नदी के किनारे बसे बिन टोली गांव के श्रमिक सोनेलाल मुखिया का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था. अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने और परिवार की खुशहाली के लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहा था. कभी खेतों में काम करता, तो कभी गांव में छोटी-मोटी नौकरी ढूंढता. लेकिन, बाढ़ की त्रासदी ने उसके जीवन को एक और मोड़ पर ला दिया. गंडक नदी से आई बाढ़ में उसका खेत और पक्का घर पूरी तरह से तबाह हो गए थे. इसके बाद, परिवार का खर्च चलाने के लिए उसे अपनी किस्मत को दूसरे स्थानों पर आजमाने की जरूरत महसूस हुई. सोनेलाल का जीवन एक ओर संघर्ष का हिस्सा बन गया जब उसके बड़े भाई मुन्ना लाल, जो पहले गांव में ही रहते थे, अपनी शादी के बाद हिमाचल प्रदेश में अपने ससुराल में बस गए. घर में बचे चार भाइयों के साथ बुजुर्ग मां-बाप भी थे, जिनके देखभाल का जिम्मा अब सोनेलाल पर था. गांव में कोई काम नहीं मिलने के कारण, वह और उसका परिवार बहुत ही कठिनाई में जीवन यापन कर रहे थे. ऐसे में, एक दिन उसने और उसके पिता ने मणिपुर जाने का निर्णय लिया, जहां शायद रोजगार के अवसर मिल सके. इस निर्णय के बाद, सोनेलाल अपने पिता बिरेंद्र मुखिया के साथ मणिपुर के काकचिंग जिले में मजदूरी करने चला गया. वहां उसे प्रतिदिन 500 रुपये की दिहाड़ी पर काम मिल गया था. दीपावली के अगले दिन, यानी एक नवंबर को सोनेलाल ने घर से रवाना होकर अपनी मेहनत से घर का खर्च और अपने छोटे भाईयों की पढ़ाई का खर्च उठाने की उम्मीद जतायी थी. बेटे सोनेलाल मुखिया ने मां को भरोसा दिया था कि छोटे भाइयों की पढ़ाई के लिए पैसा भेजेगा…पर अब हमेशा के लिए दूर चला गया सोनेलाल की हत्या से टूट गया भाइयों का सपना सोनेलाल की मां लीलावती देवी ने बताया, छठ महापर्व के समय लोग घर लौटते हैं, लेकिन पेट की भूख ऐसी थी कि हमें त्योहार से पहले ही मणिपुर जाना पड़ा. बेटे ने हमेशा हमें भरोसा दिलाया था कि वह छोटे भाइयों लक्ष्मण और आनंद की पढ़ाई के लिए भी पैसा भेजेगा, लेकिन अब वो हमसे हमेशा के लिए दूर चला गया. लीलावती देवी के आंसू थम नहीं रहे थे, और उनकी बातों में एक गहरी चिंता और दुःख का आभास हो रहा था. बीते तीन दिसंबर को सोनेलाल ने अपने घर के लिए कुछ पैसे भेजे थे, और अगले महीने घर बनाने के लिए और पैसे इकट्ठा करने की योजना बनाई थी. सोनेलाल के परिवार में मातम सोनेलाल का सपना था कि उसकी मेहनत से उसका परिवार एक बेहतर जीवन जी सकेगा. लेकिन 14 दिसंबर को मणिपुर में हुई उपद्रवी घटना ने सोनेलाल की जीवन की सभी आशाओं को समाप्त कर दिया. हिंसा वाले मणिपुर में उपद्रवियों ने सोनेलाल को गोली मारी और उसकी दुखद मृत्यु हो गयी. सोनेलाल की हत्या के बाद उसके परिवार में शोक का माहौल है. पिता बिरेंद्र मुखिया, सोनेलाल के शव को इंफाल मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम के बाद लेकर गोपालगंज के लिए रवाना हो गए हैं. बेटे सोनेलाल मुखिया की तस्वीर दिखाकर रोती-बिलखती मां भाई और पिता को मिल जाता अपने राज्य में काम, तो नहीं जाती जान सोनेलाल की बहन विद्यावती देवी का कहना है, अगर हमारे घर में भाई और पिता को किसी तरह का काम मिल जाता, तो शायद आज इस दुखद घटना का शिकार नहीं होते. हमें उम्मीद थी कि हमारी मेहनत से घर में खुशहाली आएगी, लेकिन अब सब टूट गया. सोनेलाल के रिश्तेदार बुधन मुखिया ने भी जिला प्रशासन से बाढ़ प्रभावित इलाकों के मजदूरों के लिए राज्य और जिला में ही रोजगार की व्यवस्था करने की मांग की है. उनका कहना था कि हिंसा प्रभावित इलाकों में काम कर रहे अन्य मजदूरों की स्थिति भी दयनीय हो सकती है, और उन्हें अपने राज्य में ही सुरक्षित रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं. हत्या से इलाके के लोग मर्माहत, गांव में शोक की लहर सोनेलाल की हत्या ने न केवल उसके परिवार को गहरा शोक दिया है, बल्कि पूरे गांव में भी एक शोक की लहर दौड़ गयी है. सोनेलाल के जीवन के संघर्ष और उसकी मौत ने यह सवाल उठाया है कि क्या प्रशासन और सरकार ऐसे मजदूरों के लिए पर्याप्त सुरक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं? सोनेलाल की मां और बहन की आवाज अब यह मांग करती है कि सरकार और प्रशासन इस मामले में शीघ्र मदद करें और परिवार को आर्थिक मुआवजा प्रदान करें, ताकि वे अपने कठिन समय को कुछ हद तक सहन कर सकें. यह घटना उन हजारों मजदूरों की तकलीफों और संघर्षों का प्रतीक बन गयी है, जो रोज़ी-रोटी के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं. Tags: Bihar latest news, Gopalganj news, Manipur latest news, Manipur violenceFIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 10:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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