फसल है या जादू तीनों मौसम में कर सकते हैं खेती 40 क्विंटल तक होगा उत्पादन
फसल है या जादू तीनों मौसम में कर सकते हैं खेती 40 क्विंटल तक होगा उत्पादन
एक्सपर्ट के अनुसार मक्का की खेती साल में तीन बार रबी ,खरीफ ,जायद तीनों सीजन में की जा सकती है. मक्का की खेती से किसान दोहरा मुनाफा कमा सकते हैं. मक्का खाने के साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, शराब और स्टार्च के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इससे 1000 से ज्यादा उत्पाद तैयार किए जाते हैं.
रायबरेली. मोटे अनाजों में अपनी अलग पहचान बनाने वाला मक्का किसानों के लिए मुनाफे वाली फसल मानी जाती है .मक्का को “खाद्यान्न फसलों की रानी” कहा जाता है. मक्का की उत्पादन क्षमता खाद्यान्न फसलों में सबसे ज्यादा है. मक्का खाने के साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, शराब और स्टार्च के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इससे 1000 से ज्यादा उत्पाद तैयार किए जाते हैं. इसलिए मक्के की खेती अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है. आमतौर पर मक्के की खेती जायद और खरीफ दोनों सीजन में की जाती है. दोनों सीजन में मक्का की खेती भुट्टो और चारे दोनों के लिए की जाती है.
लेकिन एक्सपर्ट के अनुसार मक्का की खेती साल में तीन बार रबी ,खरीफ ,जायद तीनों सीजन में की जा सकती है. मक्का की खेती से किसान दोहरा मुनाफा कमा सकते हैं. मक्का खाने के साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, शराब और स्टार्च के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इससे 1000 से ज्यादा उत्पाद तैयार किए जाते हैं. साथ ही इसे मवेशियों के लिए हरा चारा भी मिल जाता है. जिसे किसानों को आसानी अपने पशुओं को खिलाने के लिए वर्ष के 12 महीने हरा चारा भी मिलता रहेगा. किसान चाहें तो हरे चारा की बिक्री करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं .मक्का की खेती पूरे वर्ष करने की विधि एवं इससे किसानों को क्या फायदे मिलते हैं?
1000 से ज्यादा उत्पादों में इस्तेमाल
कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाली रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी कृषि शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय) बताते हैं कि मक्का मिलेट्स श्रेणी का अनाज है. इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं .धान गेहूं की फसलों की अपेक्षा यह फसल अधिक मुनाफे वाली मानी जाती है. मक्का खाने के साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, शराब और स्टार्च के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इससे 1000 से ज्यादा उत्पाद तैयार किए जाते हैं. साथ ही पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में ,पशु आहार को बनाने में प्रयोग में लाया जाता है .जिससे बाजारों में यह काफी महंगे दामों में बिक जाता है .
1 एकड़ में 40 क्विंटल उत्पादन
शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि मक्के की खेती किसान किसी भी वातावरण और किसी भी सीजन में कर सकते हैं. क्योंकि यह फसल रबी,खरीफ, जायद तीनों ही सीजन में आसानी से उगाई जा सकती है. रबी के सीजन यानी की अक्टूबर से नवंबर माह में, जायद के सीजन मार्च से लेकर मई माह में ,खरीफ के सीजन जून से जुलाई में इसकी बुवाई की जाती है. 75 से 80 दिन में पककर तैयार होने वाली यह फसल प्रति एकड़ 35 से 40 क्विंटल तक उपज देती है.
ऐसे करें खेत तैयार
शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि मक्का की उन्नत प्रजातियों में प्रकाश, पूसा, लक्ष्मी 405,माधुरी,प्रिया,आजाद शमिल है. मक्के की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे सटीक है. इसमें पानी के निकलने का अच्छा इंतजाम होना चाहिए. खेत तैयार करते समय 12 से 15 सेंटी मीटर तक गहरी जुताई करें. जिससे मिट्टी के सतह पर मौजूद जीवाश्म और पत्तियां मिट्टी में मिल जाए. बीज डालने से पहले 4 से 5 बार जुताई कर लें. मक्के की खेती में बार बार हल्की सिंचाई करते रहें.
Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 18:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed