चीनी को चुनौती देने के लिए तैयार हो रहा है न्यूक्लियर सबमरीन प्लान

चीनी को चुनौती देने के लिए तैयार हो रहा है न्यूक्लियर सबमरीन प्लान
Indian navy submarine: एयरक्राफ़्ट कैरियर और वॉरशिप का सबसे बड़ा किलर माने जाने वाली पानी के अंदर से चुपचाप हमला करने वाले  सबमरीन से बढ़ गया है चीन और पाकिस्तान को ख़तरा .चीनी नौसेना को चुनौती देने के लिए तैयार हो रहा है भारत का न्यूक्लियर सबमरीन प्लान. पहले ही बैलेस्टिक मिसाईल न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत और INS अरिघात भारत की ताकत में इजाफा कर रही है . पिछले हफ्ते ही INS अरिघात से किए गए K4 बैलिस्टिक मिसाइल फायर ने चीनी और पाकिस्तान की साँसें अटका दी थी और अब जल्द स्वादेशी न्यूक्लियर अटैक सबमरीन उनकी साँसें ही रोक देगी. K4 बैलिस्टिक मिसाइल फायर की पहली आधिकारिक घोषणा खुद नौसेना प्रमुख दिनेश त्रिपाठी ने की. उन्होंने INS अरिघात से लॉंच की गई बैलेस्टिक मिसाइल कहा कि हमने टेस्ट किया और वो सफल रहा. अभी संबंधित एजेंसियों इस टेस्ट के एंग्जामिन कर रही हैं इसके अलावा दोनो बैलेस्टिक मिसाईल न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत और INS अरिघात के ऑपरेशन पर कहा कि अरिहंत के कई डेटरैंस पेट्रोल हो चुके हैं और INS अरिघात अभी शामिल हुआ है और ये अभी ट्रायल जारी है. न्यूक्लियर अटैक सबमरीन 2036 तक  ताक़त से भारतीय नौसेना को बढ़ाने की तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है. दुनिया में फिलहाल तीन तरह के सबमरीन है एक डीज़ल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन,  डीज़ल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन AIP और न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन. फ़िलहाल भारत के पास 16 डीज़ल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन और 2 बैलेस्टिक मिसाईल न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन है. जिसमें 2 बैलेस्टिक मिसाईल न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) हैं तो वहीं दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) के निर्माण को सरकार ने हरी झंडी दे दी है . नौसेना प्रमुख ने साफ कर दिया कि पहले स्वदेशी न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) 2036-2037 तक नौसेना का हिस्सा हो सकती है तो दूसरी सबमरीन उसके अगले एक दो साल में मिलने की उम्मीद . न्यूक्लियर सबमरीन है गेम चेंजर न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन जैसे की नाम से ही समझ में आ रहा ही कि वो सबमरीन जो की परमाणु उर्जा से ऑप्रेट करती हो. भारत के पास बैलेस्टिक मिसाइल न्यूक्लियर सबमरीन तो है लेकिन अभी तक भारतीय नौसेना के पास कोई न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन (SSN) नहीं है अब सरकार की मंजूरी के बाद आने वाले दिनों में ये कमी पूरी हो जाएगी. डीज़ल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन भारत के पास मौजूद है लेकिन अगर इन दोनो में फ़र्क़ की बात करें तो इसमें ज़मीन आसमान का अंतर है. सबमरीन बनाई ही गई है पानी में गोता लगाने के लिए और पानी के अंदर छिपकर जितनी देर तक रहें दुशमन की नज़र से भी बचा जा सकता है और दुश्मन पर औचक हमला भी किया जा सकता है लेकिन  मौजूदा पारंपरिक डीज़ल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन को चलाने के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है और बैटरी चार्ज करने के लिए सबमरीन को पानी की सतह पर आना होता है. यानी की 2 से 4 दिन के अंदर डीज़ल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन को सतह पर आना ही होगा एसे में किसी बड़े लंबे अंडर वॉटर ऑपरेशन में थोड़ी दिक़्क़त होती है लेकिन न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन के पास सतह पर आने की एसी कोई मजबूरी नहीं. ये लंबे समय तक पानी के अंदर डाइव लगा सकती है. कितने दिन तक होगा ये पावर पर नहीं बल्कि उस सबमरीन को ऑपरेट करने वालों के नौसैनिकों  की क्षमता पर निर्भर करता है. ये 50 दिन से ज्यादा पानी के अंदर रह सकती है. चूँकि ये न्यूक्लियर रियेक्टर के जरिए बनी उर्जा से चलती है तो उसे बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर आने की जरूरत ही नही अगले साल तक चीनी नौसेना में होंगी कुल 65 सबमरीन चीनी नौसेना की बैक बोन है उसकी सबमरीन . और लगातार वो अपनी सबमरीन की ताक़त में इजाफा कर रहा है. और अगले साल तक उसके पास 5 नई सबमरीन आ जाएगी और इस वक्त चीन के पास इस वक्त 60 सबमरीन हैं उसका आंकड़ा बढ़ा 65 हो जाएगा . फिलहाल जो सबमरीन चीन के पास है उसमें 6 बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन ( SSBN) , 6 न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन (SSN- सबमर्सिबल शिप न्यूक्लियर ) इसके अलावा 48 डीज़ल इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन है जिसमें 21 AIP यानी की एयर इंडिपेंडेंट पर्पलशन वाली है Tags: India NavyFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 12:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed