नेपाली PM चीन में इधर फिर दिल्ली पहुंच रहे भूटान के राजा क्या होगा बड़ा खेल
नेपाली PM चीन में इधर फिर दिल्ली पहुंच रहे भूटान के राजा क्या होगा बड़ा खेल
भूटान के राजा एक बार फिर नई दिल्ली आ रहे हैं. करीब 15 दिन पहले वहां के प्रधानमंत्री ने भी भारत का दौरा किया था. केवल 2024 में ही भूटान के राजा और प्रधानमंत्री की कई बार नई दिल्ली यात्रा हो चुकी है.
भारत का पड़ोसी देश भूटान बीते कुछ समय से बार-बार नई दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. भूटान के साथ भारत का रिश्ता बेहद खास है. दोनों मुल्क सदियों से भाईचारे के साथ रहते आ रहे हैं. लेकिन, बीते कुछ वर्षों में चीन की विस्तारवादी नीतियों की वजह से दोनों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चीन की विस्तारवादी नीति से भूटान को बचाने की जिम्मेदारी भारत की है. बीते कुछ समय में भारत और चीन के रिश्तों में बदलाव का असर भूटान पर भी पड़ना लाजिमी है. ऐसे में भूटान के राजा और वहां के प्रधानमंत्री की बार-बार हो रही भारत यात्रा को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन के दौर पर हैं. इस साल चौथी बार नेपाल के पीएम बने ओली की यह पहली विदेश यात्रा है. आमतौर पर नेपाल के पीएम अपना पहला विदेश दौरा भारत से करते आए हैं लेकिन ओली इस परंपरा को तोड़ते हुए बीजिंग पहुंच गए हैं. इस दौरे पर उन्होंने चीन के साथ कई बड़े समझौते किए हैं. इस कारण नेपाल और भूटान वाले इलाके में कुछ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि सदियों से नेपाल और भूटान भारत के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं. लेकिन, चीन की विस्तारवादी नीति में नेपाल चीन की ओर झुकता चला जा रहा है.
दिल्ली पहुंच रहे वांगचुक
भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामगियेल वांगचुक गुरुवार को फिर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान वांगचुक पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता करेंगे. विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी उनसे मुलाकात करेंगे. करीब 15 दिन पहले ही भूटान के प्रधानमंत्री तशेरिंग तोबगे नई दिल्ली आए थे. उस दौरान भी उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. पीएम ने भूटान को भारत का विशेष दोस्त करार दिया था. इस बीच भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने बीते माह भूटान की राजधानी थिंपू का दौरा किया था.
दरअसल, 1949 में भारत और भूटान के बीच हुए एक खास समझौते की वजह से पड़ोसी देश अपनी विदेश और रक्षा नीति में भारत से सलाह लिए बिना आगे नहीं बढ़ सकता है. इस बीच चीन भूटान के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करना चाहता है. अभी तक भूटान और चीन के बीच कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं. चीन, भूटान के साथ जल्द से जल्द अपना सीमा विवाद भी सुलझाना चाहता है. इसको लेकर दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता चुकी है.
भारत की भूमिका अहम
लेकिन, इस पूरी कवायद में भारत की भूमिका काफी अहम है. चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद से सीधे तौर पर भारत प्रभावित होता है. सीमा पर कई ऐसी जगहें हैं जो ट्राईजंक्शन है. वहां तीनों देशों की सीमा लगती है. ऐसे में पूरा इलाका बेहद संवेदनशील हो जाता है. इसी तरह का एक विवाद 2017 में डोकलाम का था. डोकलाम में ट्राईजंक्शन वाले इलाके में चीन ने सड़क बनाने का काम शुरू किया था. इसको रोकने के लिए भारतीय सेना वहां पहुंच गई और लंबे समय का टकराव की स्थित बनी रही.
इस बीच भारत और चीन के बीच एलएसी के विवादित क्षेत्र से सेनाओं की वापसी की घोषणा से इस पूरे इलाके में सीमा विवाद सुलझने को लेकर बड़ी उम्मीद जगी है. इसी कड़ी में चीन और भूटान का सीमा विवाद भी है. लेकिन, भारत की रजामंदी के बिना भूटान इस दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ा सकता है.
Tags: India china, India nepalFIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 10:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed