लबालब रहने वाली हरमू नदी अब तरस रही बूंद-बूंद पानी के लिए जानें रांची की इस नदी की दुखद कहानी

Natural Water Sources of Ranchi: 7 साल पहले इस नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर इसे और ज्यादा बर्बाद कर दिया गया. नदी के दोनों किनारों पर कंक्रीट की दीवार उठा दी गई. इसका नतीजा हुआ कि आसपास जाने वाले पानी का स्रोत बिल्कुल डेड हो गया. रघुवर सरकार के शासन में हरमू नदी के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की शुरुआत हुई थी. इस सौंदर्यीकरण के नाम पर खूब लूट हुई.

लबालब रहने वाली हरमू नदी अब तरस रही बूंद-बूंद पानी के लिए जानें रांची की इस नदी की दुखद कहानी
रांची. इस खबर के साथ आप एक ही फ्रेम में 3 तस्वीरें देख रहे होंगे. ये तीनों तस्वीरें रांची की उस हरमू नदी की हैं, जो आगे जाकर स्वर्णरेखा की जलधारा तेज किया करती थी. तीनों तस्वीरों में वक्त का अंतर आप देख सकते हैं. ऊपर वाली तस्वीर तकरीबन 25 बरस पहले की है और नीचे लगीं दोनों तस्वीरें इस नदी के सौंदर्यीकरण के बाद की. आप महसूस कर सकते हैं कि पहली तस्वीर हहराती हुई बरसाती नदी की है, जबकि बाकी दोनों तस्वीरें दम तोड़ती एक नदी की. हहराती हुई बरसाती नदी का किस्सा बाद के हिस्से में सुनाऊंगी, उससे पहले जान लें कि नदी की धार कैसे सूखी और सूखती हुई नदी की धार से कुछ लोगों ने कैसे अपनी जेबें सींची. 7 साल पहले इस नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर इसे और ज्यादा बर्बाद कर दिया गया. नदी के दोनों किनारों पर कंक्रीट की दीवार उठा दी गई. इसका नतीजा हुआ कि आसपास जाने वाले पानी का स्रोत बिल्कुल डेड हो गया. रघुवर सरकार के शासन में हरमू नदी के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की शुरुआत हुई थी. इस सौंदर्यीकरण के नाम पर खूब लूट हुई. अफसर, ठेकेदार सभी की जेबें भरीं जबकि नदी और खाली होती गई. नदी की न तो सुंदरता बढ़ी न उद्धार हुआ. हरमू नदी के सौंदर्यीकरण पर 85 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए, लेकिन नतीजा सिफर रहा. बल्कि नदी की चौड़ाई पहले से भी छोटी हो गई. पहले तो अफसर और ठेकेदार ने नदी को लूटा, फिर रही सही कसर भू-माफिया ने पूरी कर दी. नदी के दोनों पाटों की जमीन भू-माफिया ने बेची. दोनों पाटों पर कंक्रीट के जंगल खड़े हुए और साथ ही नदी सिमटती गई. सिमटती हुई नदी के सोते सूखते चले गए. आसपास के क्षेत्रों का ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चला गया है. नदी के चारों तरफ के इलाकों में पानी की समस्या भी शुरू हो गई. इलाके के बूढ़े बुजुर्ग बताते हैं कि इस नदी का पानी पीने में भी इस्तेमाल होता था. आस-पास के लोग बताते हैं कि बरसात के दिनों में पानी थोड़ा गंदा होता था, पर शेष महीने हरमू नदी में काफी साफ पानी बहा करता था. इस नदी में लोग नहाने आते थे. करम चौक के समीप रहने वाले सागर तिर्की बताते हैं कि हरमू नदी के कारण ही आसपास में लोग बसे और धीरे-धीरे यहां बस्तियां बस गईं. नहाने-धोने से लेकर मवेशियों को पिलाने और खेतों की सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल होता था. पच्चीस-तीस साल पहले इस नदी की पहचान कुछ और थी, आज इसका अस्तित्व भी नहीं बचा. बता दें कि हरमू नदी के उत्तर में हरमू कॉलोनी, अरगोड़ा और अशोक नगर तो दक्षिण में किशोरगंज, गाड़ीखाना और रातू रोड के इलाके हैं. इस नदी के पूरब में पुरानी रांची, हिंदपीढ़ी, पीपी कंपाउंड और मेनरोड के इलाके हैं, जबकि 25 साल पहले पश्चिम में खुले मैदान थे जो मुड़ला पहाड़ तक जाते थे. अब पश्चिम दिशा में विद्यानगर है और उसके पीछे कई छोटी-छोटी कॉलोनियां और मुहल्ले जो मुड़ला पहाड़ी तक बस चुके हैं. यह नदी पानी के लिए इन इलाकों की लाइफ लाइन थी. पर अब इस नदी की पूरी काया पलट गई है. अब यह गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Jharkhand news, Ranchi news, Save water, Water CrisisFIRST PUBLISHED : July 07, 2022, 21:19 IST