चुनाव आयोग की राय पर टिका है झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार का भविष्य ये हैं आसार

Opinion vs Option: खदान लीज मामले में चुनाव आयोग के द्वारा राज्यपाल रमेश बैस को बहुत जल्द भेजे जाने वाली राय की संभावना ने झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. चुनाव आयोग की राय पर हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने और नहीं जाने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने-सामने है.

चुनाव आयोग की राय पर टिका है झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार का भविष्य ये हैं आसार
रांची. झारखंड में इस वक्त हेमंत सोरेन सरकार के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. खदान लीज मामले में चुनाव आयोग के द्वारा राज्यपाल रमेश बैस को बहुत जल्द भेजे जाने वाली राय की संभावना ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. चुनाव आयोग की राय पर हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने और नहीं जाने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने-सामने है. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा किसी भी तरह की आशंका को निर्मूल बताता है. झामुमो के महासचिव विनोद पांडेय कहते हैं कि जो भी फैसला आएगा हम उसके लिए तैयार हैं और उस फैसले के मुताबिक ही हम अपनी रणनीति बनाएंगे और उसका खुलासा भी करेंगे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मुताबिक, यह क्यों माना जा रहा है कि चुनाव आयोग केंद्र के इशारे पर काम करेगा और सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. जब कोई लाभ ही नहीं हुआ है तो फिर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का कोई मामला कैसे लागू होगा. वैसे बता दें कि इन दिनों झारखंड के राजनीतिक गलियारों में हेमंत सरकार को लेकर 3 महत्त्वपूर्ण सवाल उठ रहे हैं. खदान लीज मामले में चुनाव आयोग की राय क्या होगी? चुनाव आयोग की राय पर राज्यपाल रमेश बैस क्या करेंगे? क्या हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता बचेगी या जाएगी? हर कोई जानना चाहता है कि आखिर हेमंत सोरेन का राजनीतिक भविष्य क्या होगा. राजनीतिक दलों की अपनी – अलग-अलग दलीले हैं. सत्ता पक्ष को यह लगता है कि न सिर्फ हेमंत सोरेन, बल्कि सरकार भी पूरी तरह से सेफ जोन में है. जेएमएम के विनोद पांडेय ने कहा है कि चर्चा जरूर हो रही है, पर न तो हेमंत सोरेन को कोई दिक्कत है और न ही सरकार को. चुनाव आयोग के समक्ष खदान लीज से संबंधित सभी दस्तावेज रख दिए गए हैं. अब आयोग को निर्णय लेना है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट जैसी कोई बात नहीं है. धरातल पर जा कर इसकी पड़ताल की जा सकती है. दरअसल रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर खदान लीज के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ माह से चर्चा में है. बीजेपी ने इस मामले को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जोड़ते हुए राज्यपाल से शिकायत की थी. इसी शिकायत के आलोक में राज्यपाल ने चुनाव आयोग से राय मांगी है. 18 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. यही वजह है कि अब सबको चुनाव आयोग की राय का इंतजार है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में दो में से कोई एक फैसला आ सकता है. पहला खदान लीज मामले में चुनाव आयोग से हेमंत सोरेन को राहत मिलने की संभावना है. हेमंत सोरेन के वकील ने खदान लीज मामले को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में नहीं आने का रखा है पक्ष. दूसरा, हेमंत सोरेन की सदस्यता भी समाप्त की जा सकती है. सदस्यता समाप्त होने की स्थिति में सत्ताधारी दल ने अपनी तैयारी कर रखी है. उसने कई रणनीतियां बना रखी हैं. वह सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. राजभवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सौंप सकते हैं इस्तीफा. इस्तीफे के बाद नई सरकार को लेकर फिर से कर सकते हैं दावा. गठबंधन के अंदर नए नेता को चुनने को लेकर भी विकल्प पर विचार हो रहा. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार इस मामले में मुखर दिख रही है. बीजेपी के कई बड़े नेता हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने की संभावना को लेकर सोशल मीडिया पर सक्रिय दिख रहे हैं. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का मानना है कि बीजेपी द्वारा चुनाव आयोग से खदान लीज मामले में शिकायत की गई है. अब चुनाव आयोग को निर्णय लेना है. चुनाव आयोग का जो भी निर्णय होगा, वह सबके लिए मान्य होना चाहिए. जो सहमत नहीं होंगे उनके लिए कोर्ट के दरवाजे खुले हुए हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: CM Hemant Soren, Election commission, Jharkhand news, Trending newsFIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 21:46 IST