यही है दिल्ली पुलिस का तरीका थार वाले को जेल महिला के हत्यारे का पता नहीं

दिल्ली पुलिस को देश की सबसे उम्दा पुलिस फोर्स के तौर पर देखा जाता है. लेकिन हाल की दो घटनाओं से उसके काम काज पर गंभीर सवाल उठे हैं. एक तो उसने राजेंद्र नगर कोचिंग त्रासदी मामले में थार चलाने वाले को जेल भेज दिया. जबकि गोकुलपुरी में रोडरेज में महिला के हत्यारों का सुराग अभी तक नहीं लगा सकी. 

यही है दिल्ली पुलिस का तरीका थार वाले को जेल महिला के हत्यारे का पता नहीं
राजेंद्र नगर की कोचिंग त्रासदी में ‘थार’ चला कर ‘लहरें बना कर बेसमेंट में पानी भर देने’ के आरोप में दिल्ली पुलिस ने राहगीर को जेल भेज दिया, लेकिन सरेराह पति के सामने पत्नी को गोली मार देने वाले बदमाश के बारे में पुलिस फिलहाल कुछ पता नहीं कर सकी है. इन दोनों घटनाओं से दिल्ली पुलिस के इकबाल और काम करने के तरीके का तो सबको पता चल ही गया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने भी राहगीर को पकड़ कर जेल भेजने पर पुलिस की लानत-मलामत ही की है. देश की सबसे उम्दा पुलिस फोर्स इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली पुलिस को देश की सबसे उम्दा पुलिस बल के तौर पर देखा जाता है. लेकिन अजीब सी स्थिति ये है कि दिल्ली पुलिस का इकबाल बदमाशों शहर के बदमाशों को काबू में नहीं रख पाता. आम शहरी भले ही पुलिस का सम्मान करता हो, लेकिन मनबढ़ बदमाशों को पुलिस का बिल्कुल डर नहीं है. अगर डर होता तो रोड रेज की घटनाओं पर अंकुश लगता. फिलहाल, ठीक ठाक समझ वाले वाहन चालक सड़क पर गाड़ियों हल्का फुल्का खरोच लग जाने पर हमेशा खामोश रहने की ही बात कहते हैं. होना भी यही चाहिए. लेकिन चुप चाप आगे बढ़ जाने वाली सलाह दरअसल, मनबढ़ और बदमाशों के डर से दी जा रही है. बदमाशों में कोई खौफ नहीं स्थिति ये बन गई है कि स्कूटी से जा रहा कोई बदमाश वैध अवैध हथियार भी रखे हो सकता है. उसका मिजाज जरा भी गरम हुआ तो हथियार का इस्तेमाल भी कर सकता है. दिल्ली के गोकुलपुरी में ये देखने को मिला. पति पत्नी का एक युवा जोड़ा अपनी मोटरसाइकिल से जा रहा था. उसकी मोटर साइकिल और बदमाश की स्कूटी में हल्का धक्का लगने के बाद बहस शुरु होने लगी. गरमा गरमी के बीच स्कूटी सवार बदमाश ने पिस्तौल निकाल कर मोटर साइकिल वाले की तरफ गोली चला दी. गोली महिला को लगी और अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया. पुलिस अभी तक बदमाश के बारे में कोई सुराग नहीं लगा सकी है. लेकिन रोड रेज की ये पहली और आखिरी घटना नहीं है. राजधानी की सड़कों पर पुलिस की सुरक्षा के नाम पर जब तब बैरिकेड लगा कर आंखों से आते जाते वाहनों को स्कैन करते दिख जाते हैं. वैसे आखों में कितना प्रभावशाली स्कैनर लगा होता है ये थोड़ा कम ही समझ में आता है. क्योंकि पुलिस के सिपाही और सब इंस्पेक्टर काफी दूर से आते जाती गाड़ियों के बीच आपस में बातचीत या फोन देखते दिख जाते हैं. अलबत्ता इससे यातायात जरूर प्रभावित होता है और वाहनों का जाम सा लगने लगता है. हालांकि अक्सर पुलिस वाले ये कहते सुने जाते हैं कि उन्हें पिकेट लगाने का कोई शौक नहीं है. “ऊपर” से आदेश है इसलिए चेकिंग कर रहे हैं. क्विक एक्शन से ही इकबाल कायम होगा हां, पुलिस का शौक अपना इकबाल कायम करने का होना चाहिए. पुराना समय तो है नहीं कि डंडे से इकबाल कायम किया जा सकता है. इस समय पुलिस का डर अपराधियों के मन में तभी हो सकता है जब वो तेजी से एक्शन करके गोली मारने वाले को पकड़ कर जेल भेज दे. इससे लोगों को लगेगा कि इस तरह से सरेराह गोली चला कर भागा नहीं जा सकता. अभी ये भी कहा जा रहा है कि उस सड़क पर कैमरा नहीं था. इस कारण भी पुलिस को दिक्कत आ रही है. वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कैमरे आबादी से बाहर वाली सड़कों पर भी लगवाने चाहिए. सुरक्षा के लिए ये जरूरी है. निश्चित तौर पर दिल्ली पुलिस पर काम का दबाव हो सकता है लेकिन इसके कारण लोगों की सुरक्षा से समझौता करना कत्तई ठीक नहीं है. Tags: Delhi news, Delhi policeFIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 16:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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