मुरुगा मठ के मुख्य पुजारी शिवमूर्ति POCSO केस में गिरफ्तार लेकिन क्यों हुई इतनी देरी जानें
मुरुगा मठ के मुख्य पुजारी शिवमूर्ति POCSO केस में गिरफ्तार लेकिन क्यों हुई इतनी देरी जानें
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत एक दर्ज एक मामले में शरणारू का नाम सामने आया था, जिसमें दो नाबालिग लड़कियों ने आरोप लगाया था कि वर्षों तक उनका यौन शोषण किया गया. इस सनसनीखेज मामले की जांच में देरी ने कई सवाल खड़े किए.
रोहिणी स्वामी/बेंगलुरुः कर्नाटक में प्रभावशाली मुरुगा राजेंद्र मठ के लिंगायत पुजारी शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू को, गुरुवार देर रात स्कूली छात्राओं से यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत एक दर्ज एक मामले में शरणारू का नाम सामने आया था, जिसमें दो नाबालिग लड़कियों ने आरोप लगाया था कि वर्षों तक उनका यौन शोषण किया गया. इस सनसनीखेज मामले की जांच में देरी ने कई सवाल खड़े किए. साथ ही कर्नाटक में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों (भाजपा और कांग्रेस) ने भी इस मामले में चुप्पी साधे रखी. शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद पुलिस अपने पैर घसीटती नजर आई.
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और लिंगायत पुजारी की गिरफ्तारी का राजनीतिक असर भी पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. मुरुगा राजेंद्र मठ, राज्य का एक प्रमुख लिंगायत मठ है, जिसे सभी राजनीतिक दलों के बीच प्रभावशाली माना जाता है. भले ही, यह दावे किए जाते हैं कि लिंगायत मठ अराजनीतिक हैं, लेकिन राजनेताओं को कर्नाटक के इन मठों में कतार में लगे देखा जाता. क्योंकि कर्नाटक में लिंगायत गुरुओं के आशीर्वाद का बहुत प्रतीकात्मक मूल्य होता है. यह राजनीतिक नेताओं और पार्टियों को उनके द्वारा प्राप्त समर्थन का दावा करने में मदद करता है.
कर्नाटक के मठ और उनका राजनीतिक प्रभाव
लिंगायत मठों जैसे सुत्तूर मठ, मुरुगा मठ और अन्य का प्रभाव चुनाव में मतदान किसके पक्ष में करना है से लेकर, राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, यहां तक पड़ता है. इन मठों द्वारा समर्थित नेताओं के दबदबे का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा. साल 2020 में, जब अटकलें लगाई जा रही थीं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को बदला जाएगा, तो मुरुगा मठ के शिवमूर्ति पहले धार्मिक नेताओं में से थे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से येदियुरप्पा का समर्थन किया था.
तब मीडिया को संबोधित करते हुए, शिवमूर्ति ने कहा था, ‘येदियुरप्पा एक जमीनी नेता हैं. उन्होंने पार्टी को कर्नाटक में नए सिरे से खड़ा किया है. उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए.हम यहां उनका समर्थन करने और उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए हैं. अगर उन्हें हटाया जाता है तो पार्टी को राज्य में नुकसान होगा.’ शिवमूर्ति मामले में पुलिस की निष्क्रियता को लेकर कर्नाटक के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी चुप्पी साधना ठीक समझा, क्योंकि उसे राज्य की राजनीति में एक प्रमुख वोट बैंक ‘लिंगायत समुदाय’ के प्रतिशोध का डर था. दरअसल, कर्नाटक में मतदान करने वाली आबादी का लगभग 18% हिस्सा लिंगायत समुदाय से आता है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया, जो आमतौर पर भाजपा के खिलाफ तीखा हमला करते हैं, उन्होंने भी इस मामले में चुप्पी साध ली. शिवमूर्ति ने 2005 में सिद्धारमैया का समर्थन किया था, जब उन्होंने जनता दल (सेक्युलर) छोड़ दिया और AHIDA के बैनर तले अपनी पार्टी बनाने की कोशिश की. सिद्धारमैया बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए और राज्य के मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हाल ही में इस मठ का दौरा किया और शिवमूर्ति द्वारा ‘लिंगायत दीक्षा’ या ‘लिंगायतवाद में दीक्षा’ प्राप्त की. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम मठ और उसके भक्तों के समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए था. यह अब इतना अच्छा काम नहीं कर सकता है.
शिवमूर्ति को गिरफ्तार करने में देरी को लेकर पुलिस का रुख
हालांकि, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस केस के सामने आने के बाद कहा था कि जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी और आश्वासन दिया कि सच्चाई सामने आएगी. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि शिवमूर्ति की गिरफ्तारी को लेकर सरकार धीमी गति से चल रही थी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू की गिरफ्तारी से पहले up24x7news.com से बात की थी और कहा था कि चूंकि यह छोटे बच्चों से जुड़ा एक संवेदनशील मामला है, इसलिए जांचकर्ता सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं. दो युवा लड़कियों के साथ मिलकर काम करने वाले चित्रदुर्ग के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी गिरफ्तारी से पहले up24x7news.com को बताया: ‘पीड़ितों के बयान पुलिस ने दर्ज कर लिए हैं. वे मठ के अंदर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ साहसपूर्वक खड़े हुई हैं और उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है. वे उम्मीद कर रही हैं कि राज्य सरकार उन्हें पर्याप्त सहायता प्रदान करेगी और सुनिश्चित करेगी कि उन्हें न्याय मिले.’
यह पूरा मामला क्या है?
मठ के छात्रावास में रहने वाली दो स्कूली छात्राओं द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद पुजारी शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू के खिलाफ पाॅक्सो एक्ट (POCSO) के तहत मामला दर्ज हुआ. इस मामले में मुख्य पुजारी शिवमूर्ति सहित कुल 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जिनमें एक कनिष्ठ पुजारी, छात्रावास प्रमुख परशिवैया बसवदित्य, मठ कर्मचारी अक्कमहादेवी रश्मी और वकील गंगाधरैया शामिल हैं. मैसूर स्थित एनजीओ ओदानदी सेवा संस्थान की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसने पीड़ित नाबालिग लड़कियों को रेस्क्यू किया था.
इससे पहले गुरुवार को शिवमूर्ति की अग्रिम जमानत याचिका को चित्रदुर्ग की एक स्थानीय अदालत ने 2 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया था. अपनी गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले शिवमूर्ति ने मीडिया से कहा था, ‘यह पहली बार नहीं है जब मठ के खिलाफ साजिश की गई है. पिछले 15 साल से हो रही है. मठ के अंदर की ये साजिशें सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए थीं. मुझे बस इतना कहना है कि मैं बेदाग निकलूंगा, क्योंकि आरोप झूठे और निराधार हैं. जांच में पूरा सहयोग देंगे और इसे तार्किक अंत तक ले जाने में मदद करेंगे. क्योंकि सच्चाई की जीत होगी और हमारी बेगुनाही साबित होगी.’
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Tags: Karnataka, Karnataka News, LingayatFIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 09:11 IST