Exclusive: मानसून का रुख उत्तर की ओर होने की संभावना जानें यूपी-बिहार में कम बारिश पर IMD प्रमुख ने क्या कहा
Exclusive: मानसून का रुख उत्तर की ओर होने की संभावना जानें यूपी-बिहार में कम बारिश पर IMD प्रमुख ने क्या कहा
UP Bihar Weather Monsoon Update, UP Bihar Rains IMD Update: पूरे देश में अब तक मानसून की बारिश 13 फीसद अधिक रही है. मौसम विभाग दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर आशान्वित है, जो भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है. मोहपात्रा का कहना था कि 15 जून तक बारिश कम थी, सामान्य से अधिक बारिश केवल भारत के दक्षिण प्रायद्वीप और उत्तरपूर्व के राज्यों तक ही सीमित रही है.
हाइलाइट्सIMD प्रमुख ने कहा अच्छी बारिश का दौर जारी रहेगा और मौसम के पूर्वानुमान के मुताबिक ही बारिश होगी. मौसम विभाग दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर आशान्वित है, जो भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है. मौसम विभाग के अनुसार 15 जुलाई के बाद मासून गंगा के मैदानी इलाकों की तरफ रुख करेगा.
नई दिल्ली: मानसून (Monsoon News) के पूरे जोरों में होने के अनुमान के बावजूद इस बार बारिश में व्यापक स्तर पर असमानता दर्ज की गई है. खासकर मैदानी इलाकों में कहीं लगातार बारिश का दौर जारी है तो कहीं मौसम लगातार छका रहा है. उत्तरपूर्वी इलाकों में भारी बारिश और उसके बाद पश्चिमी तटों पर अब तक हुई जोरदार बारिश इस बार मानसून का मौसम पूरी तरह तूफानी रहा है.
मौसम विभाग ने कुछ इस तरह की ही भविष्यवाणी की थी, लेकिन दिल्ली सहित कई इलाकों में लगातार मौसम का अनुमान विफल होने की वजह से इस बार मौसम विभाग को काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा है.
न्यूज 18 के साथ एक विशेष साक्षात्कार में मौसम विभाग के महानिदेशक (DGM) एम. मोहपात्रा ने कहा कि हमने चीज़ों को पारदर्शी बनाने की कोशिश की है. जब लोगों ने कहा कि दिल्ली में बारिश नहीं हुई तो हमने जिस तरह का मानसून रहा उसका डेटा दिखाया कि जुलाई 1,2,4 और 12 को व्यापक स्तर पर बारिश हुई और बाकी दिन छिटपुट बारिश अलग-अलग जगह पर देखने को मिली. दरअसल शहरी क्षेत्रों में जमीनी सतह और दूसरे कारकों की वजह से स्थानीय मौसम में काफी भिन्नता दिखाई देती है.
5 दिन आगे के मौसम का पूर्वानुमान लगाने में सफल
मौसम विभाग का कहना है कि मौसम को लेकर उसके पूर्वानुमान की सटीकता में बीते सालों में काफी सुधार आया है. पांच साल पहले तक विभाग 60 फीसद सटीकता के साथ 24 घंटे पहले की मौसम की भविष्यवाणी कर पाता था और अब उसी सटीकता के साथ 5 दिन आगे के मौसम का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है. यही नहीं एक दिन के पूर्वानुमान की सटीकता में लगभग 77 फीसद का सुधार हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘हम यह दावा नहीं करते हैं कि हमसे गलतियां नहीं होती हैं लेकिन गलतियों में काफी हद तक कमी आई है, इसका सबूत है गंभीर मौसमी घटनाओं के दौरान भी ज्यादा से ज्यादा जान बची हैं और बहुत कम जानमाल का नुकसान हुआ,’ यूके और जापान जैसे देशों की तुलना में उष्णकटिबंधीय मौसम की भविष्यवाणी करना काफी चुनौतीभरा होता है, लेकिन इसके साथ ही लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं, अब उनकी मांग बेहद स्थानीय स्तर पर विशेष पूर्वानुमान की है, तो अब हमारा लक्ष्य इसकी सटीकता में 10 -15 फीसद तक सुधार लाना है.
केरल में मानसून के तीन दिन पहले आने की घोषणा से लेकर देश भर में इसकी धीमी प्रगति और फिर बारिश होने तक, विभाग की क्षमताओं पर लगातार सवाल खड़े किये जाते रहे हैं. करीब 140 साल पुराना संगठन अब अपनी नई चुनौतियों का सामना करने की दिशा में कदम बढ़ाने की ओर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
पूर्वानुमान में अंतर
छोटे स्तर पर होने वाली मौसमी घटना जैसे गरज चमक के अंतराल को स्वीकारते हुए महापात्रा ने कहा कि मौसम का पूर्वानुमान गैर-रेखीय, डायनमिक और भूमि, सतह, सागर, बायोस्फीयर, क्रायोस्फीयर और अन्य मौसम सिस्टम के साथ लगातार संपर्क के द्वारा प्रभावित होता है. हम कोशिश करके उसे पैरामीटराइज करते हैं और यह डाटा हमारे मॉडल में डालते हैं. लेकिन जैसे ही छोटे या स्थानीय विशेष स्तर पर छोटी मौसमी घटनाओं की बात करते हैं तो अंतराल आ जाता है. दुनियाभर में इसकी सटीकता कम है, क्योंकि ऐसी घटनाओं के आकलन के लिए मीसो-स्केल और मॉडल चाहिए होता है जिसके लिए उच्च कंप्यूटिंग पॉवर वाले सिस्टम की ज़रूरत होती है. यही हमारा अगला लक्ष्य है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय पूर्वानुमान मॉडल को चलाने के लिए अगले दो सालों में कंप्यूटिंग पॉवर को 10 पेटाफ्लॉप्स से बढ़ाकर 30 पेटाफ्लॉप्स तक बढ़ाने पर काम कर रहा है. इस बढ़ी हुई शक्ति वाले सिस्टम को स्वचालित मौसम स्टेशन और रडार दोनों से मदद मिल सकेगी ताकि डेटा अवलोकन में वृद्धि हो सके.
मौसम विभाग ने अगले तीन सालों में अपनी रडार क्षमता को 34 से बढ़ाकर 65 करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें आठ एक्स-बैंड रडार उत्तर पूर्व में, तीन उत्तराखंड में और 11 सी-बैंड रडार मैदानी इलाकों के लिए हैं. शहर के मौसम की बेहतरी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, 4 नए रडार मुंबई में लगाए जाएंगे, इसके अलावा पांच शहरों में एक रडार लगाया जाएगा, इन शहरों में हैदराबाद, बेंगलुरु और कोलकाता शामिल है.
मोहपात्रा का कहना है कि एक बार शुरुआती आकलन दुरुस्त हो गया तो मॉडल के आउटपुट में अपने आप सुधार हो जाएगा और इससे सटीक पूर्वानुमान मिलने लगेगा. इसके लिए हमें अतिरिक्त लोगों की ज़रूरत भी पड़ेगी, जिसके लिए हम लोगों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर भी काम कर रहे हैं.
विभाग ने हाल ही में तूफान के अनुमान के लिए दो नए मॉडल लगाए हैं- इनमें से एक विशेषतौर पर उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण प्रायद्वीप क्षेत्र के लिए हैं और दूसरा मॉडल से बिजली गिरने का डाटा मिलता है. बिजली अपने आप में बहुत घातक है. और भारत दुनिया के उन पांच देशों में हैं जहां बिजली गिरने का पूर्वानुमान और चेतावनी प्रदान की जाती है.
चरम मौसमीय घटनाओं में वृद्धि
चरम मौसम की घटनाओं के बढ़ने से इसके पूर्वानुमान की क्षमताओं में सुधार के प्रयासों में भी तेजी लाई गई है. मानसून के जल्दी आने से जहां खुशी का माहौल है वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन ने अब तक तबाही मचा रखी है. अब यह आपदाएं पश्चिम तट की और मुड़ गई हैं और गुजरात और महाराष्ट्र में तबाही मचा रही हैं.
मौसम विभाग के अनुसार गुजरात में हुई अत्य़धिक बारिश, इस मानसून में सभी मैदानी इलाकों में इस मौसम में होने वाली बारिश में सर्वाधिक है. खास बात यह है कि जलवायु के हिसाब से यह वो जगह हैं जहां पर आमतौर पर भारी वर्षा होती है, लेकिन निश्चिततौर पर भारी वर्षा के दिनों में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति दर्ज की गई है.
मानसून की प्रगति
पूरे देश में अब तक मानसून की बारिश 13 फीसद अधिक रही है. मौसम विभाग दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर आशान्वित है, जो भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है. मोहपात्रा का कहना था कि 15 जून तक बारिश कम थी, सामान्य से अधिक बारिश केवल भारत के दक्षिण प्रायद्वीप और उत्तरपूर्व के राज्यों तक ही सीमित रही, खासतौर पर इस वजह से असम और मेघालय को गंभीर बाढ़ का सामना करना पड़ा. लेकिन जून के मध्य से मानसून ने रफ्तार पकड़ी. अकेले जुलाई के महीने में अब तक 35 फीसद अधिक बारिश हो चुकी है.
जुलाई 14 तक 35 सब-डिवीजन में से 29 में सामान्य से अत्यधिक बारिश दर्ज की गई है हालांकि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और केरल में कम बारिश हुई है. मौसम विभाग प्रमुख के मुताबिक बारिश अपनी गति बनाए रखेगी और 15 जुलाई के बाद गंगा के मैदानी इलाकों की तरफ रुख करेगी. अगले दो हफ्तों में उत्तर पश्चिमी भारत में बारिश सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.
आईएमडी प्रमुख ने आत्मविश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि, ला नीना की स्थिति जारी है और जुलाई के महीने में अनुकूल निम्न दबाव प्रणालियां बन रही हैं. तमाम स्थितियों से पता चलता है कि अच्छी बारिश का दौर जारी रहेगा और मौसम के पूर्वानुमान के मुताबिक ही बारिश होगी. मानसून के पास अभी काफी वक्त है.
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Tags: IMD alert, Monsoon, Weather forecast, Weather news, Yogi adityanathFIRST PUBLISHED : July 15, 2022, 16:13 IST