मरीजों के इलाज में गजब है DSA विधि जानें कैसे और किन रोगियों के लिए कारगर

मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू होने से पहले मरीज को दिल्ली, चंडीगढ़ या लखनऊ पीजीआई के चक्कर लगाने पड़ते थे. वहीं प्राइवेट अस्पतालों की अगर बात की जाए तो इस जांच को करने के लिए मरीजों को काफी मोटा खर्चा करना पड़ता था. लेकिन अब सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट में सरकारी रेट 7000 रुपये में ही इस जांच की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गई है.

मरीजों के इलाज में गजब है DSA विधि जानें कैसे और किन रोगियों के लिए कारगर
मेरठ. गर्मी के मौसम में जिस प्रकार तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही है, उसमें हीट स्ट्रोक की संभावना काफी बढ़ रही है. अगर दिमाग पर इसका असर हो जाए तो दिमाग से संबंधित विभिन्न प्रकार की ऐसी बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं, जिनका समय रहते अगर उपचार न किया जाए, तो काफी विषम परिस्थितियों में यह तब्दील हो जाती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश से संबंधित जिलों में रहने वाले मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है. अगर हीट स्ट्रोक के कारण किसी भी प्रकार की कोई समस्या पैदा हुई है, तो लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में संचालित सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में डिजिटल सबट्रेक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए विधि) के माध्यम से जांच कर ऐसे सभी मरीजों का तुरंत इलाज शुरू कर दिया जा रहा है. न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष डॉक्टर दीपिका सागर बताती हैं कि मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू होने से पहले मरीज को दिल्ली, चंडीगढ़ या लखनऊ पीजीआई के चक्कर लगाने पड़ते थे. वहीं प्राइवेट अस्पतालों की अगर बात की जाए तो इस जांच को करने के लिए मरीजों को काफी मोटा खर्चा करना पड़ता था. लेकिन अब सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट में सरकारी रेट 7000 रुपये में ही इस जांच की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गई है. जिसके माध्यम से मरीजों को बेहतर ट्रीटमेंट आसानी से उपलब्ध हो सकेगा. उन्होंने बताया कि न्यूरोलॉजी ओपीडी में मरीजों की संख्या में पहले के मुकाबले मरीज की संख्या भी बढ़ गई है. प्रतिदिन 300 से 400 मरीज दिखाने के लिए आते हैं. बीमारी का पता लगाने के साथ हो जाता है उपचार डॉ दीपिका सागर बताती हैं कि डीएसए विधि के माध्यम से जब मरीज के दिमाग में जांच की जाती है, तो उससे ब्रेन हेमरेज, ब्रेन स्ट्रोक, नसों में समस्या सहित अन्य प्रकार की बीमारी का भी तुरंत पता चल जाता है. इसमें किसी भी प्रकार से अलग सर्जरी करने की आवश्यकता नहीं होती. जिस विधि से मरीज की बीमारी का पता लगाया जाता है, उसी विधि के माध्यम से तुरंत मरीज को ट्रीटमेंट भी उपलब्ध करा दिया जाता है, जिससे कि ऑन द स्पॉट ही उसका रिजल्ट भी देखने को मिलता है. यह होती है विधि बताते चलें कि डिजिटल सबट्रेक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) टेस्ट काफी आधुनिक विधि मानी जाती है. इस टेस्ट के द्वारा दिमाग की सभी प्रकार की खून की नसों की जांच की जाती है. इस टेस्ट में एक कैथिटर द्वारा दिमाग की खून की नसों तक पहुंचा जाता है. उसके बाद नसों में होने वाले प्रवाह को देखा जाता है. इस टेस्ट की मदद से ब्रेन स्ट्रोक एवं दिमाग की अन्य बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं, इस टेस्ट के द्वारा दिमाग में होने वाली ब्लीडिंग, खून का थक्का जमना, दिमागी नसों में आपस में होने वाले गलत कनेक्शन के बारे में भी सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इस विधि के माध्यम से एक महिला मरीज का ट्रीटमेंट किया गया है, जो कि स्वस्थ है. Tags: Local18, Meerut news, UP newsFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 17:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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