उपचुनाव से मिली संजीवनी के बाद मायावती का जोश हाई 30 जून को बुलाई बड़ी बैठक
उपचुनाव से मिली संजीवनी के बाद मायावती का जोश हाई 30 जून को बुलाई बड़ी बैठक
लोकसभा उपचुनाव में बसपा (BSP) प्रत्याशी तीसरे नम्बर पर रहे मगर गुडडू शाह जमाली को मिले 29 प्रतिशत वोट के चलते बसपा प्रमुख मायावती (BSP chief Mayawati) का जोश हाई है.
ममता त्रिपाठी
लखनऊ. लोकसभा उपचुनाव में बसपा (BSP) प्रत्याशी तीसरे नम्बर पर रहे मगर गुडडू शाह जमाली को मिले 29 प्रतिशत वोट के चलते बसपा प्रमुख मायावती (BSP chief Mayawati) का जोश हाई है और वो अपनी पार्टी के इस बढ़े हुए जोश को बरकरार रखने के लिए उन्होने 30 जून को पार्टी की एक बड़ी मीटिंग लखनऊ में बुलाई है. मायावती विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही लगातार समाजवादी पार्टी के खिलाफ बोल रही थीं, एक समुदाय विशेष को बरगलाने का आरोप वो चुनाव के नतीजों के बाद से ही सपा पर लगातार लगाती रही थीं.
राजनीति के जानकारों का मानना है कि आजमगढ़ के उपचुनाव के असली ‘शाह’ गुडडू जमाली ही रहे जिन्होने सपा की जीत की राह कंटीली कर दी. मायावती का पूरा फोकस अब 2024 के लोकसभा चुनावों पर है. 2007 में जातियों की सोशल इंजीनियरिंग करके प्रदेश की सत्ता में पहली बार पूर्ण बहुमत में आई बसपा सुप्रीमो फिर से अपने पुराने फार्मूले दलित-मुस्लिम पर ज्यादा फोकस कर रही हैं. हालांकि विधानसभा चुनावों की हार की समीक्षा के दौरान मायावती ने पार्टी में चार समूह बनाने की बात कही थी, दलित, ओबीसी, मुस्लिम और सवर्णों के.
बसपा छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं ने सपा का दामन थामा था
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं ने सपा का दामन थामा था क्योंकि सपा सियासी हलकों में ये माहौल बनाने में कामयाब हो गई थी कि भाजपा का विकल्प सिर्फ सपा ही है. यही वजह रही कि ये धारणा जनता में भी आम हो गई कि बसपा रेस में नहीं है जिसके चलते कुछ सीटों पर जाटव और गैर जाटव दोनों ने ही सपा को वोट किया. मंझी हुई राजनेता मायावती सबसे ज्यादा परेशान इस बात से रहीं कि 95 प्रतिशत मुस्लिमों ने विधानसभा में सपा को वोट किया. आपको बता दें कि मायावती 2007 में जिस सोशल इंजीनियरिंग की बदौलत सत्ता में आई थीं उसमें मुस्लिमों वोटरों की तादाद अच्छी खासी थी. मायावती ने विधानसभा चुनाव की उसी हार का बदला लेने के लिए आजमगढ़ से मुस्लिम प्रत्याशी उतारा और सपा के मुस्लिम वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी की जिसके चलते सपा इस सीट पर कांटे की टक्कर में हार गई. दूसरी तरफ रामपुर से कोई भी उम्मीदवार ना उतार कर मुस्लिमों को ये संदेश दिया कि बसपा मुसलमानों का सम्मान करती है.
मायावती की रणनीति से चुनाव में सपा को हुआ नुकसान
विधानसभा के चुनावों में भी मायावती ने इसी रणनीति के तहत जहां सपा के मुस्लिम उम्मीदवार थे वहां मुस्लिम प्रत्याशी दिए थे जिसके चलते कई सीटों पर सपा को बहुत कम वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. चार बार देश के सबसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती की पार्टी का महज एक विधायक है जिसके बाद मायावती फिर से अपनी पार्टी को खड़ा करने में लगी हैं. मायावती को लगता है कि प्रदेश में एंटी बीजेपी वोटबैंक का बड़ा हिस्सा सपा के साथ चला गया है जिसको अपने पाले में करने के लिए वो लगातार समुदाय विशेष के सम्बोधन के साथ बयान दे रही हैं. बसपा के नेताओं का मानना है कि भाजपा के वोटबैंक के चक्रव्यूह को भेदना फिलहाल काफी मुश्किल है.
मायावती ने किए बड़े बदलाव, सोशल मीडिया पर भी हैं सक्रिय
दलित चिन्तक डाक्टर रविकांत का मानना है कि 2022 के विधानसभा नतीजों के बाद से ही सियासी गलियारों में ये चर्चा आम हो गई है कि बसपा खत्म हो चुकी है. मायावती इस चर्चा को गलत साबित करने के लिए अपने वोटरों के बीच ये स्थापित करना चाहती हैं कि वो अभी भी रेस में हैं. हालांकि भाजपा की अपनी अंदरूनी रिपोर्ट के जरिए ये बात साबित हो चुकी है कि भाजपा के पास मायावती का एक बड़ा वोटबैंक शिफ्ट हुआ है. मायवती ने इसीलिए चुनाव के तुरंत बाद अपनी पार्टी की पूरी कार्यकारिणी को भंग करके नए सिरे से गठन किया और अपने भतीजे आकाश को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दे दी ताकि दरक रहे संगठन को युवाशक्ति के जोश और अपने तजुर्बे से नई दिशा दे सकें. कई नेताओं को चिन्हित करके पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया. मायावती राजनीति करने के अपने तौर तरीकों में भी बदलाव ला रही हैं, सोशल मीडिया पर देश में हो रहे मामलों पर उनकी प्रतिक्रिया तुरंत आती है.
मिशन 2024 की तैयारियों में जुट गई है बसपा
बसपा में फिर से भाई चारा कमेटी की शुरूआत की जा रही है साथ ही व्यक्तिगत सम्पर्क पर पार्टी का ज्यादा जोर है. गांव गांव दरवाजे दरवाजे जाकर अपने लोगों को समझाना और बहुजन समाज के बारे में फिर से जागरूक करना पार्टी के एजेंडे में शामिल है. बसपा के वरिष्ठ मुस्लिम नेता का कहना है कि हमारा मुकाबला भाजपा से है जो कि हर वक्त चुनावी मोड में रहती है. समाजवादी पार्टी के नेता तो पार्ट टाइम राजनीति कर रहे हैं, अपने गलत फैसलों की वजह से उनकी पार्टी तो खुद ही खत्म हो जाएगी. बहुजन समाज पार्टी बहन जी के मार्ग दर्शन में मिशन 2024 की तैयारियों में जुट गई है. आजमगढ़ में मुस्लिम भाइयों ने साबित कर दिया है कि बसपा ही उनकी अपनी पार्टी है.
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Tags: BSP, BSP chief Mayawati, By electionFIRST PUBLISHED : June 29, 2022, 17:58 IST