आंदोलन की उपज ममता बनर्जी को क्यों डॉक्टरों के सामने घुटने टेकने पड़े
आंदोलन की उपज ममता बनर्जी को क्यों डॉक्टरों के सामने घुटने टेकने पड़े
ममता बनर्जी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर आंदोलन कर रहे डॉक्टरों की बातें मान लीं. उन्हें झुकना पड़ा लेकिन इसमें आंदलोनों से उपजी ममता दीदी ने 38 दिन का वक्त लिया. पढ़िए आखिर क्यों इतना वक्त लगा
तकरीबन 17 साल पहले 14 मार्च 2007 को नंदीग्राम में पुलिस की गोली से 14 लोग मारे गए थे. देश भर में इस घटना का असर हुआ. उस समय की कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्या के लिए कहा जाने लगा कि उनके हाथ खून से रंगे हुए हैं. कालाकार मन वाले मुख्यमंत्री इससे बहुत दुखी थे. उन्होंने अपनी ये तकलीफ साझा की थी, बांग्ला फिल्मों के सुपरस्टार सौमित्र चटर्जी से. सौमित्र चटर्जी ने उन्हें सलाह दी कि वे नंदीग्राम जा कर वहां के लोगों से माफी मांग ले. उनका दुख हल्का हो जाएगा और लोगों के जख्मों पर भी मरहम लग जाएगा. बुद्धदेब ये नहीं कर सके. लेकिन नंदीग्राम के बाद ही देश भर का ध्यान आकर्षित करने वाली ममता बनर्जी ने ये कर दिखाया. वे कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में रेप-मर्डर मामले पर आंदोलन कर रहे डॉक्टरों के धरनास्थल पर भी गईं. इसका नतीजा ये हुआ कि वे डॉक्टरों से बातचीत कर सकीं.
क्यों झेला 30 दिनों तक आंदोलन
नंदीग्राम की ही घटना थी, जहां से ममता बनर्जी को लाल दुर्ग फतह करने की असली ताकत मिली थी. 32 सालों के शासन को खत्म करने का सेहरा उनके सर सजा. हालांकि ममता बनर्जी राज्य में पहले से आंदोलनों के लिए ही जानी जाती रही. ममता ही हैं जिन्होंने कांग्रेस के हाथ से निकल गए पश्चिम बंगाल पर कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को उखाड़ा. ममता को आंदोलनों में तप कर निकले मुख्यमंत्री के तौर पर ही जाना जाता है. लेकिन आंदोलनों से उपजी इस मुख्यमंत्री को आखिर क्यों एक महीना आठ दिन से ज्यादा वक्त तक अपने खिलाफ आंदोलन झेलना पड़ा? ये बड़ा अहम सवाल है.
आखिर आंदोलनकारियों के बीच जाना पड़ा
इस सवाल का जवाब भी ममता के ही कदम से मिलता है. इतने लंबे आंदोलन के बाद वे जब आंदोलनकारी डॉक्टरों के बीच गईं तो अब हालात उनके पाले में आते दिखने लगें. ममता बनर्जी ने सबसे पहले गुरुवार को डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए न्योता दिया. डॉक्टरों ने नब्बना ( राज्य सरकार का सचिवालय) में आने से मना कर दिया था. डॉक्टरों की मांग थी कि बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग होनी चाहिए. तभी वे बातचीत करेंगे. मान मनौव्वल की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई और बातचीत नहीं हो सकी. दो दिन बाद मुख्यमंत्री डॉक्टरों के धरना स्थल पर खुद पहुंच गईं.
डॉक्टरों को फिर से मुख्यमंत्री आवास में बैठ कर बातचीत का न्योता भेजा गया. इस बार भी उन्होंने शर्तें लगाई लेकिन कुछ अजीब तरह से. डॉक्टरों ने लिखा कि वे बातचीत तभी करेंगे जब लाइव स्ट्रीमिंग हों, अगर न हो तो वीडियो रिकॉर्डिंग हो और ये भी न हो तो बैठक के मिनिट्स साझा किए जाएं. अब स्थितियां ममता के पाले में थी. उनके प्रशासन ने मिनिट्स साझा करने का विकल्प दे दिया. बातचीत हुई और पुलिस कमिश्नर, इलाके के एसीपी को हेल्थ सेक्रेट्री और हेल्थ एजुकेशन सेक्रेट्री को हटाए जाने की शर्त पर आंदोलन समाप्त करने का फैसला हुआ. हालांकि आंदोलन करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें जब तक लिखित में इनके लागू होने की सूचना नहीं मिलेगी, उनका आंदोलन जारी रहेगा.
पहले भी कर खत्म कर सकती थीं गतिरोध?
खैर इस पहल से ममता ने जो गतिरोध खत्म किया, उसे वे पहले भी कर सकती थी. शुरुआती गलती मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल संदीप घोष का तबादला दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेज में करके प्रशासन ने गलती की थी. कोलकाता में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार अनिकेत चटोपाध्याय कहते हैं कि देश के दूसरे हिस्सों की ही तरह आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भी भ्रष्टाचार हो रहा था. लेकिन भ्रष्टाचार और रेप मर्डर दोनों अलग अलग मामले थे. भ्रष्टाचार करने वालों के बड़े नेताओं से तार जुड़े होते हैं, जिससे वे बच जाते हैं. इस लिहाज से भ्रष्टाचार में लगे और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर एक्शन लिया ही जाना चाहिए. इसमें देर हुई.
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हालांकि अनिकेत चटोपाध्याय का ये भी कहना है कि रेप-मर्डर और भ्रष्टाचार में सीधा कोई रिश्ता नहीं है. ये 70 के दशक की फिल्मों में देखने को मिलता था कि लड़की को कोई लाल डायरी मिली और खलनायक ने उसे मार दिया. या फिर हीरो ने उसे बचा लिया. हां, ये रिश्ता हो सकता कि भ्रष्टाचार में लगा अस्पताल प्रशासन सुरक्षा वगैरह के इंतजाम की अनदेखी कर रहा हो. लेकिन इन दोनों को अलग अलग करके रखने पर ही दोषी को जल्दी सजा मिल सकती है. ( सौमित्र चटर्जी ने बुद्धदेब भट्टाचार्या से हुई अपनी बताचीत अनिकेत चटोपाध्याय को ही बताई थी.)
Tags: Kolkata news today, Mamta BanerjeeFIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 12:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed