कैसे होता है खतरनाक जानवरों का रेस्क्यू ऑपरेशन एक्सपर्ट ने बताई कहानी
कैसे होता है खतरनाक जानवरों का रेस्क्यू ऑपरेशन एक्सपर्ट ने बताई कहानी
Animal Rescue Operation: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट उत्कर्ष शुक्ला पूरे देश के अलग-अलग कोनों में जाकर शेर, बाघ से लेकर डॉल्फिन, मगरमच्छ और घड़ियाल तक का रेस्क्यू ऑपरेशन कर चुके हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
लखनऊ/अंजलि सिंह राजपूत: जानवरों के रेस्क्यू ऑपरेशन (Animal Rescue Operation) के बारे में आपने बहुत बार सुना होगा. लेकिन सवाल यह है कि आखिर इसे अंजाम देता कौन है. डॉ. उत्कर्ष शुक्ला देश के जाने-माने वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट हैं. वर्तमान में वो लखनऊ चिड़ियाघर के उपनिदेशक के पद पर हैं. पूरे देश के अलग-अलग कोनों में जाकर शेर, बाघ और तेंदुआ से लेकर डॉल्फिन, मगरमच्छ और घड़ियाल तक का रेस्क्यू ऑपरेशन वो कर चुके हैं. उन्होंने अपनी इस जर्नी का साझा किया Local18 से बात करते हुए.
कैसे होता है जानवरों का रेस्क्यू ऑपरेशन?
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट उत्कर्ष शुक्ला की रेस्क्यू ऑपरेशन की जर्नी बिल्कुल भी आसान नहीं रही. जानकर हैरानी होगी कि एक रेस्क्यू ऑपरेशन में तेंदुए ने इन पर हमला भी कर दिया था. इसके बाद एक्सपर्ट के पेट, हाथ और पीठ पर चोंट लगी थी. फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी और तेंदुए को ट्रैंक्विलाइज़र से डार्ट किया. इसके बाद अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज कराया.
डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि वाइल्डलाइफ फील्ड में काम करते हुए उन्हें लगभग 31 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है. पिता उदय शंकर शुक्ला जूलॉजी के प्रोफेसर थे. पिता की वजह से भी डॉ. उत्कर्ष का जानवरों के प्रति रुझान बढ़ता गया. उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने सहारनपुर से अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वेटरनरी की डिग्री ली और वहां से लखनऊ चिड़ियाघर आ गए, क्योंकि डॉक्टर रामकृष्ण दास का नाम सुना था और उनसे काफी कुछ सीखना था.
जब तेंदुए ने कर दिया था बुरी तरह से घायल
डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि साल 2006-2007 के बीच में हरदोई के एक छोटे से गांव में तेंदुआ निकल आया. इन्हें आदेश मिला कि उसे रेस्क्यू करना है क्योंकि वहां गांव वाले इकट्ठा हो गए हैं और सब मिलकर उसे मार देंगे. तेंदुए की जान बचाने के लिए डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला अपनी टीम के साथ वहां के लिए रवाना हुए. कम संसाधन थे और टीम भी बहुत छोटी सी थी. ऐसे में जब वहां पहुंचे तो देखा कि तेंदुआ एक कुएं के अंदर बैठा हुआ है.
उनको लगा कि इसी वक्त उसे डार्ट कर दिया जाए लेकिन जैसे उन्होंने अपनी ट्रैंक्विलाइज़र गन निकाली और उसे डार्ट करने का सोचा तेंदुआ बाहर उछल कर आ गया. उसने उन्हें पकड़ लिया और उनके पेट, पीठ और हाथ फाड़ दिया. लोगों को लगा अब रेस्क्यू ऑपरेशन असफल हो जाएगा लेकिन डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला तेंदुए की जान बचाना चाहते थे इसलिए उन्होंने किसी तरह अपने आप को संभाला और तेंदुए को डार्ट करके लखनऊ चिड़ियाघर ले आए.
गैंडे का रेस्क्यू था सबसे मुश्किल
डॉ. शुक्ला ने बताया कि दुधवा नेशनल पार्क से एक गैंडा निकल आया था. वो तेजी से मुरादाबाद की ओर बढ़ रहा था. असम से टीम बुलाई गई उसके रेस्क्यू के लिए लेकिन टीम पूरी तरह से असफल रही. इसके बाद डॉ. उत्कर्ष शुक्ला की ड्यूटी लगाई गई. जहां पर बेहद कम संसाधन और छोटी सी टीम के बीच 10 दिन लग गए लेकिन गैंडा हाथ नहीं आया. दसवें दिन उन्हें लगा कि अब यह काम मुश्किल है और नहीं हो पाएगा लेकिन उनके वरिष्ठों ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया और एक बार और कोशिश करने के लिए कहा. अगले ही दिन सुबह 4:00 बजे डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला फिर गैंडे की लोकेशन पर पहुंचे और उसे सफलतापूर्वक डार्ट कर लिया.
Tags: Animal, Local18, Lucknow newsFIRST PUBLISHED : May 9, 2024, 16:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed