ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए करें इन 4 सब्जियों की खेती किसान हो जाएंगे मालामाल
ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए करें इन 4 सब्जियों की खेती किसान हो जाएंगे मालामाल
Vegetable Farming: यूपी के बाराबंकी में किसान सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. ऐसे में कृषि उपनिदेशक श्रवण कुमार ने बताया कि सितंबर माह में किसान बैंगन, लहसुन, हरी मटर और ब्रोकली की फसल कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: महर्षि भृगु को मोक्ष देने वाली भृगु नगरी की कहानी बड़ी रोचक है. एक से एक महान संतों ने यहां जन्म लेकर इस पवित्र धरा के इतिहास को और पावन बना दिया. बिल्कुल सही सुना आपने आज हम एक ऐसे संत के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी चर्चा आज भी बड़े भक्ति भाव से की जाती है. एक ऐसे महान संत जिनकी समाधि स्थल लाखों लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. एक ऐसे महान संत जिसने मात्र 11 वर्ष की कम आयु में शरीर के सारे संबंधों को त्याग कर जन्म भूमि को छोड़ दिया. जी हां हम बात कर रहे हैं सिद्ध महात्मा रामबालक दास महाराज की…
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि बाबा ने जीते जी तो लोगों का कल्याण किया ही मरने के बाद उनकी समाधि स्थल लोगों का कल्याण करती है, इसलिए बहुत दूर-दूर से लोग आज भी बाबा के समाधि स्थल पर शीश झुकाने के लिए आते हैं.
छोटी उम्र में जन्मभूमि छोड़ पहुंच गए अयोध्या…
इतिहासकार ने आगे बताया कि बाबा 11 वर्ष की अल्पायु में सब कुछ छोड़कर 1960 में श्रृंगारवन सिरसावन चित्रकूट के महात्यागी महात्मा सियाराम दास महाराज पेड़ पर तपस्या करने वाले रामानदीय विरक्त वैष्णवी महात्यागी की दीक्षा ली. रामबालक दास जी के गुरु शरीर छोड़ने से पहले हनुमान टेकरी सिरसावन चित्रकूट धाम की गुरु गद्दी को इन्हें सौप दिया. यहां तक की कामेश्वर धाम कारो बलिया की गद्दी पर भी राम बालक दास महाराज ही विराजमान रहे.
गंगासागर से गंगोत्री तक की यात्रा, 7 वर्ष तक मौन व्रत…
ऐसी मान्यता है कि सीताराम सरकार की कृपा से इन्होंने सरयू नदी के धारा के साथ गंगासागर से गंगोत्री तक की यात्रा की. वापसी में ऋषिकेश, हरिद्वार, यमुना नदी के किनारे कुछ दिन और शूकर वराह क्षेत्र बहराइच में भी रहे. सन 1960 ईस्वी में ही पत्र यात्रा करते बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र के बड़का खेत गंगा जी के तट पर 7 वर्ष तक इस महान संत ने मौन व्रत तपस्या किया. 1967 में इन्होंने बड़का खेत से पदयात्रा करते हुए द्वारा चांदी दियर, बलुआ, गोपाल नगर के बाद सरयू नदी के किनारे आए. जहां 12 वर्षों तक भक्ति में लीन रहे. इनसे मिलने के लिए देश-विदेश से लोग आते थे इनकी मृत्यु (सन 2018) के बाद भी बहुत दूर-दूर से भक्त बाबा के दर्शन को आते हैं.
रोम-रोम हुआ श्री सीताराममय…
इतिहासकार ने आगे बताया कि वर्णित तथ्यों के मुताबिक रामबालक दास जी का रोम रोम श्री सीताराममय हो गया था. यह श्री सीताराम मंत्र का जाप करते थे. किसी के निवेदन करने पर की बाबा मेरे घर चलिए तो बाबा यह कह कर मन कर देते थे कि, “साधु संत को गांव में नहीं जाना चाहिए मैं एकांत में शांत हूं’.
Tags: History of India, Local18FIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 09:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed