7वें चरण क्यों हो रही है दलित-पिछड़ों की बात! जानें 13 सीटों का जातीय समीकरण
7वें चरण क्यों हो रही है दलित-पिछड़ों की बात! जानें 13 सीटों का जातीय समीकरण
लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होना है. चुनावी महासमर के इस आखिरी सातवें द्वार को जीतने के लिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोक दी है. उत्तर प्रदेश में इस चरण में 13 सीटों पर मतदान होना है. इन 13 सीटों में सिर्फ दो घोसी और गाजीपुर पर गैरबीजेपी प्रत्याशी जीत सके थे. बाकी 11 सीटें बीजेपी के पास हैं. फिर भी यहां के जातिगत समीकरणों की वजह से लगातार दलित और पिछड़े मतदाताओं पर सभी दल डोरे डाल रहे हैं और उन्हीं की चर्चा की जा रही है.
Lok Sabha Elections 2024 Phase 7 Voting: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में 1 जून को उत्तर प्रदेश में की 13 सीटों पर मतदान होना है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी भी है. वहां तो जानकारों को कोई खास लड़ाई नहीं दिख रही, लेकिन बाकी सीटों पर सत्ताधारी बीजेपी को जोर लगाना पड़ रहा है. वाराणसी के अलावा सातवें चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश की चंदौली, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, राबर्ट्सगंज, सलेमपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज और बांसगांव सीटों पर मतदान होना है.
तकरीबन इन सभी सीटों पर दलित और पिछडे़ वर्गों के वोटर निर्णायक हैं. पारंपरिक तौर इन वर्गों के वोटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा है, लेकिन पिछले दो चुनावों में मोदी फैक्टर ने सारे समीकरणों को उलट-पुलट कर दिया था. इस बार भी बीजेपी उसी तरह के नतीजों की उम्मीद कर रही है तो कांग्रेस के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी अपना वोट बैंक वापस पाने की कोशिश कर रही है.
अंसारी फैक्टर- गाजीपुर और घोसी
लोकसभा चुनाव के 7वें और अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी के बाद जिन सीटों पर खास नजर है वे हैं- गाजीपुर और घोसी. ये दोनो वे सीटें हैं जिन पर ऐन चुनाव से पहले जेल में कैद के दौरान बीमारी से मरने वाले मुख्तार अंसारी का पर्याप्त असर रहा है. गाजीपुर लोकसभा सीट से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी मैदान में हैं तो, घोसी सीट बीजेपी से तालमेल कर मैदान में सुभासपा के अरविंद राजभर हैं. अरविंद अपनी पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे हैं. घोसी सीट पर राजभर समुदाय की अच्छी खासी तादाद है, लेकिन इस सीट पर मुख्तार अंसारी से सहानुभूति रखने वाले मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. मुख्तार घोसी विधान सभा सीट से पांच बार विधायक रह चुका था. मुख्तार अंसारी का बेटा यहां से विधायक है. ऐसे में राजभर की राह कठिन दिख रही है. समाजवादी पार्टी से घोसी सीट पर पार्टी के प्रदेश सचिव राजीव राय लड़ रहे हैं. कभी कल्पनाथ राय की सीट रहे घोसी में भूमिहार जाति के मतदाताओं की बहुतायत है. यहां से बीएसपी से बालकृष्ण चौहान मैदान में हैं. चौहान 1999 में घोसी से बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. घोसी सीट से वर्तमान में बहुजन समाज पार्टी के अतुल राय सांसद हैं.
घोसी सीट की जातिगत रसायन के बारे में बताया जाता है कि यहां 5 लाख वोटर एससी समुदाय के हैं. करीब ढाई -ढाई लाख यादव और चौहान हैं. यहां चौहान भी पिछड़े वर्ग में आते हैं. जबकि मुसलमान वोटरों की संख्या 3 लाख और ब्रह्मण, क्षत्रीय, भूमिहार, वैश्य भी एक-एक लाख माने जाते हैं. लेकिन रोचक ये है कि इस सीट से 14 बार भूमिहार समुदाय के नेता चुनाव जीत चुके हैं. इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के झारखंडे राय भी शामिल हैं.
गाजीपुर सीट की बात की जाए तो वहां अफजाल अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं. मुख्तार के बड़े भाई अफजाल पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं. अफजाल को कृष्णानंद हत्याकांड में निचली अदालत से चार साल की सजा हो चुकी है. उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने की हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. अगर मतदान के पहले उनकी याचिका खारिज हो जाती है तो वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे. हालांकि इसके प्लान बी के तौर पर उन्होंने अपनी बेटी का नामांकन करा रखा है. उस स्थिति में वे अपने वोट बैंक को बेटी को ट्रांसफर कर देंगे. सोमवार को इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है.
गाजीपुर सीट पर पिछला चुनाव बीजेपी के मनोज सिन्हा अफजाल से हार गए थे. इस सीट पर बीजेपी की ओर से पारसनाथ राय मैदान में हैं. यहां पर यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है. अखिलेश यादव ने पिछली बार बीएसपी से जीते अफजाल अंसारी को पार्टी टिकट दिया है और उन्हें जिताने में लगे हुए हैं. यहां राजपूत, कुशवाहा, बिंद वैश्य और मुस्लिम समुदाय ऐसे हैं जिनकी अपनी अपनी संख्या डेढ़ से दो लाख के आसपास है. बीजेपी को सवर्ण जातियों के साथ राजभर की पार्टी के समर्थन की उम्मीद है तो अफजाल को अपनी ताकत के साथ अपने भाई के प्रति सहानुभूति का भरोसा है. बीएसपी से डॉ. उमेश कुमार मैदान में है. वे बीएचयू के छात्र नेता रह चुके हैं.
बलिया – चंद्रशेखर के समर्थकों बनाम एकजुट होते ब्राह्मण यादव
बलिया लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है. यहां करीब तीन लाख ब्राह्मण हैं. इसके बाद यादव, राजपूत और दलित वर्गों के मतदाता हैं. तीनों वर्गों की ताकत ढाई-ढाई लाख वोटरों की मानी जाती है. क्षेत्र में करीब एक लाख मुस्लिम बताए जाते हैं. निवर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है. चंद्रशेखर को क्षेत्र में हर वर्ग का वोट मिलता था, लेकिन राजपूत वर्ग के मतदाता उनके खासे समर्थक माने जाते रहे. 2008 के उपचुनाव और 2009 में नीरज शेखर बलिया से जीते थे, लेकिन 2014 में मोदी लहर के दौरान अपने ही राजपूत समुदाय के ही बीजेपी प्रत्याशी भरत सिंह से हार गए थे. इस बार समाजवादी पार्टी ने सनातन पांडेय को उतारा है. सनातन पांडेय ब्राह्मण वोटों पर दावेदारी कर रहे हैं और उनका भरोसा है कि समाजवादी पार्टी के वोट बैंक में ब्रह्मणों का वोट जुड़ जाने से वे जीत जाएंगे. इस लिहाज से नीरज शेखर को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. बीएसपी से यहां लल्लन सिंह यादव मैदान में हैं.
सलेमपुर -हैट्रिक की उम्मीद में कुशवाहा
सलेमपुर सीट का क्षेत्र देवरिया और बलिया दोनों जिलों में आता है. देवरिया की सलेमपुर और भाटपार रानी, के साथ बलिया जिले की बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर और बांसडीह सीटों को मिला कर इस लोकसभा सीट का गठन किया गया है. इसकी वजह से यहां बलिया के मतदाता ही निर्णायक होते हैं. इस बार बीजेपी ने यहां से रवींद्र कुशवाहा को उतारा है जिन्हें इस बार जीत कर हैट्रिक बनाना है. जबकि समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर को उतारा है. यहां बीएसपी ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है.
चंदौली – बनारस निकाल ही देगा
बनारस की सबसे नजदीक की सीट चंदौली से केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. गाजीपुर के रहने वाले महेंद्र नाथ 2014 और 2019 में दो बार कमल के निशान पर यहां से चुनाव जीत चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनके कामकाज के साथ काशी विश्वनाथ और श्रीराम मंदिर उन्हें फिर से दिल्ली पहुंचा देगा. हालांकि बिहार सीमा से लगी इस सीट की दो विधानसभा सीटें वाराणसी जिले में पड़ती हैं. लिहाजा बीजेपी को मोदी की गति के साथ इस सीट के निकल जाने का भरोसा है. यहां समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह और बीएसपी से सत्येंद्र कुमार मौर्या मैदान में हैं.
मिर्जापुर – निगाहें अनुप्रिया पर
मिर्जापुर या मीरजापुर सीट से बीजेपी के टिकट पर अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं. उन्हें अपने कामकाज के साथ अपने समुदाय के वोटरों पर पूरा भरोसा है. हालांकि उनकी बहन पल्लवी पटेल भी पीडीए से मैदान में हैं लेकिन समाजवादी पार्टी ने भदोही से बीजेपी सांसद रहे डॉ. रमेश बिंद को साइकिल पर उतार कर उनकी लड़ाई को थोड़ा जटिल बना दिया है. भदोही मिर्जापुर से लगा इलाका है. बीएसपी ने यहां से ब्राह्मण वर्ग के मनीष त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. वे दलित-ब्राह्मण वोटरों के मेल पर भरोसा कर रहे हैं.
राबर्ट्सगंज- इलाके का पिछड़ापन मुद्दा
राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट से रिंकी सिंह कोल बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. रिंकी अभी छानवे सीट से विधायक भी हैं. समाजवादी पार्टी की ओर से छोटे लाल करवार और बीएसपी उम्मीदवार के तौर पर धनेश्वर गौतम मैदान में हैं. अति पिछड़े इस इलाके में विकास मुद्दा रहता है और डबल इंजन की सरकार, मोदी के विकास कार्यों को मुद्दा बना कर रिंकी सफलता की उम्मीद कर रही है. इस सीट पर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी असर पड़ने की उम्मीद है.
गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, बांसगांव – योगी बाबा का आशिर्वाद
गोरखपुर सीट से राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांसद रह चुके हैं. जातिगत समीकरणों के साथ ही आसपास की सीटों की राजनीति में उनके गोरखनाथ मठ का बड़ा दखल रहता है. इस लिहाज से माना जाता है कि गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज और बांसगांव सीटों पर उनका असर काम आएगा. गोरखपुर से फिल्म अभिनेता रवि किशन मैदान में हैं. उनके विरुद्ध इंडी गठबंधन ने अभिनेत्री काजल निषाद को उतारा है. जबकि बीएसपी से जावेद सिननानी है. इस लिहाज से यहां मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण न हो पाना इंडी गठबंधन की ताकत कम हो जाती है. कुशीनगर विजय दुबे बीजेपी से हैट्रिक लगाने की उम्मीद में हैं. जबकि उनके सामने सपा से अजय प्रताप सिंह हैं. अजय सैंथवार समुदाय से हैं. चर्चित नेता स्वामी प्रसाद मौर्या इस सीट से लड़ कर कुर्मी-सैंथवार बहुल इस सीट की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं.
देवरिया को ब्रह्मण सवर्ण बहुल सीट के तौर पर देखा जाता है. यहां से बीजेपी ने शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. जबकि उनके सामने कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह हैं. शशांक मणि के पिता ले. जनरल श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी बीजेपी से सांसद रह चुके हैं. बीएसपी ने यहां संदेश यादव को प्रत्याशी बनाया है.
महाराजगंज में छह बार सांसद रह चुके पंकज चौधरी बीजेपी से लड़ रहे हैं तो उनके सामने कांग्रेस गठबंधन से वीरेंद्र चौधरी हैं. चौधरी विधायक भी हैं. बीएसपी ने यहां भी मुस्लम प्रत्याशी के तौर पर मौसमे आलम को उतार कर गठबंधन की राह कठिन बना दिया है. जबकि बांसगांव से कमलेश यादव को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है. उनकी माता सुभावती पासवान भी सांसद रह चुकी है. उनके सामने इंडी गठबंधन से कांग्रेस ने सदल प्रसाद को उतारा है. बीएसपी की ओर से यहां पूर्व आयकर आयुक्त डॉ. राम समुझ को टिकट दिया है.
Tags: Ghazipur news, Loksabha Elections, Uttar pradesh news, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 12:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed