क्‍या सेब में नहीं आ रहा है पहले जैसा स्‍वाद आप भी जानें इसकी असल वजह

आईसीएआर-सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेम्‍परेट होर्टीकल्‍चर श्रीनगर के निदेशक डा. महेन्‍द्र कुमार वर्मा ने बताया कि जिस सेब को एक्‍सपोर्ट करना होता है, उसे पूरी तरह से तैयार होने से पहले तोड़ लिया जाता है.

क्‍या सेब में नहीं आ रहा है पहले जैसा स्‍वाद आप भी जानें इसकी असल वजह
नई दिल्‍ली. बाजार से सेब खरीदकर घर लाते हैं, लेकिन आपको पहले जैसा स्‍वाद नहीं मिल रहा है. दुकानदार आपको कश्‍मीर और हिमाचल का सेब बता कर दे रहा है और कीमत भी ठीक-ठाक ले रहा है. वो असल में कश्‍मीर और हिमाचल का सेव ही नहीं है. यह कौन सा सेब है, आप जान लें और अगली बार खरीदते समय यहां बताई गयी चीजों का ध्‍यान जरूर रखें. बाजार में दो तरह के कश्‍मीर और हिमाचल आ रहे हैं, पहला कश्‍मीर और हिमाचल का और दूसरा अफगानी. अफगानी सेबों की आवक लगातार बढ़ रही है. इस वजह से बाजार में खूब उपलब्‍ध है. हिमाचल और कश्‍मीर की तुलना में अफगानी सेबों सस्‍ता होता है. ऊपर से देखने में दोनों एक जैसे ही होते हैं. लेकिन स्‍वाद में जरूर फर्क हेाता है. सामान्‍य तौर पर लोग सस्‍ते की वजह से अफगानी सेबों खरीदकर लाते हैं. इसी वजह से इसमें पहले जैसा स्‍वाद आपको नहीं मिलता है. इस वजह से स्‍वाद में फर्क आईसीएआर-सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेम्‍परेट होर्टीकल्‍चर श्रीनगर के निदेशक डा. महेन्‍द्र कुमार वर्मा ने बताया कि जिस सेबों को एक्‍सपोर्ट करना होता है, उसे पूरी तरह से तैयार होने से पहले तोड़ लिया जाता है. अफगान से आने वाला सेबों भी वहां से एक्‍सपोर्ट होकर आता है, जिसमें समय लगता है. इसलिए इसको भी पहले तोड़ लिया जाता है, जबकि कश्‍मीर और हिमाचल के सेब को देश में ही भेजना होता है, इसे एक कोने से दूसरे कोने में जाने में ज्‍यादा समय नहीं लगता है, इसलिए पूरी तरह से तैयार होने के बाद ही तोड़ा जाता है. यही वजह कश्‍मीर-हिमाचल और अफगानी सेबों के स्‍वाद में फर्क होता है. सेब खरीदते समय इन चीजों का रखें ध्‍यान अगली बार जब आप बाजार में सेव खरीदने जाएं तो सस्‍ते के चक्‍कर में न पड़े. सेब देखने में एक जैसे ही होंगे लेकिन रेट में थोड़ा फर्क जरूरी होगा. अगर आप महंगा वाला सेव खरीदेंगे तो आपको पहले जैसा स्‍वाद मिलेगा. बाजार में बढ़ रही है आवक उत्‍तर भारत की सबसे बड़ी आजादपुर मंडी दिल्‍ली के आढ़ती पवन छाबड़ा बताते हैं कि मंडी में दोनों सेब आ रहे हैं. अफगानी सेब की आवक पहले की तुलना में बढ़ गयी है, जो थोड़ा सस्‍ता है, इसलिए व्‍यापारी इसे ज्‍यादा खरीदते हैं. इम्‍पोर्ट के आंकड़े आंकड़ों के अनुसार वित्‍तीय साल 2022-23 में अफगानी सेब 1508 टन इम्‍पोर्ट हुआ था, जबकि साल 2023-24 में 37837टन हुआ है. इस तरह करीब 2400 गुना ज्‍यादा आवक बढ़ी है. Tags: Fruits sellers, Healthy food, Healthy FoodsFIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 13:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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