Doctorss day: कोरोना के बाद डॉक्टरों के प्रति कैसा है लोगों का रवैया बता रहे हैं डॉ विनय
Doctorss day: कोरोना के बाद डॉक्टरों के प्रति कैसा है लोगों का रवैया बता रहे हैं डॉ विनय
कोरोना के बाद पहली बार हुआ है कि अब स्वास्थ्य पब्लिक प्लेटफार्म का बड़ा मुद्दा बन गया है. आम लोगों ने ऑनलाइन प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके बीमारियों और स्वास्थ्यगत उपायों को लेकर अपनी जानकारी बढ़ाई है. यहां लोगों ने डॉक्टरों से, विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया है. बीमारियों को समझा है. बीमारियों से बचाव के उपाया और हेल्थ सिस्टम को और अधिक अच्छा बनाने के उपाय भी सीखे हैं.
नई दिल्ली. हमारे देश में चिकित्सकों या डॉक्टरों को हमेशा से ही भगवान का दूसरा रूप माना जाता है. गंभीर और असाध्य रोगों से जूझ रहे मरीजों को नई जिंदगी देने वाले डॉक्टरों के प्रति पहले से ही यहां सम्मान की भावना रही है लेकिन पिछले दो सालों में कोरोना महामारी में डॉक्टर एक अलग ही भूमिका में सामने आए हैं. कोरोना महामारी में जहां हजारों लोगों ने अपनों को खो दिया वहीं लाखों लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने डॉक्टरोंं की वजह से खुद को और अपने परिजनों को मौत के मुंह से वापस आते देखा. ऐसी स्थिति में डॉक्टरों के प्रति भी लोगों का व्यवहार काफी बदल गया है. खुद डॉक्टरों की मानें तो डॉक्टर चाहे सरकारी या प्राइवेट है, ऐलोपैथी, होम्योपैथी या आयुर्वेद किसी से भी जुड़ा रहा है, कोविड के बाद इनके प्रति लोगों का रवैया बदल गया है.
अपोलो अस्पताल बंगलुरू के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय डी कहते हैं कि कोरोना के बाद से डॉक्टरों के रोगों की पहचान और इजाज करने की योग्यता पर लोगों को भरोसा बढ़ा है. इस गूगल सेवी पीढ़ी में जबकि लोग खुद ही ऑनलाइन पढ़ के अपनी गंभीर से गंभीर बीमारियों की भी पहचान करने की कोशिश करते हैं, कोरोना के बाद से उन्हें सेल्फ डायग्नोसिस के नुकसान पता चले हैं और हेल्थ केयर से जुड़े लोगों के पास सही इलाज के लिए बिना किसी झिझक के जाने का चलन बढ़ा है.
एलोपैथी, होम्योपैथी चाहे आयुर्वेद, डॉक्टरों के प्रति बढ़ा लोगों का झुकाव
इतना ही नहीं लोगों को बीमारियों से बचाव के लिए सलाह देने वाले आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग और अन्य पारंपरिक चिकित्साओं से जुड़े लोगों के प्रति भी लोगों का झुकाव तेजी से बढ़ा है. लोगों को नियमित स्वास्थ्य जांच का महत्व पता चला है. कोरोना की तरह अन्य संक्रामक बीमारियों के रिस्क का पता लगाने के लिए भी लोग अब डॉक्टरों से सलाह लेना पसंद कर रहे हैं. लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो रहे हैं. डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी क्रॉनिक बीमारियों को लेकर भी लोगों में समझ पैदा हुई है.
डॉक्टरों का वैक्सीनेशन पर बढ़ा भरोसा
डॉ. विनय कहते हैं कि कोरोना के बाद से अन्य विभागों से जुड़े डॉक्टरों का भी वैक्सीनेशन पर भी भरोसा बढ़ा है. यही वजह है कि कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर भी डॉक्टरों ने अपने मरीजों को टीकाकरण के लिए काफी प्रोत्साहित किया है. जबकि इसके लिए संक्रामक रोग डॉक्टर्स पिछले तीन दशकों से काफी संघर्ष कर रहे थे. कोरोना काल के इन दो सालों ने वैक्सीनेशन को लेकर लोगों की समझ, स्वीकार्यता और जागरुकता को खासतौर पर व्यस्कों में बढ़ाया है.
वर्चुअल प्लेटफार्म पर चिकित्सा विशेषज्ञों तक पहुंच रहे लोग
कोरोना के बाद पहली बार हुआ है कि अब स्वास्थ्य पब्लिक प्लेटफार्म का बड़ा मुद्दा बन गया है. आम लोगों ने ऑनलाइन प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके बीमारियों और स्वास्थ्यगत उपायों को लेकर अपनी जानकारी बढ़ाई है. यहां लोगों ने डॉक्टरों से, विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया है. बीमारियों को समझा है. बीमारियों से बचाव के उपाया और हेल्थ सिस्टम को और अधिक अच्छा बनाने के उपाय भी सीखे हैं, जिसका सीधा असर डॉक्टर और मरीजों के रिश्ते और मरीजों की बेहतर देखभाल के रूप में दिखाई दे रहा है.
अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हुए डॉक्टर्स
आमतौर पर डॉक्टर्स अपने स्वास्थ्य के प्रति आलसी रहते हैं लेकिन कोरोना काल में खुद पीड़ित होने, मरीजों को जूझते हुए देखने, मौतों को बेहद करीब से देखने के बाद खुद भी अपने प्रति जागरुक हुए हैं. अपनी जीवनशैली में बदलाव करने के लिए तैयार हुए हैं. इतना ही नहीं अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा संजीदा हुए हैं.
ये चीजें रहीं प्रभावित
डॉ. विनय कहते हैं कि खासतौर पर कोरोना के समय में जब वायरस भी अपना रूप बदल रहा था तो अपने स्वयं के दिशानिर्देशों में बार-बार बदलाव और अनिश्चितताओं ने WHO और ICMR जैसे निर्णय लेने वाले निकायों का आम लोगों के बीच भरोसे को थोड़ा कम किया है हालांकि इस स्थिति में व्यक्तिगत रूप से डॉक्टरों के लगातार प्रयासों ने इस भरोसे की कमी को काफी हद तक पूरा करने की कोशिश की है.
इसके अलावा कोरोना के समय में रेगुलेशन और एक निश्चित कोविड प्रोटोकॉल की कमी के कारण बहुत सारे डॉक्टरों ने बिना पर्याप्त ट्रेनिंग के भी मरीजों को संभाला. इसका मरीजों की सेहत और स्वास्थ्य पर क्या असर रहा, यह निश्चित रूप से कुछ कहना संभव नहीं है. लेकिन बस ये उम्मीद की जा सकती है कि डॉक्टर मेडिकल प्रेक्टिस के दौरान खुद को हर चीज से अपडेट रखे ताकि लोगों को बेहतर इलाज मिल सके.
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Tags: Apollo Hospital, DoctorFIRST PUBLISHED : July 01, 2022, 14:37 IST