आंखों का कौन सा हिस्सा किया जाता है दान क्या है नेत्रदान का पूरा प्रोसेस
आंखों का कौन सा हिस्सा किया जाता है दान क्या है नेत्रदान का पूरा प्रोसेस
Eye Donation fortnight: नेत्रदान महादान कहलाता है. ऐसा करके आप किसी के भी जीवन में रोशनी भर सकते हैं. हालांकि नेत्रदान करने से पहले आपको आंखों के कॉर्निया के दान को लेकर ये सभी बातें जानना जरूरी है.
आंखें प्रकृति का दिया हुआ अनमोल तोहफा है. इन्हीं की बदौलत व्यक्ति दुनिया-जहान के हर रंग को देख पाता है. एक समय था जब किसी की आंखों में रोशनी नहीं होती या किसी बीमारी के कारण आंखें खराब हो जाती थीं, तो उसके जीवन में अंधेरा पसर जाता था लेकिन आजकल नेत्रदान करके कोई भी व्यक्ति ऐसे व्यक्ति को आंखों की रोशनी वापस दे सकता है. हालांकि नेत्रदान को लेकर ऐसी कई बातें हैं जो लोगों को अक्सर पता नहीं होतीं और वे नेत्रदान करने से डरते हैं. जैसे नेत्रदान कैसे करना है? किस अस्पताल में करना है? नेत्रदान में आंख का कौन सा हिस्सा दान किया जाता है? क्या जिंदा रहते हुए नेत्रदान किया जा सकता है? नेत्रदान का फायदा क्या है?
तो आइए जिला संयुक्त अस्पताल, गौतमबुद्ध नगर में आंखों के सर्जन डॉ. पंकज त्रिपाठी से जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब, ताकि आप भी ऐसा नेक काम कर किसी के जीवन में रोशनी भर सकें.
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सवाल- नेत्रदान कौन कर सकता है?
जवाब- किसी भी उम्र या लिंग का कोई भी व्यक्ति आंखें दान कर सकता है. यहां तक कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चुके, चश्मा पहनने वाले, बीपी या डायबिटीज के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं. रेटिनल या ऑप्टिक नर्व की बीमारी के कारण दिव्यांग लोग भी नेत्रदान कर सकते हैं.
सवाल- नेत्रदान में आंखों का कौन सा हिस्सा दान किया जाता है?
जवाब- नेत्रदान में आंखों का कॉर्निया दान किया जाता है. यह हमें दिखाई देने वाली आंख के सामने की बाहरी पारदर्शी परत होती है. कॉर्निया के जरिए ही पुतली को देखा जा सकता है. कॉर्निया प्रकाश को रेटिना पर भेजता है, वहां से इसकी तस्वीर मस्तिष्क को भेजी जाती है और इस तरह हम सभी चीजों को देख और पहचान पाते हैं.
सवाल- किस अस्पताल में नेत्रदान कर सकते हैं?
जवाब- कॉर्निया किसी भी अस्पताल में डोनेट किया जा सकता है, जहां आई बैंक या कॉर्निया बैंक की सुविधा हो. यहां तक कि कुछ जिला अस्पतालों में आई बैंक नहीं होती लेकिन आई बैंकों से कॉन्टेक्ट होता है, ऐसे में जब भी कोई व्यक्ति नेत्रदान करता है और आंख के सर्जन कॉर्निया लेकर तुरंत आई बैंक में सहेजने के लिए भेजते हैं. नोएडा के जिला अस्पताल में भी दो लोग कॉर्निया डोनेट कर चुके हैं.
सवाल- क्या जिंदा व्यक्ति आंख डोनेट कर सकता है?
जवाब- नहीं, आंखों का दान मरने के बाद ही संभव है. हालांकि व्यक्ति जीतेजी आंखों को दान करने का संकल्प ले सकता है और अपने परिवार को बता सकता है. ऐसे में जब उसकी मृत्यु हो तो तुरंत आई बैंक और अस्पताल को सूचना देकर नेत्रदान कराया जा सके.
सवाल- मरने के कितने घंटे तक नेत्रदान किया जा सकता है?
जवाब- वैसे तो मृत्यु के बाद जितना जल्दी हो सके आंखें दान की जानी चाहिए लेकिन अधिकतम 6 घंटे के अंदर कॉर्निया निकाला जा सकता है. इसके लिए डॉक्टरों की टीम मृतक के पास स्पेशल कंटेनर लेकर जाती है, कॉर्निया निकालकर उसे एक सॉल्यूशन में लैब में प्रिजर्व करती है और फिर उसे तत्काल कॉर्निया बैंक को पहुंचाया जाता है.
सवाल- दान की गई आंखों को कब तक इस्तेमाल करना होता है?
जवाब- दान किए गए कॉर्निया को लंबे समय तक नहीं रखा सकता . इसे अधिकतम 7 दिन के अंदर किसी न किसी को ट्रांसप्लांट करना ही होता है. जितना जल्दी कॉर्निया प्रत्यारोपित होगा, उतना ही बेहतर रिजल्ट मिलेगा.
सवाल- क्या आंखों का और हिस्सा भी दान किया जा सकता है?
जवाब- रेटिना को लेकर रिसर्च चल रही है लेकिन फिलहाल सिर्फ कॉर्निया ही दान करना और ट्रांसप्लांट करना संभव हो पाया है. हालांकि आंख के और हिस्सों को डॉक्टरी रिसर्च आदि के लिए भी लिया जाता है.
सवाल- किसी को कॉर्निया करना है दान तो क्या करे?
जवाब- अगर किसी को मरने के बाद कॉर्निया दान करना है तो परिजनों को बता दें, ताकि उसकी मृत्यु के आसपास परिजन नजदीकी कॉर्निया बैंक से संपर्क कर सकें.
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Tags: Eye Donation, Health News, LifestyleFIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 13:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed