कहानी उस दिलेर महिला की 26 की उम्र में चीर दिया था बाघ का करेजा

Mizoram News: लालजाडिंगी ने 26 साल की उम्र में वह कारनामा कर के दिखाया जिसे हम-आप सपने में भी नहीं सोच सकते हैं. आइए पढ़ते हैं उनकी पूरी कहानी. 72 साल की लालजाडिंगी का शुक्रवार को निधन हो गया. दरअसल 26 साल की उम्र में लालजाडिंगी ने बीच जंगल में बाघ को कुल्हाड़ी से मार डाला था.

कहानी उस दिलेर महिला की 26 की उम्र में चीर दिया था बाघ का करेजा
आइजोल: कहानियां तो आपने कई पढ़ी होंगी… लेकिन आज जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं, वह ना केवल आपको रोमांचित करेगा बल्कि आपको किसी भी परिस्थिति में संघर्ष करने के लिए प्रेरित करेगी. चाहे सामने मौत ही क्यों ना खड़ी हो… यह कहानी आपको मौत के मुंह से किस साहस से निकला जाए इसका सबक भी सिखाएगी. कहानी है लालजाडिंगी की जिन्होंने 26 साल की उम्र में वह कारनामा कर के दिखाया जिसे हम-आप सपने में भी नहीं सोच सकते हैं. आइए पढ़ते हैं उनकी पूरी कहानी. TOI की रिपोर्ट के अुसार 72 साल की लालजाडिंगी का शुक्रवार को निधन हो गया. दरअसल 26 साल की उम्र में लालजाडिंगी ने बीच जंगल में बाघ को कुल्हाड़ी से मार डाला था. वह पहले इस कहानी को बचा चुकी थीं. उनके शब्दों में उनकी कहानी ‘मैं लकड़ी चीर रही थी, तभी मैंने पास की झाड़ी के पीछे से एक असामान्य आवाज़ सुनी. मुझे लगा कि यह जंगली सूअर हो सकता है. मैंने धीमी आवाज़ में अपने दोस्तों को आवाज़ लगाई, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी.’ पढ़ें- देश के इस बड़े मंदिर में लागू हुआ ड्रेस कोड, केवल पारंपरिक भारतीय कपड़ों में ही मिलेगा प्रवेश थोड़ी सी चूक और चली जाती जान जब झाड़ी के पीछे से एक बड़ा बाघ अचानक प्रकट हुआ, तो लालजाडिंगी को डर लगने लगा. उन्होंने आगे बताया था कि ‘वह मेरे करीब आ गया. मुझे सोचने का समय नहीं मिला. मैंने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और उसके माथे पर वार किया. मैं भाग्यशाली थी कि बाघ एक ही वार में मर गया. अगर मैंने उसके शरीर के किसी और हिस्से पर वार किया होता, तो बाघ मुझे दूसरा मौका नहीं देता.’ मतलब साफ है कि अगर लालजाडिंगी से थोड़ी भी चूक होती तो उनकी जान जा सकती थी. लालजाडिंगी ने कहा था कि जब वह बाघ से आमने-सामने आईं, तो उनके दिमाग में केवल अपने बच्चों का भविष्य था. “मेरे दो छोटे बच्चे, जिनमें से छोटा सिर्फ़ तीन महीने का था, मेरे दिमाग में आए… मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. मुझे उसे मारना था, इससे पहले कि वह मुझे मार डालता.” साल 1980 में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया और नई दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने उन्हें यह पुरस्कार दिया था. उस समय एक युवती द्वारा एक खूंखार जानवर को सिर्फ एक कुल्हाड़ी से मार डालना एक असाधारण कहानी थी, और यह मिजोरम की सीमाओं से बाहर तक फैल गई. उनके द्वारा मारा गया आग उगलती आंखों वाला एक ममीकृत बाघ, आगंतुकों को घूरता हुआ, आइजोल स्थित मिजोरम राज्य संग्रहालय में आकर्षण का केंद्र रहा है. Tags: Assam news, National NewsFIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 08:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed