शेर और शेरनी इंसानों पर कब हमला करते हैं जानिए क्या कहते हैंं Expert
शेर और शेरनी इंसानों पर कब हमला करते हैं जानिए क्या कहते हैंं Expert
Animals attack humans: जंगली जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति में वन विभाग कैसे काम करता है, इस पर एक गहन दृष्टि. जानवरों की सुरक्षा, उनके स्वास्थ्य परीक्षण और वन विभाग की प्रक्रियाओं का विवरण जानिए.
जंगली जानवरों द्वारा इंसानों पर हमले की घटनाएं अकसर होती रहती हैं, लेकिन शेर जैसे जानवर सामान्यतः इंसानी आबादी पर सीधा हमला नहीं करते. जब भी जंगली जानवरों को छेड़ा या परेशान किया जाता है, तो वे हमला कर सकते हैं. ऐसे मामलों में सवाल उठता है कि हमलावर जानवरों को कैसे बचाया जाता है, कहां रखा जाता है और इनके साथ आगे क्या किया जाता है.
वन विभाग का प्रोसेस
जूनागढ़ की मुख्य वन संरक्षक, आराधना साहू के अनुसार, जब भी किसी शेर द्वारा इंसानी आबादी पर हमला किया जाता है, वन विभाग की टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंचती है. पहले इलाके का परीक्षण किया जाता है और फिर पिंजरों को स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होती है. हमलावर जानवर को सुरक्षित तरीके से वहां से हटाया जाता है और रेस्क्यू सेंटर लाया जाता है.
जानवर की जांच और स्वास्थ्य परीक्षण
रेस्क्यू सेंटर पहुंचने पर पशु चिकित्सक जानवर का चेकअप करते हैं. जानवर के स्वभाव और स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाया जाता है. यदि आवश्यक हो, तो रक्त के नमूने की जांच भी की जाती है. अगर किसी रिपोर्ट में कोई समस्या पाई जाती है, तो उसका फॉलोअप किया जाता है.
बार-बार हमले के मामलों में प्रक्रिया
अगर कोई जानवर बार-बार इंसानों पर हमला करता है, तो उसका माइक्रोचिप अध्ययन किया जाता है. इससे पता लगाया जाता है कि वह इंसानों पर हमला करने का आदी है या नहीं. ऐसे जानवरों को सक्करबाग चिड़ियाघर भेज दिया जाता है. अगर यह पहली बार होता है, तो हमले के पीछे के कारणों की जांच की जाती है.
परेशान किए जाने के मामलों की जांच
कई बार स्थानीय लोग जानवरों को छेड़ते या परेशान करते हैं, जिससे जानवर आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे मामलों में वन विभाग पूरी जांच करता है और गुजरात के मुख्य वन्यजीव वार्डन को सूचना दी जाती है.
जानवरों की स्वास्थ्य समस्याएं और उम्र का प्रभाव
कुछ जानवरों को नाखून या दांतों की समस्याएं होती हैं, जिससे वे बार-बार हमले कर सकते हैं. उम्रदराज या बीमार जानवर भी परेशानी का कारण बन सकते हैं. ऐसे मामलों में मुख्य वन्यजीव वार्डन की अनुमति से उन्हें विशेष जगहों पर भेजा जाता है.
Tags: Ajab Gajab, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 16:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed