UP के इस शहर में होनी थी इस्कॉन के पहले मंदिर की स्थापनादिलचस्प है इतिहास 

इस्कॉन के दुनिया भर में 1000 से अधिक केंद्र हैं. अकेले भारत में इसके 400 केंद्र हैं और यहां तक की पाकिस्तान में भी इस्कॉन के 12 मंदिर हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस्कॉन संस्था की स्थापना का विचार यूपी के इस शहर में आया था.

UP के इस शहर में होनी थी इस्कॉन के पहले मंदिर की स्थापनादिलचस्प है इतिहास 
झांसी. भगवान कृष्ण की उपासना के दुनिया भर में कई केंद्र हैं. भगवान कृष्ण को समर्पित बहुर सारे मंदिर हैं, अनेकों संस्थाएं हैं, जो कृष्ण की भक्ति और भगवद गीता के संदेश को दुनिया भर में पहुंचाने का काम करती हैं. इन्हीं में से एक संस्था है इस्कॉन. इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉनशियस्नेस है. इस्कॉन के दुनिया भर में 1000 से अधिक केंद्र हैं. अकेले भारत में इसके 400 केंद्र हैं और यहां तक की पाकिस्तान में भी इस्कॉन के 12 मंदिर हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस्कॉन संस्था की स्थापना का विचार वीर भूमि झांसी में ही आया था. जी हां, इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी महाराज इसकी शुरुआत झांसी से ही करना चाहते थे. दरअसल, धर्म गुरु बनने से पहले भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद आयुर्वेदिक दवाएं बनाने का काम करते थे. इस्कॉन झांसी समिति के अध्यक्ष बृज भूमि दास ने बताया कि आयुर्वेदिक दवाओं के सिलसिले में स्वामी प्रभुपाद अक्सर झांसी के आयुर्वेदिक कॉलेज में आया करते थे. 1952 से उन्होंने नियमित रूप से यहां आना शुरू किया. इन्हीं यात्राओं के दौरान स्वामी प्रभुपाद की नजर आंतियां तालाब के पास एक स्मारक पर पड़ी. 1957 में असफल रहा प्रयास बृज भूमि दास बताते हैं कि स्वामी प्रभुपाद ने शुरुआत में इस संस्था का नाम भक्तों का संघ रखा. इसके लिए उन्होंने उस समय के दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिया. विज्ञापन में कहा गया कि ऐसे शिक्षित युवाओं की जरुरत है जो दुनिया भर में भगवद गीता के संदेश को फैला सकें. उनकी यात्रा, भोजन और वस्त्र का खर्च संस्था द्वारा उठाया जाएगा. स्वामी प्रभुपाद ने 1957 में इस संस्था की स्थापना करनी चाही, लेकिन किन्हीं कारणों से यह काम सफल नहीं हो पाया. न्यूयॉर्क शहर में हुई थी इस्कॉन की स्थापना बृज भूमि दास बताते हैं कि इसके बाद स्वामी प्रभुपाद वृंदावन चले गए, जहां वह 16 साल रहे. इसके बाद वह अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने 1966 में विधिवत तौर पर इस्कॉन की स्थापना की. उन्होंने 13 जुलाई 1966 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में इसकी स्थापना की. शुरुआत में उन्होंने उन अमेरिकी लोगों को इससे जुड़ा जिन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. ऐसे लोगों को हिप्पी कहा जाता था. इस्कॉन के माध्यम से इन लोगों को भगवत गीता का अर्थ समझाया और आज देश-विदेश में लाखों लोग इस्कॉन संस्था के अनुयायी हैं. Tags: Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 15:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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