योग के लिए साइकिल यात्रा! एक साल में 19000 किमी साइकिल चला जागरुक कर रहे हैं मेहुल
योग के लिए साइकिल यात्रा! एक साल में 19000 किमी साइकिल चला जागरुक कर रहे हैं मेहुल
मेहुल का साइकिल से भारत की यात्रा करने का अनोखा सफर जारी है. वह एक साल से भी अधिक समय से साइकिल से भारत की यात्रा कर रहे हैं. मेहुल अब तक 19 हजार किलो मीटर से अधिक साइकिल चला चुके हैं.
हर व्यक्ति अपनी लाइफ में कोई बड़ा मुकाम हासिल करना चाहता है. जिसके लिए सपने देखता है. कोई अच्छी नौकरी करना चाहता है. तो किसी को बड़ा बिजनेस करना है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे इंसान की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो योग का प्रसार पूरे देश में करने के लिए साइकिल से भारत भ्रमण पर निकले हैं. शख्स का नाम मेहुल लखानी है. वह मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी के रहने वाले हैं.
मेहुल पेशे से शिक्षक थे और अब भारत में योग की शिक्षा देने साइकिल से निकल पड़े हैं. मेहुल ने इस सफर की शुरुआत अपने गांव बनखेड़ी से की है. उन्होंने 2021 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन 21 जून को इर सफर की शुरुआत की. ये कोरोना काल का दौर था, जिसमें सारा विश्व कोरोना जैसी भयंकर त्रासदी से गुजर रहा था. तब मेहुल लखानी ने भारत के युवाओं को स्वस्थ रखने के लिए योग का संदेश देने का निश्चय किया. मेहुल बीते एक साल में साइकिल से लगभग 19,000 किमी से ज्यादा का सफर कर चुके हैं. वह 1 साल से भी ज्यादा समय से साइकिल से लगातार सफर कर रहे हैं. अब तक मेहुल 7 राज्यों का सफर कर चुके हैं. सफर करने में रोज नई चुनौतियां आना तो तय ही है. लेकिन रास्ते की सभी बाधाओं को पार करते हुए मेहुल भारतयात्री का ये सफर जारी है.
अब तक सात राज्यों का सफर तय कर चुके हैं मेहुल.न्यूज़ 18 से बात करते हुए कहते हैं, “कोरोना काल के दौरान जब विश्व भयंकर महामारी से जूझ रहा था. तब उन्होंने राष्ट्र को योग का संदेश देने का निश्चय किया जिससे कि लोग योग करके स्वस्थ रहें और योग के महत्व को समझें.” मेहुल लखानी आगे बताते हैं कि उनकी इस यात्रा में उन्होंने योग को इसलिए उद्देश्य बनाया क्योंकि योग यानी किसी न किसी रूप में खुद से, प्रकृति से या संस्कृति से जुड़ना है. मेहुल कहते हैं कि वे लोगों को स्वस्थ रहने का संदेश देते हैं. चाहे योग के माध्यम से या स्पोर्टस् एक्टिविटी के माध्यम या फिर साइकिल चलाकर लोग स्वस्थ रह सकते हैं.
वे बताते हैं कि योग से केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक संतुलन भी बनता है. साइकिल से ही भारत की यात्रा करने के सवाल पर मेहुल कहते हैं कि अन्य वाहनों से बहुत सी चीजें छूट सकती थीं. सफर में समाज, संस्कृति और प्रकृति से इतना सही जुड़ाव नहीं हो पाता. और आर्थिक कारणों को ध्यान में रखते हुए साइकिल सफर करना तय किया. मेहुल आगे बताते हैं कि उन्होंने अपने ग्राम बनखेड़ी के गोविंदनगर के सरस्वती ग्रामोदय विद्यालय से अपने इस सफर की शुरुआत की. उनका कहना है कि वे देश के सभी राज्यों में साइकिल से जाने वाले हैं. जिससे वे देश की सारी विविधता से भरी संस्कृति को जान सकें. वे कहते हैं कि देश के लिए और खुद के लिए कुछ करने का यही सही तरीका मालूम हुआ.
सफर में आई कठिनाइयों का किस्सा
न्यूज़ 18 से बात करते हुए मेहुल ने बताया कि गोवा में उनकी साइकिल चोरी हो गई थी. जिसके बाद उन्हें भयंकर मुसीबत का सामना करना पड़ा. वह आगे बताते हैं कि कई बार रात को सोने की व्यवस्था न होने की वजह से भी परेशानी का सामना करना पड़ा. एक रात गोवा में किसी बीच के किनारे टेंट लगाकर सोने पर पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया और फुटपाथ पर छोड़ दिया. जिसके बाद उन्होंने मंदिर में जाकर मदद मांगी तब जाकर वे रात गुजार पाए. वह कहते हैं कि एक बार रास्ते में झांसी (उत्तर प्रदेश) में काफी बीमार पड़ गए थे. जिसके बाद कुछ दिनों के इलाज के बाद वह वहां से निकल पाए. मेहुल भारतयात्री का सफर लगातार चल रहा है. मेहुल बताते हैं कि यात्रा का परिवार ने पूरा समर्थन किया.
वह जिस शहर में या जहां भी जाते हैं वहां किसी न किसी संस्था या मंदिर में ईश्वर की कृपा से खाने की व्यवस्था हो जाती है. अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से वीडियो ब्लॉग भी बनाते हैं. उन्होंने अब तक कई शहरों में जाकर स्कूल के बच्चों को योग भी सिखाया है. वह न्यूज़ 18 को आगे बताते हैं कि कई शहरों में कुछ लोग उनका स्वागत करते हैं और स्कूलों में बच्चों को योग सिखाने के लिए आमंत्रित भी करते हैं.
शाम को ढलता सूरज ये याद दिलाता है
न्यूज़ 18 से बात करते हुए वह कहते हैं कि हर शाम की लालिमा उन्हें ये बताती है कि अब सफर में थोड़ा ठहरने का वक्त आ गया है. वह बताते हैं कि जिस शहर में शाम हो जाती है वहां वह कहीं न कहीं आसरा ढूंढ लेते हैं. ताकि रात बिता पाएं और अगली सुबह फिर सफर शुरू किया जाए. वह कहते हैं कि सफर का सबसे अच्छा हर वो पल होता है जब सूरज उगता और ढलता है. मेहुल आगे बताते हैं कि उन्हें किसी व्यक्ति ने अपने बच्चे के छह महीने का होने पर खाना खिलाने वाले संस्कार में बुलाया. वह इस संस्कार के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि यही वो क्षण होता है जब मनुष्य पहली बार उपभोग करता है. जब बच्चा अपनी मां का दूध छोड़कर अन्न खाने लगता है. मेहुल आगे कहते हैं कि धीरे-धीरे बच्चा जितना बड़ा होता है वह उपभोग के चक्कर में चीजों पर निर्भर होने लगता है.
मेहुल लखानी भारत के सभी राज्यों में जाएंगे.
सफर कितना हुआ कितना बाकी
मेहुल लखानी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन 21 जून 2021 को इस सफर की शुरुआत की थी. जिसको अब 1 साल से ज्यादा का समय हो चुका है. साइकिल से भारत के इस सफर निकले मेहुल बताते हैं कि वह सात राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और दमन व दीप केंद्र शासित प्रदेशों की भी यात्रा कर चुके हैं. अब तक उन्होंने 19 हजार किलो मीटर से अधिक साइकिल से सफर किया है. मेहुल लगातार यात्रा कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे भारत के सभी राज्यों की साइकिल से यात्रा करेंगे. जिसमें लगभग दो से ढाई साल का और समय लगने वाला है.
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