कहता है कारगिल: वीर हवलदार भीम की बहादुरी देख थर्राया दुश्मन 11 पाक सैनिकों को मार 2 बंकर किए थे जमींदोज
कहता है कारगिल: वीर हवलदार भीम की बहादुरी देख थर्राया दुश्मन 11 पाक सैनिकों को मार 2 बंकर किए थे जमींदोज
Kahta hai Kargil: मैं कारगिल, आज आपको खलुबार साउथ के उस इलाके में ले चलूंगा, जहां अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले हवलदार भीम बहादुर दीवान ने वीरता की अद्भुत कहानी लिखी थी. हालात ऐसे कि चारों तरफ से गोलियों की बौछार और हवलदार भीम बहादुर दीवान अभी भी दुश्मन से मोर्चा लेने को तैयार. दुश्मन का काल बनकर रणभूमि में कूदे हवलदार ने दुश्मन के दो बंकरों को जमींदोज कर 11 पाक सैनिकों को उनके अंजाम तक पहुंचाया था.
Kahta hai Kargil: मैं कारिगल… आज आपको सर्वोच्च बलिदान देने वाले हवलदार भीम बहादुर दीवान ने वीरता की अद्भुत कहानी बताने जा रहा हूं. ऑपरेशन विजय के बीच यह यह घटना 3 जुलाई 1999 की है. गोरखा राइफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय को दुश्मनों के कब्जे से खलुबार साउथ को मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय के साथ लक्ष्य की तरफ बढ़ने वालों में गोरखा राइफल्स के ही हवलदार भीम बहादुर दीवान का नाम भी शामिल था. हवलदार भीम बहादुर के नेतृत्व में जवानों के सेक्शन को खड़ी चढ़कर लक्ष्य तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी गई थी. करीब सात घंटे चली लंबी जद्दोजहद के बाद हवलदार भीम बहादुर को अपने साथियों के साथ अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाब तो रहे.
ऑब्जेक्टिव पर पहुंचते ही शुरू हुई गोलाबारी और फिर …
इस बीच, दुश्मन को शायद उनके आने की भनक लग गई थी. हवलदार भीम बहादुर अपने साथियों के साथ जैसे ही ऑब्जेक्टिव पर पहुंचे, आस पास की सभी पहाडि़यों पर मौजूद पाक सैनिकों ने उनपर गोलियां की बौछार शुरू कर दी. भारतीय जाबांजों के लिए खतरा अभी यहीं तक सीमित नहीं था, बल्कि कुछ पलों के बाद इर्द गिर्द मौजूद 6 बंकरों से पाक सैनिकों ने उनको अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया था.
ऐसे हालात में, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय और हवलदार भीम बहादुर के लिए जरूरी हो गया था कि इन 6 बंकरों में मौजूद दुश्मन को उसके अंजाम तक पहुंचाकर आग उगलते हथियारों को खामोश किया जाए. हवलदार भीम बहादुर के सेक्शन को दुश्मन के दो बंकरों को जमींदोज करने का जिम्मा सौंपा गया.
काल बनकर दुश्मन पर टूटे हवलदार भीम बहादुर
बिना समय गंवाए हवलदार भीम बहादुर गोलियों की बौछार करते हुए पहले बंकर तक पहुंच गए और फिर बंकर के भीतर ग्रेनेड से हमला कर दो दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया. पहले बंकर को जमींदोज करने के बाद हवलदार भीम बहादुर ने अपना रुख दूसरे बंकर की तरफ किया. दूसरे बंकर में मौजूद दुश्मन और हवलदार भीम बहादुर के बीच करीब भीषण गोली बारी शुरू हो गई.
इस गोलाबारी में कुछ गोलियां हवलदार भीम बहादुर के शरीर को भेदती हुई निकल गई. गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद उन्होंने रणभूमि छोड़ने से इंकार कर दिया. करीब एक घंटे की गोलीबारी के बाद हवलदार भीम बहादुर ने दो दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया और दूसरे बंकर पर भी अपने कब्जे में ले लिया.
अद्भुत वीरता के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से हुए सम्मानित
दूसरे बंकर को कब्जे में लेने के साथ ही हवलदार भीम बहादुर निढाल होकर गिर पड़े और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया. इस ऑपरेशन के दौरान, हवलदार भीम बहादुर ने करीब 11 दुश्मनों का न केवल खात्मा किया, बल्कि उनके पास मौजूद हथियारों और गोलाबारूद को अपने कब्जे में ले लिया. कब्जे में लिए गए हथियारों में दो हैवी मशीनगन, एक 12.7 इंच मशीन गन और तीन जीथ्री राइल्स भी शामिल थी. हवलदार भीम बहादुर दीवान की वीरता, साहस, युद्ध कौशल और देश के प्रति समर्पण को देखते हुए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
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Tags: Heroes of the Indian Army, Indian army, Indian Army Heroes, Kargil day, Kargil war, Unsung HeroesFIRST PUBLISHED : July 25, 2022, 17:18 IST