LAC पर जहां चीन को बैकफुट पर धकेला वहीं IAF फाइटर बेस का तीसरा रनवे तैयार

India-China LAC News: भारत-चीन बॉर्डर पर पिछले तकरीबन साढ़े चार साल से चला आ रहा विवाद खत्‍म हो गया है. पूर्वी लद्दाख में LAC के पास डेमचोक के बाद देपसांग में भी पेट्रोलिंग शुरू हो चुका है. अब इंडियन एयरफोर्स बेस को लेकर बड़ी खुशखबरी सामने आई है.

LAC पर जहां चीन को बैकफुट पर धकेला वहीं IAF फाइटर बेस का तीसरा रनवे तैयार
नई दिल्‍ली. लद्दाख में इंडियन एयरफोर्स के तीसरे फाइटर एयरबेस का रनवे बनकर तैयार हो चुका है. खास बात यह है कि यह बेस चीन बॉर्डर (LAC) के बेहद करीब है. न्योमा एंडवास्‍ड लैंडिंग ग्राउंड के अपग्रेडेशन का काम अब अंतिम चरण में है. इससे किसी भी प्रतिकूल स्थिति में चीन को तत्‍काल जवाब दिया जा सकेगा. लद्दाख से बीजेपी के पूर्व सांसद ने सोशल मीडिय में एयर बेस की तस्‍वीर साझा की है. बता दें कि चीन ने एलएसी के उस पार इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को काफी दुरुस्‍त किया है. हालात को देखते हुए भारत ने भी सीमा के आसपास मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने पर निवेश करने लगा है. सड़क के साथ ही एयर बेस भी बनाए जा रहे हैं. साढ़े चार साल पहले पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना ने अपने ऑपरेशन से चीन को बैकफ़ुट पर ढकेल दिया था. वजह थी कम समय में तेज़ी से भारतीय सेना के लिए पूरे साजो-सामान और हथियार LAC तक पहुंचा दिया गया था. अब जल्द ही भारतीय वायुसेना की ताक़त में जबरदस्त इज़ाफ़ा होने जा रहा है. इंडियन एयरफोर्स के फाइटर बेस का रनवे बनकर तैयार हो चुका है. इसकी पहली तस्वीर भी सामने आ गई है. लद्दाख से बीजेपी सांसद रहे जामयांग सेरिंग नामग्याल ने अपने X अकाउंट पर एयर बेस के रनवे की तस्वीर साझा की है. उन्‍होंने लिखा है कि भारत की हाईएस्ट एयर फील्ड मुढ-न्योमा का निर्माण लगभग पूरा हो गया है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गेम चेंजर है. फाइटर एयरबेस का रनवे तैयार रनवे की तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि रनवे की सतह का काम पूरी तरह से पूरा हो चुका है. इसके पूरा होने के बाद मार्कर भी तैयार किया जा चुका है. सफेद काली पट्टी को प्यानो की के नाम से जाना जाता है. यही एयरक्राफ़्ट के टेकऑफ के लिए लाइनअप होता है. न्योमा के पूरा होने के बाद वायुसेना को अब लद्दाख से फाइटर ऑपरेशन के लिए तीसरा एयर बेस मिल जाएगा. यहां राफेल फाइटर जेट की लैंडिंग भी हो सकेगी. समुद्र तल से 13700 फीट की उंचाई पर भारतीय वायुसेना के न्योमा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करके नया फाइटर बेस तैयार किया जा रहा है. 2.7 किलोमीटर लंबा यह रनवे पूरी तरह से कंक्रीट का है. हालांकि, अपग्रेडेशन का काम पर्यावरण और अन्य तरह की मंजूरी के चलते थोड़ा लेट हुआ, लेकिन अब काम तेजी से जारी है. देपसांग, डेमचोक, फिंगर प्‍वाइंट…अब सब जगह पेट्रोलिंग करेगी इंडियन आर्मी, ड्रैगन की हर चाल पर रहेगी पैनी नजर भारत की ताकत से बढ़ेंगी चीन की मुश्किलें लद्दाख में एयर बेस की बात की जाए तो यहां से पूरी तरह से फाइटर ऑपरेशन को चलाया जा सकता है, जिसमें सिर्फ़ लेह और थौएस ही एसे एयरबेस है. इसके अलावा स्पेशल ऑपरेशन ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट और हेलीकॉप्टर ऑपरेशन के लिए 3 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड है, जिसमें न्योमा , दौलत बेग ओल्डी और फुक्चे शामिल है. चीन भारत के बीच साल 2020 में हुए विवाद के दौरान न्योमा ALG भारतीय सेना की ताक़त को LAC के पास बढ़ाने में बहुत कारगर साबित हुआ. लेह तक बड़े हेविलिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए सैनिकों को लाने फिर हाई-एल्‍टीट्यूड में तैनाती के लिए C-130J, चिनूक हेलीकॉप्टर के ज़रिए इसी ALG का इस्तेमाल किया गया था. साल 1962 में अस्तित्‍व में आया था न्‍योमा ALG न्योमा ALG पहली बार साल 1962 में अस्तित्व में आया था, लेकिन उसके बाद कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया. भारत सरकार में चीन की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बॉर्डर से लगते सभी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करने के प्लान को एक्टिव किया. साल 2009 में AN-32 ने लैंडिंग की थी. पिछले चार साल के दौरान इस ALG में सैकड़ों बार हेलीकॉप्टर और एयर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है, जिसमें भारी भरकम टैंक से लेकर हथियारों को वॉर फ़्रंट तक पहुंचाए गए. न्योमा एयरबेस पर लैंडिंग और टेकऑफ दोनों तरफ़ से हो सकती है जो इंडियन एयरफोर्स के लिए बहुत बड़ा एडवांटेज है. हाई एल्‍टीट्यूड एरिया में इस तरह के इलाक़े कम ही मिलतेहैं. इसके अपग्रेडेशन में 214 करोड़ रुपये से ज़्यादा का खर्च आने की संभावना है. क्या होता है ALG? ALG देखने में किसी एयर स्ट्रिप जैसा तो बिलकुल दिखाई नहीं देता. पहाड़ों के बीच एक समतल जगह पर उबड़-खाबड़ सतह का वो इलाक़ा होता है, जहां पर स्पेशल ऑपरेशन ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट और हेलीकॉप्टर को आसानी से ऑपरेट कराया जा सके. चूंकि भारत और चीन के बीच की सीमा ऊंचे पहाड़ों से होकर गुजरती है और एसे में किसी भी स्थाई एयरबेस का निर्माण वहां मुश्किल होता है. लिहाजा, पूरे एलएसी पर 60 के दशक से ही कई ALG मौजूद हैं और तकरीबन एक दशक पहले ही भारत चीन सीमा पर पुराने खस्ताहाल पड़े एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड को फिर से एक्टिव करने का काम शुरू कर दिया था. इनमें लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी, न्योमा, फुक्‍चे एडवांस्‍ड लैंडिंग ग्राउंड तो ईस्‍टर्न सेक्टर में अरुणाचल में चीन से लगती LAC पर 7 ALG इस्तेमाल के लिए तैयार किए गए हैं. इनमें टूटिंग, वॉलॉग, आलॉग, पासीघाट, मेचुका, विजय नगर और जीरो ALG शामिल हैं. ALG के उबड़-खाबड़ सतह को इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. मसलन अगर कभी जंग के दौरान दुशमन के विमानों के साथ एयर इंगेजमेंट के बाद एयरक्राफ्ट में फ़्यूल कम होने के चलते वो एयर बेस तक नहीं पहुंच सके तो एसे ही लैंडिंग स्ट्रिप पर आसानी से फाइटर जेट लैंड कर सकते हैं. अब तो भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी तेज़ी से भारतीय वायुसेना के विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग के लिए स्टेट और नेशनल हाईवे पर एयर स्ट्रिप भी तैयार करने में जुटी है और ये सब भारत अपने दोनों पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान के साथ भविष्य की टू फ़्रंट वॉर की आशंकाओं के चलते अपनी तैयारियों को बड़ी तेज़ी से मुकम्मल कर रहा है. Tags: India china border dispute, Indian Airforce, Ladakh Border, National NewsFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 21:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed