भारत ने उठाया एक कदम और 3 देशों को लग गई मिर्ची 2 हैं मौन 1 ने दे दी धमकी

Chabahar Port News: भारत ने मध्य एशिया में अपनी धाक और बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को 10 सालों के लिए अपने कंट्रोल में ले लिया है. इसके लिए भारत ने सोमवार को ईरान का साथ करार किया. चाबहार स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन का कंट्रोल मिलने से भारत को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी. भारत के इस कदम से एक साथ तीन देश तिलमिला उठे हैं. चाबहार पोर्ट का कंट्रोल मिलने से पाकिस्तान, चीन और अमेरिका में खलबली मच गई है. अमेरिका ने तो बैन तक की धमकी दे दी है. जबकि पाकिस्तान और चीन अभी मौन हैं.

भारत ने उठाया एक कदम और 3 देशों को लग गई मिर्ची 2 हैं मौन 1 ने दे दी धमकी
नई दिल्ली: भारत ने मध्य एशिया में अपनी धाक और बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को 10 सालों के लिए अपने कंट्रोल में ले लिया है. इसके लिए भारत ने सोमवार को ईरान का साथ करार किया. चाबहार स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन का कंट्रोल मिलने से भारत को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी. भारत के इस कदम से एक साथ तीन देश तिलमिला उठे हैं. चाबहार पोर्ट का कंट्रोल मिलने से पाकिस्तान, चीन और अमेरिका में खलबली मच गई है. अमेरिका ने तो बैन तक की धमकी दे दी है. जबकि पाकिस्तान और चीन अभी मौन हैं. भारत-ईरान के बीच हुए इस करार पर आगबबूला हुए अमेरिका ने कहा कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाए जाने का संभावित खतरा है. खैर, भारत के इस कदम को चीन और पाकिस्तान के लिए करारा जवाब माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन द्वारा विकसित किये जा रहे ग्वादर बंदरगाह और अब भारत द्वारा संचालित किये जाने वाले चाबहार बंदरबाग के बीच समुद्री मार्ग की दूरी केवल 172 किलोमीटर है और ऐसे कई देश हैं जो चाबहार बंदरगाह का यूज अपने कारोबार के लिए करना चाहते हैं. चीन-पाकिस्तान के लिए कैसे है यह झटका? चाबहार पोर्ट का कंट्रोल भारत को मिलना, पाकिस्तान और चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं है. चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बना रहा है, जो कि समुद्री मार्ग से चाबहार बंदरगाह से दूरी केवल करीब 172 किलोमीटर है. जबकि सड़क मार्ग से इन दोनों पोर्ट की दूरी करीब 400 किलोमीटर है. क्योंकि पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बनाकर इलाके में चीन अपना दबदबा बनाना चाहता है, ऐसे में ईरान के चाबहार पोर्ट का कंट्रोल भारत के पास होना काफी फायदेमंद है. एक ओर जहां इससे कोराबार के लिहाज से भारत की पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर यहां से पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ को भारत करारा जवाब दे पाएगा. अब पाक-चीन होंगे बेचैन! भारत के कंट्रोल में आया ईरान का चाबहार बंदरगाह, क्यों अहम है यह डील, कैसे होगा फायदा? चाबहार बंदरगाह से भारत को कितना फायदा? ईरान के साथ भारत की यह डील रणनीतिक रूप से काफी अहम है. इस पोर्ट के कंट्रोल से पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया तक भारत की राह सीधी और आसान हो जाएगी. ईरान के साथ यह करार क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देगा. यह पहली बार है, जब भारत किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में ल रहा है. भारत इस बंदरगाह को अपने कंट्रोल में लेकर पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के साथ-साथ चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को भी करारा जवाब दिया है. चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट से मध्य एशिया को साधना चाहता है. मगर अब चाबहार बंदरगाह से भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को काउंटर करेगा और यह पोर्ट भारत के लिए अफगानिस्तान, मध्य एशिया और व्यापक यूरेशियन क्षेत्र के लिए अहम कनेक्टिविटी लिंक के रूप में काम करेगा. यह बंदरगाह भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच ट्रांजिट ट्रेड के केंद्र के रूप में पारंपरिक सिल्क रोड का एक वैकल्पिक मार्ग होगा. इस बंदरहाग भारत के लिए व्यापार और निवेश के अवसरों के रास्ते खोलेगा और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा. अमेरिका ने क्या धमकी दी? अमेरिका ने कहा कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने वाले किसी भी देश को प्रतिबंधों का संभावित खतरा झेलना होगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हम इन खबरों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मैं चाहूंगा कि भारत सरकार चाबहार बंदरगाह और ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों पर बात करे. आपने हमें कई मामलों में यह कहते हुए सुना है कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें संभावित जोखिम और प्रतिबंधों के बारे में पता होना चाहिए.’ पाकिस्तान और चीन अब भी हैं मौन भारत के इस कदम से पाकिस्तान और चीन भले ही अभी मौन हैं, मगर उन्हें मिर्ची तो जरूर लगी होगी. चीन पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर जिस तरह से मध्य एशिया को साधना चाहता है, भारत के इस कदम से उसे बड़ा झटका लगा होगा. अब चीन का इलाके में एकक्षत्र राज नहीं चल पाएगा, क्योंकि अब ग्वादर पोर्ट से महज कुछ ही दूरी पर भारत भी मौजूद रहेगा, जो उसको इलाके में कड़ी टक्कर देगा. वैसे भी मध्य एशिया के ऐसे कई देश हैं, जो व्यापार और कारोबार के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने के इच्छुक रहे हैं. कहां है यह पोर्ट, कितना होगा निवेश? दरअसल, चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं. बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर निवेश करेगा जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी. यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा. क्यों जोर दे रहा भारत? भारत क्षेत्रीय व्यापार खासकर अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है. यह बंदरगाह ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (आईएनएसटीसी) परियोजना के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर पेश किया गया है. आईएनएसटीसी परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक बहुस्तरीय परिवहन परियोजना है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ईरान के साथ संपर्क परियोजनाओं पर भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए 2024-25 के लिए चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. Tags: Chabahar, China news, IranFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 13:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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