महायुति या MVA महाराष्ट्र में किसका चमकेगा सितरा क्या कह रहे धारावी के लोग

Maharashtra Chunav: कई फिल्मों, कहानियों का हिस्सा रही धारावी बस्ती अब महाराष्ट्र में चुनावी जंग के केंद्र में आ गई है. धारावी की पुनर्विकास परियोजना को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच खूब आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में न्यूज़18 ने धारावी की छोटी-छोटी गलियों में घुसकर वहां के निवासियों की नब्ज टटोलने की कोशिश की.

महायुति या MVA महाराष्ट्र में किसका चमकेगा सितरा क्या कह रहे धारावी के लोग
एशिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी एक भूलभुलैया है, लेकिन यहां एक अलग ही व्यवस्था है. जो लोग मुंबई को जानते हैं वो धारावी को भी जानते हैं. कई फिल्मों, कहानियों और अब महाराष्ट्र चुनाव की जंग में गहरी राजनीति का विषय है धारावी. इस राजनीतिक रस्साकशी के केंद्र में है पुनर्विकास परियोजना. धारावी के कई निवासियों को चिंता है कि यह परियोजना उनसे उनका घर छीन लेगी. महाविकास आघाड़ी (MVA) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नारे ‘बटेंगे तो काटेंगे’ को ध्रुवीकरण के प्रयास के रूप में पेश किया है. एमवीए धारावी को युद्ध के मैदान के रूप में प्रदर्शित कर रहा है, जिसका उपयोग बीजेपी अपने ‘अल्पसंख्यकों को खत्म करने के मिशन’ को लागू करने के लिए करेगी. धारावी को मोहने में जुटी कांग्रेस इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि राज्य में चुनाव प्रचार खत्म होने में 48 घंटे से भी कम समय बचा है और इस बीच कांग्रेस ने ‘मुंबई नामा’ ब्रोशर जारी किया. ‘झुग्गी बस्तियों के परिवर्तन’ शीर्षक से जारी इस ब्रोशर में कांग्रेस ने धारावी को एक्सपोर्ट जोन बनाने का वादा किया है और कहा है कि इसके पुनर्विकास में निवासियों की इच्छाओं का सम्मान करना होगा. धारावी और कांग्रेस के मोहब्बत का सिलसिला… धारावी कांग्रेस परिवार का एक अहम हिस्सा रही है और रहेगी। १९८० से यहां की जनता एक अपवाद को छोड़कर, कांग्रेस को चुनती आई है। भारतरत्न राजीव गांधी जी ने ही सबसे पहले धारावीकरों की लिए पक्के, सुविधापूर्ण घरों का सपना साकार किया था।… pic.twitter.com/bMiUGU565G — Dr. Jyoti Eknath Gaikwad (@DrJyotiEGaikwad) November 17, 2024

लोगों के दिल में विकास की टीस
न्यूज़18 ने धारावी की छोटी-छोटी गलियों में घुसकर वहां के निवासियों की नब्ज टटोलने की कोशिश की. धारावी, मुंबई की तरह ही, संस्कृतियों का एक संगम है. इसकी आबादी में मुख्य रूप से अल्पसंख्यक शामिल हैं, इसके अलावा कई तमिल और तेलुगु भाषी लोग भी बसे हुए हैं. बिरयानी की दुकानों के साथ-साथ दक्षिण भारतीय कॉफी और डोसा भी तेजी से तैयार किए और बेचे जा रहे हैं.

यहां हमारी मुलाकात अन्ना नाम के शख्स से हुई, जो कहते हैं,

article_image_1 ‘हमें विकास चाहिए. मैं यहां 23 साल से रह रहा हूं और इतने सारे नेताओं को आते-जाते देखा है. सभी ने खोखले वादे किए. धारावी को लड़ाई के अखाड़े की तरह क्यों इस्तेमाल किया जाए? हमारी जिंदगी क्यों नहीं बदलते?

थोड़ी दूर हमें नूरानी मिले, रविवार के नाश्ते के लिए पराठे तैयार कर रहे हैं. कुछ लोग जब कहते हैं कि यह परियोजना उनके घर छीन लेगी, तो वह इस बात पर आपत्ति जताते हैं .

article_image_1वह कहते हैं, ‘कौन सा घर? हमारे यहां एक टॉयलेट है, जिसका इस्तेमाल 20 लोग करते हैं. कचरे की कोई सुध नहीं लेता. हो सकता है कि अगर यहां चीजें बदल जाएं, तो हम सुरक्षित रहेंगे और हमारा जीवन स्वस्थ होगा. हमारे बच्चे और अधिक के हकदार हैं.’

धारावी मुंबई के 10 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन अब बीजेपी नीत महायुति यहां चुनाव नतीजों को बदलना चाहती है.

कांग्रेस ने यह सीट चार बार जीती है और यहां से ज्योति गायकवाड़ को इस बार मैदान उतारा है. यहां उनका मुकाबला महायुति के प्रत्याशी राजेश खंडारे से है. राज्य में चुनाव के लिए विकास ही मुख्य मुद्दा है. धारावी को इसी मुद्दे पर परखा जाएगा.

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