कसकर गले लगानापति से नाराज डॉक्टर पत्नी ने दे दी जान पढ़ें 7 पेज का नोट
कसकर गले लगानापति से नाराज डॉक्टर पत्नी ने दे दी जान पढ़ें 7 पेज का नोट
Crime News: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में डॉक्टर की आत्महत्या का मामला समाने आया है. शादी के बाद 4 महीने तक पति ने महिला डॉक्टर को इतना परेशान किया कि उसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली. डॉक्टर पत्नी ने सात पेज के सुसाइड नोट में जो कुछ लिखा वह पढ़कर आपको भी गुस्सा आ जाएगा.
मुंबई. पति-पत्नी के बीच नोकझोक तो आम बात है लेकिन महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में ऐसा क्या हो गया कि डॉक्टर पत्नी ने खौफनाक कदम उठा लिया. इतना ही नहीं पत्नी ने मरने से पहले 7 पन्नों का एक खत लिखा है. इतना ही नहीं डॉक्टर पत्नी ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरी इच्छा है कि मेरे पति मुझे चिता पर रखने से पहले कसकर गले लगाएं. उन्होंने अपने पति से कहा है कि मुझे भूल जाना और बाकी जिंदगी खुशी से जीना. 7 पन्नों को यह सुसाइड नोट आपकी आंखों में आंसू ला देगा.
बताया जा रहा है कि अपनी जिंदगी खत्म करनी वाली महिला डॉक्टर का नाम प्रतीक्षा है. अपने सुसाइड नोट में उन्होंने बताया कि उनके पति ने उन्हें कैसे और कितना प्रताड़ित किया. शादी के बाद 4 महीने तक पति ने इतना प्रताड़ित किया जिसका जिक्र डॉक्टर प्रतीक्षा ने सुसाइड नोट में किया जिसको पढ़कर आपको भी गुस्सा आ जाएगा, लेकिन इतनी यातनाओं के बाद भी डॉक्टर प्रतीक्षा का अपने पति के प्रति प्यार कम नहीं हुआ. उन्होंने सुसाइड नोट में पति की शिकायत करते हुए उनके प्रति अपने प्यार का भी इजहार किया है. उसकी प्रताड़ना से तंग आकर उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.
प्रतीक्षा ने सुसाइड नोट के आखिरी पन्ने में क्या कहा…
अरे, मुझे आपके हावी होने वाले स्वभाव से बहुत कुछ मिलता है. इंसान को इतना हावी नहीं होना चाहिए. मैं जीना चाहती थी, लेकिन शादी के बाद से हमारे बीच कुछ भी संभव नहीं था. मुझे कभी समझा ही नहीं, बस बंदिशों में रखा. इस परेशानी से तंग आकर मैं खुद को खत्म कर रही हूं. अच्छे दिखो, अच्छे से रहो… और यदि तुमने कभी मुझसे थोड़ा भी प्यार किया है, तो मुझे कसकर गले लगाओ और फिर चिता पर रखना. आखिर में डॉक्टर प्रतीक्षा ने लिखा मुझे भूल जाओ और बाकी जिंदगी खुशी से जियो.
सुसाइड नोट में प्रतीक्षा ने और क्या कहा?
प्रिय,
तुमसे बहुत प्यार करती हूं. मैं तुम्हारे लिए खुद को भूल गई. मुझ जैसी मुस्कुराती लड़की को परेशान करके तुमने उसकी रफ्तार को धीमा कर दिया. आपने एक आत्मनिर्भर, महत्वाकांक्षी लड़की को आश्रित बना दिया. मैंने कई सपनों के साथ तुमसे शादी की थी कि तुम मुझे भरपूर जीवन दोगे, देखभाल करोगे, करियर में सहयोग दोग, एक छोटा परिवार दोगे. मैं इसकी तैयारी कर रही थी कि तुम्हें बेटा चाहिए या नहीं. हमारे पास एक प्यारा बच्चा है. अगर तुम आज यह समय मेरे सामने नहीं लाते. आपके कहे अनुसार, सब कुछ छोड़ दिया. जब मैंने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, माता-पिता और भाई से बात की तो मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की, क्योंकि आप गुस्सा हो जाते थे. लेकिन फिर भी आपका पेट नहीं भरा है. उन्होंने मोबाइल फोन बदलने की बात कही, नंबर बदलने को लेकर बहस की, लेकिन इसके लिए तैयार हो गए. आपका संदेह खत्म नहीं होता. लगातार मेरे चरित्र पर संदेह करते रहे लेकिन देवा शपथ के साथ कहना चाहती हूं कि मैं आपके प्रति ईमानदार थी, हूं और रहूंगी. मेरे किरदार में कुछ भी गलत नहीं है.
अपने परिवार को परेशानी बताई तो हमारा रिश्ता टूट जाएगा
मुझसे नौकरी मांगी गई. मैं मुझ पर नज़र रखने के लिए अपने दोस्तों को बुलाया. यानी आपको तुरंत पता चल जाता है कि आपको मुझ पर भरोसा नहीं है. मेरे काम के दौरान भी आप हर समय मुझ पर नजर रखते है कि मैं वहां क्या कर रही हूं. इतनी देर क्यों हो गई? आपने फोन नहीं किया, आप बात नहीं करना चाहते? ऐसा कहकर उन्होंने मुझे दुख पहुंचाया. वह फर्नीचर के पैसों के लिए लड़ते हैं. जब मैंने नीट पीजी देना चाहा तो मुझे पढ़ने नहीं दिया गया. मैंने खुद भी ऐसा नहीं किया. तुम रोज मेरी गलतियां सुना कर मुझे मानसिक रूप से परेशान करने लगे. जब मैं काम पर होती हूं तो फोन नहीं उठाने पर वह नाराज होते हैं. मुझे हमेशा यह धमकी देकर शांत कर दिया जाता था कि अगर मैंने अपनी परेशानी घर पर बताई तो हमारा रिश्ता टूट जाएगा. मैं इसे अब और सहन नहीं कर सकती.
मैंने आपके परिवार को बहुत महत्व दिया. सास की देखभाल की. कभी भी उनके खिलाफ नहीं कहा. उन्होंने मुझे भी बचाया परन्तु आपने कहा कि आप मेरे कर्तव्य का दिखावा करते हैं. भगवान के पास जाते समय मैंने मम्मी पापा को नहीं बुलाया, क्योंकि मुझे बहुत बुरा लगता था. मुझे यह पसंद नहीं आया लेकिन मैंने इसे कंट्रोल किया. मेरी और प्रिया दीदी की बहस हो गई. मेरा मोबाइल तुम्हारे लिए हमेशा खुला था. इसमें आपकी उंगलियों के निशान लगे होते हैं. हालांकि मैंने आप पर शादी से पहले भी पैसा खर्च किया था, फिर भी आपने तर्क दिया क्योंकि आपने वह पैसा अपने माता-पिता को शादी के खर्च के लिए दिया था. आपको इसका कोई अधिकार नहीं था.
वह पैसे मैंने अपनी मेहनत और अपने माता-पिता की मदद से कमाए. मैं वास्तव में स्त्री रोग विशेषज्ञ बनना चाहती थी. परन्तु तुमने सबकुछ पानी में डुबा दिया. अंत में मेरे माता-पिता ने कहा था कि अगर हम नहीं तो कुणाल है. तुम अकेली नहीं हो. उनका (ससुराल वालों का) अच्छे से ख्याल रखना, उन पर गुस्सा मत करना. मम्मी-डैडी मैं आपसे बहुत प्यार हूं. अलविदा…अब मैं एक आजाद पंछी हूं.
Tags: Crime News, Mahrashtra NewsFIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 14:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed