Haldwani : कभी 2 फीट की पटरी पर दौड़ता था ब्रिटिशकाल का ये रेल इंजन इतने रुपये में इंग्‍लैंड से आया था भारत

Uttarakhand Forestry Training Academy: कुमाऊं मंडल के चोरगलिया स्थित जौलाशाल का जंगल साल की लकड़ी के लिए जाना जाता था. अंग्रेज अपने हथियारों के बट सहित अन्य सामग्री बनाने के लिए जौलाशाल की साल की लकड़ी का ही प्रयोग करते थे. इसे इसी इंजन की मदद से लाया जाता था.

Haldwani : कभी 2 फीट की पटरी पर दौड़ता था ब्रिटिशकाल का ये रेल इंजन इतने रुपये में इंग्‍लैंड से आया था भारत
रिपोर्ट- पवन सिंह कुंवर हल्द्वानी. ब्रिटिशकाल में सन 1926 में हल्द्वानी पहुंची ट्रेन का इंजन आज भी हल्द्वानी के उत्तराखंड फॉरेस्ट ट्रेनिंग एकेडमी प्रांगण (FTI Haldwani) की शोभा बढ़ा रहा है. कभी यह ट्रेन का इंजन दो फीट की पटरियों पर बेधड़क दौड़ता था और जंगल से बेशकीमती लकड़ियों की ढुलाई करता था. यह इंजन वन विभाग की शान हुआ करता था, जिसे आज वन विभाग धरोहर के रूप में संजोए हुए है. 14012 रुपये और 50 पैसे में खरीदे गए इस ट्रेन के इंजन की छुक-छुक की आवाज कभी दूर तक सुनाई देती थी. यह सर्वविदित है कि जब अंग्रेज भारत पहुंचे थे, तो शुरू से ही यहां की वन संपदा पर उनकी नजर बनी हुई थी. कुमाऊं में दाखिल होते ही उन्होंने इस बात की तस्दीक भी कर दी थी. कुमाऊं मंडल के चोरगलिया स्थित जौलाशाल का जंगल साल की लकड़ी के लिए जाना जाता था. अंग्रेज अपने हथियारों के बट सहित अन्य सामग्री बनाने के लिए जौलाशाल की साल की लकड़ी का ही प्रयोग करते थे. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हथियारों में प्रयोग की गईं बट की लकड़ियां जौलाशाल के जंगलों की ही थीं. उस समय लकड़ियों को ढोने के लिए कोई संसाधन नहीं था. 1926 में वन विभाग ने इंग्लैंड की एक कंपनी से 14012 रुपये और 50 पैसे में एक इंजन मंगाया था, जो 2 फीट की पटरी पर छुक-छुक दौड़कर वन विभाग के कामों में सहयोग किया करता था. 1926 से 1937 तक इस इंजन ने वन विभाग का बखूबी साथ निभाया और विभाग को मुनाफे में भी पहुंचाया. ट्रामवे इंजन को 40 हॉर्स पावर की शक्ति से बनाया गया था. यह एक बार में 7 टन लकड़ियां ढोया करता था. जबकि इंजन की रफ्तार प्रति घंटा 7 मील हुआ करती थी. ट्रामवे ट्रेन को नंधौर घाटी से जोड़ने के लिए लालकुआं-चोरगलिया होते हुए इसका प्रयोग किया जाता था. इसके लिए लालकुआं से चोरगलिया के लिए लाइन भी बिछाई गई थी. अगर आप भी इस ट्रेन के इंजन के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं या इसे देखना चाहते हैं, तो आप हल्द्वानी के रामपुर रोड स्थित फॉरेस्ट ट्रेंनिंग एकेडमी में जा सकते हैं. यहां इसे देखने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Haldwani newsFIRST PUBLISHED : August 15, 2022, 11:36 IST