(कुलदीप चौहान/Kuldeep Chauhan)
किसी भी माता-पिता के लिए उनके बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं होता है. लोग अपने बच्चों के लिए सबकुछ दाव पर लगा देते हैं. अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए क्या-क्या जतन नहीं करते, लेकिन जब बच्चे ही किसी की तरक्की में रोड़ा बन जाएं तो क्या किया जा सकता है. ताजा मामला उत्तराखंड से जुड़ा है. यहां एक महिला की प्रधानी उसके बच्चों के चलते छिन गई.
मामला ये है कि चकराता की ग्राम पंचायत नराया की प्रधान सुषमा देवी को उसके बच्चों के चलते अपनी प्रधानी से हाथ धोना पड़ा है. जिलाधिकारी के आदेश के उन्हें बाद उनके पद से हटा दिया गया है. दरअसल, पंचायतीराज अधिनियम 2019 में हुए संशोधन के बाद दो से अधिक संतानों वाला जनप्रतिनिधि पंचायत का प्रतिनिधित्व करने के योग्य नहीं है. नराया की ग्राम प्रधान सुषमा देवी ने ग्राम प्रधान का पद ग्रहण करते समय तीन बच्चे होने की बात छुपाई थी. इस मामले में पूर्व ग्राम प्रधान श्रीचंद तोमर ने सुषमा देवी के विरुद्ध तीन बच्चे होने की शिकायत जिलाधिकारी से की थी. साथ ही पूर्व प्रधान ने ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों में धांधली का भी आरोप लगाया था. जांच में ग्राम प्रधान के 3 बच्चे होने की पुष्टि होने के बाद जिलाधिकारी सोनिका ने ग्राम प्रधान को उनके पद से हटा दिया.
उत्तराखंड में 2 बच्चों से ज्यादा वाले भी हो सकते हैं प्रधान
यहां ये बात आपको जरूर खटक रही होगी कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग भी पंचायत का चुनाव लड़ सकते हैं. फिर सुषमा देवी के खिलाफ यह एक्शन क्यों लिया गया.
यहां बता देना जरूरी है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक समय सीमा की शर्त भी लगा दी थी. हाईकोर्ट ने पंचायती राज संशोधन ऐक्ट को लागू करने की कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 को मान्य कर दिया था. इसका मतलब था कि 25 जुलाई, 2019 के बाद दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाएंगे, जबकि 25 जुलाई 2019 से पहले जिसके तीन बच्चे हैं, वे चुनाव लड़ सकते हैं.
Tags: Panchayat, Panchayat election, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 21:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed