योगी आदित्यनाथ के गुरु जो दलितों के लिए लड़ गए न होते तो नहीं बन पाता मंदिर!

1948 में महात्मा गांधी की हत्या हो गई. सरकार ने हत्या की साजिश में अवैद्यनाथ के गुरु दिग्विजयनाथ को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और गोरखनाथ मंदिर की तमाम संपत्तियां जब्त कर ली गईं.

योगी आदित्यनाथ के गुरु जो दलितों के लिए लड़ गए न होते तो नहीं बन पाता मंदिर!
धर्म और सियासत का गहरा मेल रहा है. राजनेता अक्सर धर्म गुरुओं की शरण में देखे जाते हैं. चुनावी सीजन में इनकी दखल और बढ़ जाती है. लोकसभा चुनाव 2024 के बहाने hindi.news18.com लाया है एक खास सीरीज ‘नेताओं के गुरु’, जिसमें आप तमाम आध्यात्मिक गुरु, साधु-संत और उनके अनुयायियों से जुड़े दिलचस्प किस्से, वाकये पढ़ सकते हैं. सीरीज का चौथा पार्ट महंत अवैद्यनाथ पर… पहला पार्ट: कहानी चंद्रास्वामी की दूसरा पार्ट: कहानी धीरेंद्र ब्रह्मचारी की  तीसरा पार्ट: कहानी देवरहा बाबा की साल 1977. अचानक एक दिन खबर आई कि दक्षिण भारत के तमाम मंदिरों में दलितों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. उन दिनों महंत अवैद्यनाथ गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर हुआ करते थे और छुआछूत के कट्टर विरोधी थे. जब उन्होंने यह खबर सुनी तो आग बबूला हो गए. गोरखपुर से मीनाक्षीपुरम के लिए निकल पड़े और वहां धरने पर बैठ गए. अवैद्यनाथ ने कहा कि अगर हिंदुओं के बीच ही भेदभाव किया गया तो मंदिर में आएगा कौन और संतों को कौन पूछेगा? वह अपनी जिद पर अड़े रहे और तब तक धरना खत्म नहीं किया, जब तक फैसला वापस नहीं हो गया. कौन थे महंत अवैद्यनाथ महंत अवैद्यनाथ का जन्म 28 मई 1921 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में कांदी नाम के गांव में हुआ. माता-पिता ने उनका नाम कृपाल सिंह बिष्ट रखा. जब तक कुछ समझने लायक होते तब तक माता-पिता, दोनों अकाल मृत्यु हो गई. इसके बाद मासूम कृपाल के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी दादी पर आ गई. वह स्कूल की पढ़ाई पूरी कर पाते और थोड़ा संभलते, इससे पहले ही उनकी दादी भी चल बसीं. माता-पिता और दादी की मौत के बाद नौजवान कृपाल सिंह बिष्ट का मन वैराग्य की तरफ मुड़ गया. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे और पिता तीन भाई थे. उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दोनों चाचा में बराबर बांट दी और फिर चार धाम की यात्रा पर निकल गए. योगी निवृत्तिनाथ से मुलाकात बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और कैलाश मानसरोवर की यात्रा के बाद जब कृपाल लौटने लगे तो अल्मोड़ा में बुरी तरह बीमार पड़ गए. उन्हें कालरा हो गया. इस दौरान जो लोग उनके साथ चार धाम यात्रा पर गए थे, उन्हें छोड़कर आगे बढ़ गए. कृपाल सिंह ने कुछ दिन अल्मोड़ा में ही बिताने का फैसला किया. इसी दौरान उनकी मुलाकात योगी निवृत्तिनाथ से हुई, जो नाथ पंथ से जुड़े थे. उन्होंने नौजवान कृपाशंकर को गोरखनाथ पीठ और इसके महंत दिग्विजयनाथ के बारे में बताया. नौजवान कृपाल सिंह बिष्ट दिग्विजयनाथ से मिलने गोरखपुर पहुंच गए. 21 की उम्र में बने पीठाधीश्वर पहली ही मुलाकात में दिग्विजयनाथ, नौजवान कृपाल से काफी प्रभावित हुए और मन ही मन अपना उत्तराधिकारी बनाने का फैसला ले लिया, लेकिन इससे पहले उन्हें नाथ संप्रदाय की दीक्षा दिलवाई. 2 साल की कड़ी तपस्या के बाद कृपाल की दीक्षा पूरी हुई. आठ फरवरी 1942 को महंत दिग्विजयनाथ ने कृपाल को एक नया नाम दिया अवैद्यनाथ और उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. महात्मा गांधी की हत्या के बाद बवाल अवैद्यनाथ, गोरखनाथ मंदिर की पूरी व्यवस्था संभालने लगे और तमाम सामाजिक कार्यों की शुरुआत की. साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या हो गई. सरकार ने हत्या की साजिश में अवैद्यनाथ के गुरु दिग्विजयनाथ को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और गोरखनाथ मंदिर की तमाम संपत्तियां जब्त कर ली गईं. इस दौरान अवैद्यनाथ कुछ दिनों के लिए नेपाल चले गए और वहीं से गोरखनाथ पीठ का कामकाज संभालते रहे. राजनीति में कदम महंत अवैद्यनाथ ने साल 1962 में राजनीति में कदम रखा. गोरखपुर की मनिराम विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 1977 तक लगातार इस सीट से जीतते रहे. इसके बाद गोरखपुर से सांसदी का चुनाव लड़ा और लगातार तीन बार जीते. 1989 से 1998 तक गोरखपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. योगी आदित्यनाथ से मुलाकात 90 के दशक में जिस वक्त राम मंदिर आंदोलन चरम पर था, उन दिनों अजय सिंह बिष्ट नाम का एक नौजवान ऋषिकेश में एमएससी की पढ़ाई कर रहा था. युवा अजय का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था और उनका मन बार-बार आंदोलन की तरफ जाता. साल 1993 के शुरुआती सालों में अजय सिंह बिष्ट ऋषिकेश से गोरखपुर आ गए और यहां सीधे महंत अवैद्यनाथ से मिलने पहुंच गए. इससे पहले साल 1990 में वह महंत अवैद्यनाथ से थोड़ी देर के लिए मिल चुके थे. अजय सिंह बिष्ट जब दोबारा महंत अवैद्यनाथ से मिले तो योग सीखने की इच्छा जाहिर की. कुछ दिन रुकने के बाद जब अजय सिंह बिष्ट ऋषिकेश लौटने लगे तो महंत अवैद्यनाथ ने उनसे गोरखनाथ मंदिर में ही रुकने को कहा. पर वह नहीं रुके. कैसे बने योगी आदित्यनाथ के गुरु? अजय सिंह बिष्ट के ऋषिकेश लौटने के कुछ महीनों के बाद महंत अवैद्यनाथ गंभीर रूप से बीमार हो गए और उन्हें दिल्ली के एम्स लाया गया. अजय सिंह बिष्ट ने जब यह खबर सुनी तो फौरन दिल्ली आ गए. इस बार महंत अवैद्यनाथ ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए उनसे फिर मठ में आने का आग्रह किया. इस बार महंत अवैद्यनाथ की बात अजय के मन में बैठ गई थी. वे घर लौटे और फिर नवंबर 1993 में सबकुछ त्यागकर गोरखनाथ मंदिर आ गए. 15 फरवरी 1994 को बसंत पंचमी के दिन अजय सिंह बिष्ट ने महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली और उन्हें नाम मिला ‘आदित्यनाथ योगी’. योगी आदित्यनाथ को सौंपी राजनीतिक विरासत योगी आदित्यनाथ, अपने गुरु की सेवा में जुट गए और धीरे-धीरे उनका पूरा कामकाज संभालने लगे. साल 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपी और गोरखपुर सीट से चुनाव लड़वाया. उस वक्त योगी आदित्यनाथ की उम्र महज 26 साल थी और तब सबसे कम उम्र में सांसदी का चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर बन गए. राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई साल 1969 में जब महंत दिग्विजयनाथ ने महासमाधि ली और अवैद्यनाथ, महंत तो राम मंदिर आंदोलन भी परवान चढ़ा. महंत अवैद्यनाथ ने ऐलान किया कि राम ज्मभूमि की मुक्ति तक वह चैन से नहीं बैठेंगे. इसके बाद वह हिंदू समाज के अलग-अलग मत के धर्माचार्यों को एक मंच पर लाने में जुट गए. 1984 में जब राम जन्मभूमि यज्ञ समिति का गठन हुआ तो महंत अवैद्यनाथ को इसका अध्यक्ष चुना गया. इसके बाद 1992 में कारसेवा की अगुवाई करने वालों में भी शामिल रहे. शिष्य बीमार हुआ तो डॉक्टर से भिड़ गए महंत अवैद्यनाथ, अपने शिष्य योगी आदित्यनाथ को कितना मानते थे, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. योगी आदित्यनाथ जब गोरखनाथ मठ में आए तो एक दफा उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. उन्हें पीलिया हो गया. डॉक्टर ने उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ से कहा कि इन्हें दूध, दही जैसी चीजें छोड़नी होंगी, तभी तबीयत में सुधार होगा. इस पर महंत अवैद्यनाथ भड़क गए और डॉक्टर को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर दूध-दही भी छोड़ देगा तो खाएगा क्या? खुद योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में इस वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि बड़े महंत ने मुझसे कहा कि खूब छककर दूध पियो और दही खाओ. मैं जबतक स्वस्थ नहीं हुआ, वह खुद मेरा ख्याल रखते रहे. . Tags: 2024 Loksabha Election, Gorakhpur news, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Yogi Adityananth, Yogi adityanathFIRST PUBLISHED : April 29, 2024, 15:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed