कौन थे SC जज बहारुल इस्लाम जिनको लेकर बीजेपी सांसद ने कांग्रेस पर तंज कसा

Justice Baharul Islam : राज्यसभा में बीजेपी के सांसद बृज लाल ने न्याय पालिका में हस्तक्षेप को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा है. बृज लाल ने कांग्रेस को याद दिलाया कि किस तरह राज्यसभा सदस्य बहारुल इस्लाम को इस्तीफा दिलाकर हाईकोर्ट का जज बनाया. फिर वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने. जगन्नाथ मिश्रा के पक्ष में फैसला देने के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया और फिर राज्यसभा के सदस्य बन गए.

कौन थे SC जज बहारुल इस्लाम जिनको लेकर बीजेपी सांसद ने कांग्रेस पर तंज कसा
Justice Baharul Islam: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शुक्रवार को राज्यसभा में इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. राज्यसभा में बीजेपी सांसद बृज लाल ने कांग्रेस के शासनकाल में ज्यूडिशरी के सरकार के प्रति कमिटमेंट को लेकर तंज कसा. बृज लाल ने जस्टिस बहारुल इस्लाम को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि पहले राज्यसभा सांसद रहे बहारुल इस्लाम को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न्यायपालिका में दखल देकर सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया. जज बनते ही बहारुल इस्लाम ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में उनके पक्ष में फैसला दिया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के पद से इस्तीफा दे दिया और फिर से राज्यसभा सांसद बन गए.   अगर बहारुल इस्लाम के करियर पर नजर डालें तो उसमें आपको काफी विविधता नजर आएगी. मूल रूप से असम के नलबाड़ी के रहने वाले इस्लाम राज्यसभा सदस्य से सुप्रीम कोर्ट जज बने. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज पद से इस्तीफा दिया तो फिर राज्यसभा पहुंच गए. आखिर कौन थे बहारुल इस्लाम जिनकी चर्चा आज राज्यसभा में हुई. ये भी पढ़ें- क्यों जगन रेड्डी के 450 करोड़ के आलीशान महल पर हो रहा विवाद, क्या इस पर गिरेगी गाज! वकालत से राजनीति में आए बहारुल इस्लाम की पढ़ाई गुवाहाटी (असम) के कॉटन कॉलेज और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से हुई. साल 1951 में उन्होंने वकालत करने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया. साल 1958 में वह सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे. स्टूडेंट लाइफ से ही उनकी दिलचस्पी राजनीति में थी. साल 1956 में उन्होंने असम की सोशलिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. उसी साल उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और संगठन में अलग-अलग पदों पर काम किया. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें दो बार 1962 और 1968 में राज्यसभा का सदस्य बनाया. लेकिन 1972 में इस्लाम ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और फिर से न्यायपालिका का हिस्सा बन गए. उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया. आगे चलकर वह गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और उसी पद से रिटायर हुए. ये भी पढ़ें- वो भारतीय जीनियस, जो एक-दो बार नहीं, बल्कि 6 बार नोबेल अवॉर्ड पाते-पाते रह गए क्या था वो फैसला जिससे विवादों में आए इसके बाद वह दिसंबर 1980 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए. यह अपने आप में अलग तरह का मामला था, क्योंकि रिटायर जज को अमूमन रिएपांइट नहीं किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट का जज रहते हुए बहारुल इस्लाम ने एक बहुचर्चित मामले में बिहार के कांग्रेस आई के दिग्गज नेता जगन्नाथ मिश्रा के पक्ष में फैसला दिया. यह वही फैसला था जिसका जिक्र बीजेपी सांसद बृज लाल ने राज्य सभा में किया. जगन्नाथ मिश्रा केस में फैसला देने के फौरन बाद बहारुल इस्लाम ने जनवरी 1983 में सुप्रीम कोर्ट से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद उन्हें कांग्रेस आई ने असम की बारपेटा सीट से लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया. 1984 के आम चुनाव में उस वक्त असम में हालात बिगड़ गए और बारपेटा सीट पर चुनाव नहीं हो पाया. फिर कांग्रेस ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेज दिया. Tags: Assam High Court, BJP, Congress, Rajya sabha, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : June 28, 2024, 19:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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