Explainer : भारत में अब कौन है नमक का दारोगा क्या होता है इसका रोल

प्रेमचंद की कहानी नमक का दारोगा हम सभी ने पढ़ी होगी. अक्सर ये टर्म सुनते भी रहे होंगे. अंग्रेजों के शासन में नमक पर टैक्स वसूला जाता था. इसके लिए बकायदे एक महकमा था. एक कानून था. आजादी के बाद भी नमक का वो महकमा अब भी काम कर रहा है. बस उसकी भूमिका कुछ बदल गई. हालांकि ये महकमा देशभर के नमक उत्पादन को कंट्रोल करता है. कैसे काम करता है ये

Explainer :  भारत में अब कौन है नमक का दारोगा क्या होता है इसका रोल
जीवन में नमक की क्या अहमियत है, ये हर किसी को मालूम है. एक जमाना था जब दुनिया के तमाम देशों में नमक खाना आसान नहीं था, क्योंकि उसको खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए टैक्स देना होता था. चीन में 300 ईसापूर्व से नमक खरीदने पर शुल्क देना होता था. जब अंग्रेज भारत आए तो यहां भी उन्होंने नमक पर कई तरह के शुल्क और टैक्स लाद दिए. ऐसे नमक कानून बन गया जिसकी आलोचना होने लगी. प्रेमचंद ने भी नमक का दारोगा जैसी कहानी लिखी तो उन्होंने इसमें नमक को लेकर सरकारी अधिकारियों की चांदी की बात को कहानी का आधार बनाया. प्रेमचंद की कहानी कहती है, “जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वरप्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे. अनेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपात हुआ, कोई घूस से काम निकालता था, कोई चालाकी से. अधिकारियों के पौ-बारह थे. पटवारीगिरी का सर्वसम्मानित पद छोड़-छोड़कर लोग इस विभाग की बरकंदाज़ी करते थे. इसके दारोगा पद के लिए तो वक़ीलों का भी जी ललचाता था.” क्या आपको मालूम है कि अंग्रेज तो चले गए और जनता को नमक के लिए देने वाले टैक्स को हटा भी दिया गया लेकिन अब भी देश में नमक का महकमा बरकरार है. नमक के दारोगा देश में नमक के उत्पादन से लेकर उसकी आपूर्ति और वितरण पर नजर रखते हैं. इससे जुड़े सारे पहलुओं के लिए जिम्मेदार होते हैं. क्या है इंडियन साल्ट सर्विसेज इस डिपार्टमेंट का नाम द साल्ट आर्गनाइजेशन है. इसकी अगुवाई साल्ट कमिश्नर करता है. इसमें आने वाले अधिकारियों की नियुक्ति यूपीएससी एग्जाम के तहत आईएएस की एलायड सर्विस इंडियन साल्ट सर्विसेज में होती है. ये देश की सबसे छोटी केंद्रीय प्रशासनिक सेवा है. इसका मुख्य काम नमक को लेकर देशभर में प्रशासनिक, तकनीक और राजस्व से संबंधित कामों को देखना है. नमक को लेकर जितने रेगुलेटरी प्रावधान हैं, वो इसी आर्गनाइजेशन के जरिए होते हैं. आपके पास जो नमक आता है, वो भारतीय नमक संस्थान के नियमों और देखरेख के जरिए ही आता है. ये महकमा कामर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय के तहत आता है. जयपुर में साल्ट कमीशन ऑफ इंडिया का मुख्यालय लवण भवन. जो देश में नमक की हर गतिविधि को कंट्रोल और रेगुलेट करने का काम करता है. हम आगे यही जानेंगे कि देश का नमक महकमा हमारे घर आने वाले नमक को कैसे कंट्रोल रखता है और खेती से लेकर इनके प्रोसेस और डिस्ट्रीब्यूशन तक पर इसकी नजर होती है. ये भी जानेंगे कि नमक से ये महकमा कैसे कमाई करता है. तब कैसे होती थी नमक से कमाई नमक पर अंग्रेजी राज में कई तरह के टैक्स और शुल्क के जरिए राजस्व इकट्ठा होता था. इसमें एक्साइज ड्यूटी, ट्रांजिट टैक्स, लेवी, सेस कई तरह की चीजें थीं. ब्रिटिश राज के पास जैसे जैसे भारत के हिस्से आते गए, वैसे वैसे उसने नमक पर टैक्स के प्रावधान शुरू कर दिए. 1802 में देश में नमक का महकमा बना. अंग्रेजों ने कैसे इस पर तमाम कर और शुल्क लगाए ब्रिटिश भारत सरकार ने 1856 में प्लाउड नाम के एक कमिश्नर को ये जिम्मा सौंपा कि वो ये देखे कि देश में नमक के जरिए कैसे मोटा राजस्व टैक्स और ड्यूटी के जरिए इकट्ठा किया जा सकता है. उसने जो प्लान तैयार करके सरकार को दिया, उसमें नमक पर हर स्तर पर टैक्स, ड्यूटी और लेवी जैसे कर और शुल्क लगने थे, जो उसकी खेती से लेकर निर्माण और उत्पादन के बाद इसे एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने और वहां आम लोगों द्वारा इसे खरीदना था. आम आदमी भी जब नमक खरीदता था तो उसकी कीमत जो देता था, वो टैक्स और तमाम शुल्क के साथ होती थी. जब गांधीजी ने नमक सत्याग्रह करके नमक कानून तोड़ा था. (फाइल फोटो) तब कलेक्टर की निगरानी में होता था नमक पर कर उगाही का काम नमक पर टैक्स जुटाने का काम सीधे जिलाधिकारियों की निगरानी में होता था और इसके ऊपर एक कंट्रोलिंग अथारिटी थी यानि कमिश्नर ऑफ साल्ट रेवेन्यू. 1876 में साल्ट कमिश्नर की अगुवाई में बनाया गया विभाग आज भी चल रहा है. हालांकि आजादी के बाद कई बार इस विभाग के मंत्रालय बदले लेकिन विभाग बदस्तूर चलता रहा और अब भी चल रहा है. नमक महकमे का सबसे बड़ा अफसर अब कौन नमक महकमे का सबसे बड़ा अधिकारी साल्ट कमिश्नर कहा जाता है. जिसे अंग्रेजों के जमाने में साल्ट कंट्रोलर कहा जाता था. वो भारतीय नमक संगठन के जयपुर मुख्यालय में बैठता है और सारे देश के नमक से जुड़े मामलों की उच्च अथारिटी होता है. उसके नीचे डिप्टी साल्ट कमिश्नर होते हैं जो देशभर के 04 रीजनल ऑफिस के प्रभारी होते हैं. उससे नीचे डिविजन आफिस आमतौर पर उन राज्यों में होते हैं, जहां साल्ट का प्रोडक्शन होता है, उनकी अगुवाई अस्सिटेंट साल्ट कमिश्नर करते हैं. देशभर में साल्ट आर्गनाइजेशन के जो 04 रीजनल आफिस हैं, वो चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद और कोलकाता में हैं. समुद्र के खारे पानी को मेड़ बनाकर तटीय इलाकों में इकट्ठा किया जाता है और सुखाया जाता है. इसे नमक की खेती भी कहते हैं. क्या है भारतीय नमक संगठन की संरचना देशभर में मुख्य तौर पर नमक की खेती करने वाले राज्यों में गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिसा, तमिलनाडु और तमिलनाडु का तूतीकोरिन क्षेत्र शामिल है. इंडियन साल्ट सर्विसेज की शुरुआत 1954 में हुई, जो अब जारी है, दरअसल इस सर्विस 11 आला अधिकारी अपने स्टाफ के साथ देश के नमक उत्पादन और इसके कारोबार को नियंत्रित करने के साथ इसके लिए नियम बनाने और जरूर तकनीक व ट्रेनिंग पक्षों पर काम करते हैं. नमक कानून किस अनुसूची में नमक भारतीय कानून के अनुसार केंद्र का विषय है. ये केंद्र की 7वीं अनुसूची के आइटम नंबर 58 में शामिल है. इसके तहत (1) नमक के उत्पादन, सप्लाई, वितरण पर केंद्रीय एजेंसियां नजर रखती हैं और (2) आपूर्तिऔर उत्पादन के रेगुलेशन पर केंद्र नियंत्रण रखता है. ये नियंत्रण साल्ट इंडस्ट्री की संस्थाओं के जरिए किया जाता है. कैसे राजस्व आता है नमक महकमे के पास अब सवाल ये उठता है कि नमक पर जब आम जनता के लिए टैक्स हटा लिया गया तो देश के साल्ट डिपार्टमेंट का खर्च कैसे वहन होता है और नमक महकमा किस तरह राजस्व इकट्ठा करता है. नमक की खेती करने की सारी जमीन सरकारी है. इसे सरकार खुले आवंटन के जरिए 10 से 20 साल के लिए लीज़ पर देती है. नमक को इकट्ठा किया जा चुका है. अब प्लांट्स के जरिए इन्हें प्रोसेस किया जाएगा. जिसमें इनकी सफाई से लेकर आयोडाइज्ड करना शामिल है. आमतौर पर बड़ी बड़ी कंपनियां लीज पर सरकार के नमक की खेती वाली जमीनें लेकर उनपर उत्पादन करती हैं. उन्हें इसके बाद सरकार को सालाना तो पर प्रति मीटर या प्रति एकड़ की तय दर से उसका भुगतान करना होता है. इसके अलावा इस पर सेस और कई ड्यूटी भी लगती हैं. खेती से लेकर नमक जब प्रोसेस की प्रक्रिया में बड़ी कंंपनियों के प्लांट में पहुंचता है, तब भी सरकार उस पर शुल्क लगाती है. इसी के जरिए सरकार नमक से कमाई करती है. सेस से लेकर नमक के खेतों के किराए तक साल्ट कमिश्नर आर्गनाइजेशन जो काम करता है, वो इस तरह हैं – देशभर में साल्ट सेस एक्ट 1953 को लागू कराना. ये रूल्स इस तरह हैं नमक उत्पादन की प्लानिंग, पर्याप्त मात्रा में वितरण और गुणवत्ता व दाम की निगरानी तकनीक विकास को बढ़ावा, व्यक्तिगत प्रशिक्षण नमक निर्यात को बढ़ावा और और जहाज पर लदान के पूर्व निरीक्षण नमक खेती की सारी विभागीय जमीन का प्रबंधन आयोडाइज्ड नमक के उत्पादन, वितरण और क्वालिटी कंट्रोल की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर काम नमक मजदूर आवास योजना के तहत नमक कर्मियों के लिए मकान बनवाना साल्ट सेस, असाइनमेंट फीस और ग्राउंड रेंट को इकट्ठा करना नमक उत्पादन में भारत कहां भारत दुनिया में नमक उत्पादन में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे नंबर पर है. दुनियाभर में नमक का सालाना उत्पादन 2300 लाख टन का है. जब भारत आजाद हुआ तब हम ज्यादा नमक ब्रिटेन और अदन से आयात करते थे ताकि घरेलू जरूरतों को पूरा कर पाएं. लेकिन अब हम ना केवल खुद की जरूरत पूरी कर रहे हैं बल्कि पर्याप्त संख्या विदेशों में निर्यात भी कर रहे हैं. 1947 में नमक उत्पादन 1.9 मिलियन टन था और वर्ष 2011-12 में ये 22.18 मिलियन टन हो चुका था. क्या हैं नमक के स्रोत भारत में नमक हासिल करने के मुख्य स्रोत कई तरह के हैं. – समुद्र का खारा पानी – झीलों का खारा पानी – खारी जमीन – पहाड़ों से निकलने वाला नमक वैसे भारत में समुद्र का खारा पानी ही नमक बनाने का सबसे बड़ा स्रोत है. हालांकि ये समुद्र तटीय इलाकों के मौसम और जमीन की स्थिति पर निर्भर करता है. मुख्य तौर पर नमक उपजाने वाले सेंटर ये हैं समुद्र के खारे पानी से – गुजरात में जामनगर, मीठापुर, झाखर, चैरा, भावनगर, राजुला, गांधीधाम, कांधला, मालिया और लावणपुर. तमिलनाडु में तूतीकोरिन, वेदारानयम, कोवलांग. आंध्र प्रदेश में चिन्नागंजम, इसकापल्ली, कृष्णापट्टम, काकीनाड़ा और नौपाडा. महाराष्ट्र में भांडप, भायंदतर और पालघर. ओडिसा में गंजम और सुमादी. पश्चिम बंगाल में कोंतेई जमीनी नमक का काम राजस्थान में आमतौर पर खारी झीलों के जरिए होता है, जिसमें सांभर लेक, नेवा, राजस, कुच्चाम, सुजानगढ़ और फलोदी हैं. खारी जमीन के नमक उत्पादन का काम कच्छ के रण में होता है. इसमें कारागोंडा, धरंगधारा और संथालपुर शामिल हैं. वहीं पहाड़ियों और पहाड़ी गुफाओं से नमक हिमाचल प्रदेश के मंडी से निकाला जाता है. देश में कितनी नमक निर्माण इकाइयां साल्ट कमिश्नर की आधिकारिक साइट पर दी गई जानकारी के अनुसार देश में नमक निर्माण की 11799 इकाइयां हैं, जो सामान्य नमक का उत्पाद करती हैं. कितने देशों को निर्यात चीन, जापान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, नार्थ कोरिया, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, कतर आदि ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Food, Health, TaxFIRST PUBLISHED : August 02, 2022, 16:03 IST