कौन हैं यूट्यूबर 28 साल के शरणार्थी सूफी गुरु जरीफ नासिक में हत्या शादी भी हुई थी चर्चित
कौन हैं यूट्यूबर 28 साल के शरणार्थी सूफी गुरु जरीफ नासिक में हत्या शादी भी हुई थी चर्चित
नासिक में 28 साल के अफगान सूफी गुरु ख्वाज़ा सैयद जरीफ चिश्ती की हत्या हो गई. नासिक में उन्हें सुनने बड़ी भीड़ जुटती थी. वह बहुत लोकप्रिय थे. यूट्यूब पर लाखों लोग उनके फॉलोअर थे. उन्होंने भारत में दूसरे नामों से कई प्रापर्टी भी खरीदीं. माना जा रहा कि उनकी हत्या प्रापर्टी विवाद में ही हुई.
महाराष्ट्र के नासिक के जंगलों में अफगानिस्तान से 04 साल पहले भारत आए युवा सूफी बाबा ख्वाज़ा सैयद जरीफ चिश्ती का मर्डर उन्हीं के परिचितों ने कर दिया. पुलिस का मानना है कि ये हत्या प्रापर्टी विवाद में की गई. जरीफ बाबा या सूफी बाबा के नाम से लोकप्रिय इन सूफी बाबा की जिंदगी भी कुछ कम रोचक नहीं है. इसमें उनके प्यार और विवाह की बातें शामिल हैं, जिसे वर्ष 2018 में कर्नाटक के अखबारों ने खूब उछाला था लेकिन बाबा और उनके फॉलोअर लगातार इसका खंडन करते रहे.
वर्ष 2017 में एक खूबसूरत व्यक्तित्व वाला युवक शरणार्थी के तौर पर भारत आया. दरअसल वो अफगानिस्तान से सीधे भारत नहीं आया था बल्कि पाकिस्तान और ईरान के रास्ते यहां आया था. वो खुद को चिश्ती सूफी घराने से संबंधित बताता था. वो जब गाता था तो लोग मंत्रमुग्ध हो जाता था. देखने में ऐसा कि हर कोई रीझ जाए. सूफी बाबा के लिबास में वो बहुत मुलायमियत से जब उपदेश देता तो लोग उसे सुनते रह जाते.
हालांकि अगर कर्नाटक के अखबारों और डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट्स की माने तो उसका भारत आने का प्रयोजन मुख्य तौर पर यहां उस अर्जेंटीनी महिला से शादी करने का था, जो उसे सोशल मीडिया पर मिली. दोनों में प्यार हुआ. डेक्कन की रिपोर्ट कहती है कि 22 नवंबर 2017 को दोनों भारत आए और अगले दिन यहां शादी रचा ली. हालांकि इसके कोई दस्तावेज नहीं मिलते.
नासिक में सूफी जरीफ बाबा की हत्या के बाद जो पता चल रहा है, उससे लगता है कि उनके साथ एक महिला और एक और अफगान नागरिक रहता था. महिला खुद को उनकी पत्नी बता रही है लेकिन उसके पास इस तरह के कोई दस्तावेज नहीं हैं.
सूफी जरीफ बाबा की उम्र केवल 28 साल थी लेकिन यूट्यूब पर वह खासे लोकप्रिय थे. उससे कमाई भी करते थे. लेकिन कई मामलों में उनसे जुड़े विवाद भी थे. (Courtesy – twitter handle)
कौन थे सूफी जरीफ़ बाबा
विकीपीडिया और अन्य जानकारियों के अनुसार खुद को चिश्ती सूफी घराने का बताने वाले सैयद जरीफ का पूरा नाम ख्वाजा सैयद जरीफ चिश्ती मोउनुद्दीन था. वह अफगानिस्तान के हेरात में पैदा हुआ. उसके परिवार के ताल्लुक चिश्तियों से बताए गए. जन्म के बाद वह काबुल आ गया. युवा होने पर उसने पारिवारिक बिजनेस करना शुरू किया. हालांकि ये बिजनेस क्या था, ये नहीं मालूम. इस बिजनेस में उनके ताल्लुकात खाड़ी देशों और ब्रिटेन तक थे.
बिजनेसमैन से सूफी बाबा कैसे बने
बिजनेस के दौरान उसका रुझान आध्यात्मिक बातों की ओर होने लगा. खुद उन्होंने सोशल मीडिया जो लिखा और यूट्यूब पर जो कहा, उसके अनुसार एक दिन उन्हें लगा कि वह आध्यात्मिक दुनिया के लिए ही बने हैं. बस उन्होंने उसी दिन बिजनेस को किनारे कर दिया और सूफीज्म में लीन हो गए. लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान से उन्हें खतरा महसूस होने लगा, लिहाजा वो वहां से पाकिस्तान चले गए. कुछ समय बाद वहां से ईरान की शरण ली. इसके बाद भारत आ गए.
भारत आने के बाद सूफी जरीफ बाबा ने क्या किया
भारत में वह वर्ष 2017 में आए. उनके पास अफगानिस्तान का पासपोर्ट था. भारत सरकार ने उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया. फिर जब उनका शरणार्थी दर्जा खत्म हो गया तो सरकार ने इसे दो साल के लिए बढ़ा दिया.
सूफी जरीफ बाबा को चिश्ती बाबा भी कहा जाता था. वह अफगानिस्तान के हेरात में पैदा हुए और फिर तालिबान के भय से वहां से भाग निकले. वहां उनको डर था कि तालिबान फांसी पर लटका देंगे. (Courtesy – twitter handle)
जरीफ बाबा पहले तो राजस्थान के अजमेर गए. वहां कुछ दिन रहने के बाद कर्नाटक विजयापुरा का रुख किया. फिर कर्नाटक में एक छोटा सा मकान लेकर वहां लोगों को जोड़ने लगे. कलबुर्गी में जब उन्हें लेकर एक विवाद शुरू हुआ तो वह अपना सबकुछ समेटकर महाराष्ट्र के नासिक आ गए. नासिक में वह काफी लोकप्रिय हो गए. लोग उन्हें जानने लगे. काफी भीड़ उनके इर्द गिर्द इकट्ठी होने लगी. बडे़ पैमाने पर यहां उनके फॉलोवर बनने लगे. वैसे बाहर से भी लोग उनके पास काफी आते थे.
भारत में प्रापर्टी खरीदने से कनेक्शन
कहा जाता है कि भारत में सूफी बाबा ने अब तक 3.5 करोड़ की प्रापर्टी इतने समय में बना ली थी. इतनी जल्दी इतनी प्रापर्टी खरीद लेना भी हैरानी की ही बात है. चूंकि वह शरणार्थी थे लिहाजा भारत में अपने नाम से प्रापर्टी नहीं खरीद सकते थे, वो तमाम प्रापर्टी अपने करीबी लोगों के नाम से खरीदते थे. उन्हें भरोसा था कि एक दिन भारत सरकार उन्हें नागरिकता दे देगी और ये तब वह अपने नाम करा लेंगे. लेकिन नासिक में उनकी हत्या भी शायद एक प्रापर्टी को लेकर ही हुई और उनके करीबियों ने पिस्तौल से गोली चलाकर उन्हें मार दिया.
बाबा सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय थे
सूफी बाबा आमतौर पर जरीफ बाबा के नाम से ज्यादा लोकप्रिय थे. उन्होंने वर्ष 2017 में ही अपना एक यूट्यूब चैनल बनाया था, जो खूब चलता है, इससे उन्हें कमाई भी होती थी. हालांकि उन्हें दान से भी खूब पैसा मिलता था. दान देश-विदेश दोनों जगहों से आता था.
यूट्यूब पर उनके 2.27 लाख फॉलोअर थे. उनके वीडियो के 06 करोड़ से ज्यादा व्यू थे. ट्विटर पर भी उनका अकाउंट था. उस पर वह लगातार सक्रिय दिखते थे. इंस्टाग्राम और फेसबुक से भी वो जुडे़ थे. यहां भी उनके वीडियो लगातार अपलोड होते थे. ये वीडियो उपदेश वाले होते थे.
शादी को लेकर विवाद
डेक्कन हेराल्ड अखबार में 13अप्रैल 2018 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई. जिसमें बताया गया कि 05 महीने बाद ही उनका प्यार विवादास्पद स्थितियों में खत्म हो गया. रिपोर्ट में कहा गया कि जिस समय बाबा भारत से बाहर थे, तब सोशल मीडिया पर उन्हें एक अर्जेंटीनी युवती डेनियला मिली. वह सूफीज्म में दिलचस्पी रखती थी. दोनों में प्यार हो गया. उन्होंने फिर भारत आकर मिलने और शादी करने का फैसला किया.
नवंबर 2017 वो भारत आए. यहीं शादी की. जब बाबा जरीफ कर्नाटक के कलबुर्गी में छोटा मकान लेकर रहने लगे थे और वहां उनके आसपास प्रशंसक जुड़ने लगे थे. तब तक डेनियला पत्नी के तौर पर उनके साथ ही रहती थी. इसी दौरान दोनों का मनमुटाव होने लगा. बात इतनी बिगड़ी कि डेनियला ने इस प्रकरण में अर्जेंटीनी दूतावास को सूचित किया.
फिर मामला गंभीर होने पर दूतावास के लोगों ने उसे वहां से निकाला और वह वापस अर्जेंटीना लौट गई. ना तो उसने बाबा के खिलाफ कोई मामला स्थानीय पुलिस में दर्ज किया और ना ही बाबा ने कुछ किया. बल्कि इस विवाद के बाद कलबुर्गी में वह विवादास्पद होने लगे थे तो उन्होंने महाराष्ट्र के नासिक का रुख किया.
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Tags: Afghan Refugees, SpiritualityFIRST PUBLISHED : July 07, 2022, 14:05 IST