सेना का वो पीर पंजाल पंच जिसकी जम्मू में आतंक की कमर तोड़ने के लिए जरूरत

What is Pir Panjal Punch: साल 2003 में भारतीय सुरक्षा बलों ने सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन सर्प विनाश शुरू किया था. इस अभियान में करीब 100 आतंकवादी मारे गए. बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के हथियार, विस्फोटकों के ढेर, करीब 7,000 किलोग्राम राशन, दवाइयां और संचार उपकरण सहित काफी सामान बरामद किया गया था.

सेना का वो पीर पंजाल पंच जिसकी जम्मू में आतंक की कमर तोड़ने के लिए जरूरत
What is Pir Panjal Punch: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक बार फिर सिर उठा रहा है. उसे तत्काल न कुचला गया तो देश का मुकुट माना जाने वाला यह केंद्र शासित प्रदेश एक बार उसी कुचक्र में फंस सकता है, जिसमें वो सालों साल उलझा रहा है. 15 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक अधिकारी और चार जवान शहीद हो गए. नौ जून को केंद्र में नई सरकार के शपथ लेने के बाद से जम्मू-कश्मीर में चार आतंकी हमले हो चुके हैं और सभी में सुरक्षाबलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हमले में 9 लोगों की मौत हो गई थी और 41 अन्य घायल हो गए थे. खास बात यह है कि ये सभी हमले जम्मू रीजन में हुए हैं, जो कश्मीर में आतंकवादियों के काम करने के तरीके में बदलाव को बताता है.   दो दशक पहले हुआ था एक ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी और घुसपैठ विरोधी अभियानों के हालिया इतिहास से पता चलता है कि पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, आतंकवादी संगठनों के अभियान उत्तरी कश्मीर में  दबाव में आते हैं तो लगातार पीर पंजाल के दक्षिण में ‘सॉफ्ट स्पॉट’ की तलाश में रहते हैं. इसको रोकने के लिए सेना ने अपनी कमर कस ली है. जम्मू रेंज में अतिरिक्त सैनिकों की कम से कम तीन ब्रिगेडों को तैनात किया जा रहा है. यह दो दशक पहले सेना द्वारा इन्हीं जंगलों में किए गए एक ऑपरेशन की याद दिलाता है. साल 2003 में भारतीय सेना ने सीमा पार से घुसपैठ कर आए आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन सर्पविनाश शुरू किया था. तब आतंकवादियों ने पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में घने जंगलों में, विशेष रूप से पुंछ के हिलकाका क्षेत्र में अपने शिविर स्थापित कर लिए थे. ये भी पढ़ें- Explainer: जम्मू में अचानक बढ़ गया आतंकवाद? क्या है आतंकी समूहों की रणनीति में बदलाव की वजह  जानें जम्मू में हमले बढ़ने का कारण? इस बार भी आतंकवादियों ने गुफाओं के अंदर कई ठिकाने बना लिए हैं. उन्होंने प्रवासी बक्करवालों के ढोक (मनुष्यों और मवेशियों के लिए आश्रय) में बंकर बनाए और एक संचार नेटवर्क स्थापित किया. मेंढर के दक्षिण में हिलकाका के जरिये पीर पंजाल रेंज तक जाने वाले क्षेत्र नियंत्रण रेखा के पार से कश्मीर घाटी में घुसपैठियों के लिए पहुंच के सबसे छोटे रास्तों में से एक है. आतंकवादियों ने शिविर स्थापित करने के लिए इस क्षेत्र को जानबूझकर चुना है. इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करने से संभवतः पाकिस्तान द्वारा सैन्य अभियान की स्थिति में उनको एक रास्ता मिल सकता है और आतंकवादियों की घुसपैठ आसान हो सकती है. घने जंगल और खड़ी पहाड़ी ढलानें क्षेत्र को उनके लिए मुफीद बनाती हैं. जब भी भारतीय सैनिक क्षेत्र में तलाशी लेते थे, आतंकवादी वहां छिपने में सफल रहते थे और मुठभेड़ की स्थिति में भारी पड़ते थे. नतीजे में सुरक्षाकर्मियों को जान गंवानी पड़ती थी. क्या था ऑपरेशन सर्प विनाश? डोडा क्षेत्र में मुठभेड़ों की वर्तमान स्थिति 2003 की याद दिलाती है जब जनरल एनसी विज सेना प्रमुख थे और लेफ्टिनेंट जनरल रुस्तम नानावती के नेतृत्व में उत्तरी कमान ने आतंकवाद प्रभावित पहाड़ी इलाकों को खाली करने के लिए जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में ऑपरेशन सर्प विनाश शुरू किया था. जिसमें आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए पीर पंजाल रेंज के दोनों किनारों पर सेना तैनात की गई थी. सेना ने अप्रैल 2003 से जम्मू -कश्मीर में अपना अब तक का सबसे बड़ा आतंकवाद-रोधी अभियान चलाया था. पीर पंजाल रेंज की वजह से इसे सेना का पीर पंजाल पंच भी कहते हैं. ये भी पढ़ें- Olympic Special: भारत में ओलंपिक मेडल जीतने वालों को मिलता है कितना पैसा, कौन सा देश देता है सबसे ज्यादा 10,000 सैनिक हुए थे शामिल लगभग तीन महीने तक चला यह अभियान ऊंचे जंगलों वाले पहाड़ों में, तीन प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे लगभग 150 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चलाया गया था. 15वीं कोर और 16वीं कोर के लगभग 10,000 सैनिक इस अभियान में शामिल थे. एमआई-17 हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा कब्जे में लिए गए बकरवाल गांव हिलकाका में सैनिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए किया गया था. घुसपैठियों द्वारा बनाए गए कंक्रीट बंकरों को नष्ट करने के लिए भी हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया था.  क्या रहा था ऑपरेशन का परिणाम इस अभियान में करीब 100 आतंकवादी मारे गए. बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के हथियार, विस्फोटकों के ढेर, करीब 7,000 किलोग्राम राशन, दवाइयां और संचार उपकरण सहित काफी सामान बरामद किया गया था. अभियान में करीब 40-50 आतंकवादी ठिकाने नष्ट कर दिए गए. इस अभियान ने आतंकवादियों को पूरी तरह से खदेड़ दिया. इलाके में पूरी तरह शांति स्थापित हो गई, जो साल 2017-18 तक चली. हालांकि जम्मू के बाहरी इलाकों को छोड़कर घाटी में आतंकवादी घटनाएं होती रहींं, लेकिन 2021 के बाद से इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर बड़े हमले फिर शुरू हो गए. ये भी पढ़ें- क्या है इंडिया का वो K9 स्क्वाड, जिसे खासतौर पर पेरिस ओलंपिक में सुरक्षा के लिए बुलाया गया क्यों चलाया गया ऑपरेशन सर्प विनाश साल 2003 में जब ऑपरेशन सर्प विनाश किया गया तो उस समय कारगिल युद्ध (साल 1999) स्मृतियां ताजा थीं. फिर 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन पराक्रम चलाया था, जो पाकिस्तान के साथ सीमा पर एक विशाल लामबंदी अभ्यास था जो काफी समय तक चला. साल 2003 की शुरुआत में जब ऑपरेशन सर्प विनाश शुरू हुआ तब इनपुट से पता चला था कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार घुसपैठ करने वाले 300 से अधिक विदेशी आतंकवादियों ने सुरनकोट और हिलकाका के इलाकों में शिविर बना लिए हैं. पाकिस्तान स्थित कई संगठनों से संबंधित इन आतंकवादियों क्षेत्र में अपना दबदबा बना लिया था और हावी हो रहे थे. क्या है पीर पंजाल रेंज पीर पंजाल पर्वतमाला (Pir Panjal Range) हिमालय की एक रेंज है जो भारत के हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर तक जाती है. पीर पंजाल निचले हिमालय की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला भी है. यह काफी ऊंचाई तक जाती है. Tags: Indian army, Jammu and kashmir encounter, Jammu kashmir, Jammu Kashmir TerroristFIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 13:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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