हाइलाइट्स राम के पास विशाल वानर सेना थी इसी सेना ने उन्हें रावण के खिलाफ जीत दिलाई इस युद्ध के बाद फिर वानर सेना का कभी जिक्र क्यों नहीं आता क्या आपने कभी सोचा कि श्रीलंका में रावण के खिलाफ युद्ध जीतने के बाद भगवान राम की विशाल वानर सेना कहां चली गई. फिर उसने कोई लड़ाई क्यों नहीं लड़ी. ये सेना कहां गायब हो गई. (generated by leonardo ai) राम के पास एक ऐसी सेना थी, जिसने इससे पहले शायद ऐसा कोई युद्ध लड़ा था. युद्ध में वो पारंगत भी नहीं थी. दरअसल राम की ये सेना आनन-फानन में ही बनी थी. ये वानर सैनिकों वाली सेना थी. रावण ने पहले इस सेना की हंसी उड़ाई. फिर राम की वानर सेना से दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए. ये युद्ध जीता. लेकिन इस शानदार विजय के बाद वानर सेना का क्या हुआ, ये किसी को नहीं मालूम. (generated by leonardo ai) भगवान राम जब युद्ध करने के लिए लंका पहुंचे. उन्होंने रावण की मजबूत सेना के खिलाफ युद्ध शुरू किया तो उनकी सेना में केवल वानर थे. इस सेना को राम और लक्ष्मण ने मोटे तौर पर दीक्षित किया. युद्ध में जीत के बाद ये लंबी चौड़ी सेना कहां चली गई. उसका कोई जिक्र क्यों नहीं मिलता. (generated by leonardo ai) वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम-रावण युद्ध में वानर सेना की महत्वपूर्ण भूमिका थी.सवाल यह है कि जब श्रीराम ने युद्ध जीत लिया. वह इसके बाद अयोध्या आ गए तो वानर सेना का क्या हुआ. इस वानर सेना का नेतृत्व करने वाले उस समय के महान योद्धा सुग्रीव और अंगद का क्या हुआ.(generated by leonardo ai) रामायण के उत्तर कांड में उल्लेख है कि जब लंका से सुग्रीव लौटे तो उन्हें भगवान श्रीराम ने किष्किन्धा का राजा बनाया. बालि के पुत्र अंगद को युवराज. इन दोनों ने मिलकर वहां कई सालों तक राज किया. श्रीराम-रावण युद्ध में योगदान देने वाली वानर सेना सुग्रीव के साथ ही वर्षों तक रही. लेकिन इसके बाद उसने शायद की कोई बड़ी लड़ाई लड़ी. (generated by leonardo ai) हालांकि इस वानर सेना में अहम पदों पर रहे सभी लोग किष्किंधा में अहम जिम्मेदारियों में जरूर रहे. वानर सेना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नल-नील कई वर्षों तक सुग्रीव के राज्य में मंत्री पद पर सुशोभित रहे तो युवराज अंगद और सुग्रीव ने मिलकर किष्किन्धा के राज्य को ओर बढ़ाया. गौरतलब है कि किष्किंधा आज भी है. किष्किंधा कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे है. ये बेल्लारी जिले में आता है जबकि विश्व प्रसिद्ध हम्पी के बिल्कुल बगल में है. इसके आसपास प्राकृतिक खूबसूरती बिखरी हुई है. किष्किंधा के आसपास आज भी ऐसे कई गुफाएं हैं और जगह हैं, जहां राम और लक्ष्मण रुके थे. वहीं किष्किंधा में वो गुफाएं भी हैं जहां वानर साम्राज्य था. इन गुफाओं में अंदर रहने की खूब जगह है. (photo by sanjay srivastava) किष्किंधा के ही आसपास काफी बड़े इलाके में घना वन फैला हुआ है, जिसे दंडक वन या दंडकारण्य वन कहा जाता है. यहां रहने वाली ट्राइब्स को वानर कहा जाता था, जिसका अर्थ होता है वन में रहने वाले लोग. रामायण में किष्किंधा के पास जिस ऋष्यमूक पर्वत की बात कही गई है वह आज भी उसी नाम से तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है.यहीं पर हनुमानजी के गुरु मतंग ऋषि का आश्रम था. जब ये पक्का हो गया कि सीता को रावण ने कैद करके लंका में रखा हुआ है तो आनन फानन में श्रीराम ने हनुमान और सुग्रीव की मदद से वानर सेना का गठन किया. लंका की ओर चल पड़े. तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा है, जो लगभग 1,000 किमी तक विस्तारित है. (generated by leonardo ai) कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्क स्ट्रेट से घिरा हुआ है. यहां श्रीराम की सेना ने पड़ाव डाला.श्रीराम ने अपनी सेना को कोडीकरई में इकट्ठा करके सलाह मंत्रणा की. (generated by leonardo ai) इसी वानर सेना ने फिर रामेश्वर की ओर कूच किया, क्योंकि पिछली जगह से समुद्र पार होना मुश्किल था. श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो. इसके बाद विश्वकर्मा के पुत्र नल और नील की मदद से वानरों ने पुल बनाना शुरू कर दिया. (news18) वानर सेना में वानरों के अलग अलग झुंड थे. हर झुंड का एक सेनापति था. जिसे यूथपति कहा जाता था। यूथ अर्थात झुंड. लंका पर चढ़ाई के लिए सुग्रीव ने ही वानर तथा ऋक्ष सेना का प्रबन्ध किया. बताया जाता है कि ये वानर सेना जुटाई गई थी. ये संख्या में करीब एक लाख के आसपास थी. (generated by leonardo ai) ये सेना राम के कुशल प्रबंधन और संगठन का परिणाम थी. विशाल वानर सेना छोटे -छोटे राज्यों की छोटी-छोटी सेनाओं व संगठनों जैसे किष्किंधा ,कोल ,भील ,रीछ और वनों में रहने वाले रहवासियों आदि का संयुक्त रूप थी. (generated by leonardo ai) माना जाता है कि लंका विजय के बाद ये विशाल वानर सेना फिर अपने अपने राज्यों के अधीन हो गई. क्योंकि अयोध्या की राजसभा में राम ने राज्याभिषेक के बाद लंका और किष्किंधा आदि राज्यों को अयोध्या के अधीन करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. ये वानर सेना राम के राज्याभिषेक में अयोध्या भी आई. फिर वापस लौट गई. (generated by leonardo ai)
Tags: Lord Hanuman, Lord Ram, Lord rama, Ramayan, Ravana Dahan, Sri lankaFIRST PUBLISHED : June 9, 2024, 08:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed