देश के कितने रजवाड़ों में संपत्ति के लिए चल रहीं तलवारें आपस में लड़ रहे भाई

Property Dispute Among Royal Families: राजपरिवारों में संपत्ति और उत्तराधिकार को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. भारत के कई राजघरानों में इस तरह के विवाद लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं. जानिए कितने राजपरिवार इस तरह के विवादों में फंसे हुए हैं.

देश के कितने रजवाड़ों में संपत्ति के लिए चल रहीं तलवारें आपस में लड़ रहे भाई
Property Dispute Among Royal Families: राजस्थान के कई राजपरिवारों में प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहे हैं. कुछ परिवारों के सदस्य तो कोर्ट पहुंचे हुए हैं. उदयपुर यानी मेवाड़ के राजपरिवार के सदस्यों के बीच भी यही विवाद है. मेवाड़ राजपरिवार की पहचान महाराणा प्रताप के वंशज होने के नाते है. विश्वराज सिंह और उनके चाचा अरविंद सिंह के बीच सिटी पैलेस सहित अन्य संपत्तियों के मालिकाना हक को लेकर विवाद करीब चार दशकों से चला आ रहा है. मामला कोर्ट में है. इसी वजह से विश्वराज की राजतिलक की रस्म के बाद धूणी दर्शन को लेकर तीन दिन तक तनातनी की स्थिति बनी रही. लेकिन यह विवाद बुधवार शाम को समाप्त हो गया. मामला निपटने के बाद विश्वराज सिंह ने सिटी पैलेस में जाकर धूणी के दर्शन किए. इस तरह राजतिलक की रस्म के बाद अब सभी परंपराएं और रीति रिवाज पूरे कर लिए गए हैं. विश्वराज सिंह ने 40 साल बाद धूणी के दर्शन किए हैं.  दुनिया ने देखी हिंसक झड़प सोमवार को मेवाड़ के पूर्व महाराजा महेंद्र सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र विश्वराज सिंह को उत्तराधिकारी घोषित किया गया था. इस दौरान राजपरिवार में होने वाली सभी रस्मों रिवाजों का पालन किया गया. राजतिलक की रस्म के बाद जब विश्वराज सिंह अपने हजारों समर्थकों के साथ सिटी पैलेस के लिए निकले तो उनके चाचा अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने सिटी पैलेस में प्रवेश करने से रोक दिया. इस बात पर दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई. राज्य सरकार की सलाह पर पुलिस-प्रशासन ने दोनों पक्षों के बीच सुलह के प्रयास किए. बुधवार को बात बन गई.  दोनों पक्ष ट्रस्ट से अनुमति लेकर दर्शन को राजी हो गए. इस घटना से मेवाड़ राजपरिवार की साख मिट्टी में मिल गई.  ये भी पढ़ें- वो परिवार जिसके सबसे ज्यादा लोग संसद में पहुंचे, प्रियंका गांधी बनीं 16वीं सदस्य  भारत के कई राजघरानों में संपत्ति और उत्तराधिकार को लेकर विवाद लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं. ये विवाद अक्सर संपत्ति के बंटवारे, प्राचीन संपत्तियों की देखभाल, और वंशजों के अधिकारों को लेकर होते रहे हैं. यहां कुछ प्रमुख राजघरानों का विवरण दिया गया है जहां संपत्ति को लेकर विवाद सामने आए हैं… मेवाड़ के राजपरिवार में क्या था विवाद मेवाड़ के महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजपरिवार की कई संपत्तियों को लीज पर दे दिया, तो कुछ संपत्तियों अपनी हिस्सेदारी बेच दी. इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती संपत्तियां शामिल थीं. ये सभी संपत्तियां राजपरिवार द्वारा स्थापित एक कंपनी को स्थानांतरित हो गई थीं. यहीं से शुरू हुआ विवाद. अपने पिता भगवत सिंह के इस काम से खफा होकर  महेंद्र सिंह उनके खिलाफ कोर्ट केस दायर कर दिया. महेंद्र सिंह ने दावा किया कि परिवार का बड़ा बेटा ही पूरी संपत्ति का हकदार होता है. भगवत सिंह ने कोर्ट में कहा कि हर संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकता. साल 1984 में अपने निधन से पहले भगवत सिंह अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह को सभी संपत्तियों का वारिस घोषित कर दिया. जबकि महेंद्र सिंह को अपनी तमाम संपत्तियों और महाराणा मेवाड़ ट्रस्ट से बेदखल कर दिया. तभी से भगवत सिंह के बड़े बेटे महेंद्र सिंह और छोटे बेटे अरविंद सिंह के परिवारों के बीच संपत्ति की ये जंग चली आ रही है. ये भी पढ़ें- अगर परमाणु युद्ध हुआ तो इन जगहों के लोगों का नहीं होगा बाल भी बांका, जानें क्या होगा भारत का जयपुर राजपरिवार में वारिसों पर विवाद जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह ने तीन शादियां की थीं. पहली शादी मारूधर कुंवर से, दूसरी किशोर कुंवर से और तीसरी गायत्री देवी से. विवाद किशोर कुंवर और गायत्री देवी के वारिसों के बीच था. ये विवाद महारानी किशोर कुंवर के बेटे जय सिंह, उनके पोते विजित सिंह और गायत्री देवी के पोते राजकुमार देवराज, राजकुमारी लालित्य कुमारी के बीच में था. राजकुमार देवराज और राजकुमारी लालित्य के पिता दिवंगत जगत सिंह के पास जय महल पैलेस होटल की 99 फीसदी हिस्सेदारी थी. वहीं विजित सिंह के पिता और जय सिंह के भाई दिवंगत पृथ्वीराज सिंह के पास एक फीसदी हिस्सेदारी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुलझाया मामला जगत सिंह ने थाइलैंड की राजकुमारी प्रियनंदना से शादी की थी. उनसे देवराज सिंह और लालित्य कुमारी का जन्म हुआ. दोनों लंदन में ही पले-बढ़े. हालांकि, कुछ सालों बाद ही जगत सिंह और प्रियनंदना के बीच तलाक हो गया और वो अपने दोनों बच्चों के साथ बैंकॉक में रहने लगीं. 1997 में लंदन में जगत सिंह का निधन हो गया. इसके बाद पृथ्वीराज ने देवराज और लालित्य को अपने पिता की संपत्ति से बेदखल कर दिया और जय महल पैलेस होटल की पूरी हिस्सेदारी अपने नाम कर ली. बाद में ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट भी गया. उसके बाद नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल और बाद में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के जरिए इस पूरे विवाद को सुलझाया. समझौते के तहत देवराज और लालित्य को अपने सौतेले चाचाओं से जय महल पैलेस होटल वापस मिल गया. लालित्य और देवराज भी अन्य संपतियों में अपना हिस्सा छोड़ेंगे.  ये भी पढ़ें- भारत की इकलौती ट्रेन जिसमें नहीं लगता टिकट, लोग फ्री में करते हैं ट्रैवल, टीटी भी नहीं होता केरल का त्रावणकोर राजघराना श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्ति और अधिकार को लेकर त्रावणकोर राजघराने और राज्य सरकार के बीच विवाद हुआ. यह मामला 2011 में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. मंदिर की संपत्ति में बड़ी मात्रा में सोना, चांदी, और रत्न होने का दावा किया गया, जिसकी देखभाल के अधिकार को लेकर राजपरिवार और राज्य सरकार के बीच खींचतान रही. इसका फैसला 2020 में आया. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केमंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर राजघराने को है. न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने अपने 218 पेज के फैसले में कहा कि त्रावणकोर राजपरिवार के पूर्व शासक की मृत्यु हो जाने से राजघराने के अंतिम शासक के भाई मार्तंड वर्मा और उनके कानून वारिसों के सेवायत के अधिकार (पुजारी के रूप में देवता की सेवा करने और मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. ग्वालियर का सिंधिया राजपरिवार ग्वालियर राजघराने के भीतर संपत्ति और राजनीतिक नियंत्रण को लेकर काफी मतभेद हुए. ज्योतिरादित्य सिंधिया और परिवार के अन्य सदस्यों के बीच महलों और जमीनों के स्वामित्व को लेकर विवाद रहा. इस विवाद ने कई बार कानूनी रूप लिया और मीडिया में सुर्खियां बटोरीं. ग्वालियर राजघराने के पास कितनी संपत्ति है, इसका वास्तविक आकलन करना मुश्किल है. अधिकांश संपत्तियों पर विवाद है और मामला कोर्ट में होने के चलते कोई खुलकर कुछ भी नहीं बताना चाहता. यह विवाद करीब चार दशक से जारी है. लेकिन माना जा रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद यह सुलझ सकता है. एक किताब में खुलासा किया गया है कि संपत्ति विवाद के सुलझने में सबसे बड़ी रुकावट ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधराराजे सिंधिया हैं. ये भी पढ़ें- कहां से आया सरकार शब्द, कैसे गवर्नमेंट के लिए बोला जाने लगा, किन देशों में प्रचलित हैदराबाद का निजाम परिवार निजाम की भारत और पाकिस्तान में विस्तारित संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच बड़ा विवाद हुआ.  लंदन में जमा निजाम की संपत्ति (करीब 35 मिलियन पाउंड) को लेकर भारत, पाकिस्तान और निजाम परिवार के बीच कानूनी लड़ाई चली, जिसे हाल ही में सुलझाया गया. निजाम परिवार में संपत्ति का झगड़ा हैदराबाद के आखिरी निजाम मोहम्मद मुकर्रम जाह के इंतकाल के बाद से चल रहा है. मुकर्रम जाह के बड़े बेटे हैं अस्मत जाह. वह इस समय लंदन में रहते हैं. अस्मत जाह के समर्थकों का कहना है कि मुकर्रम जाह के बाद अस्मत जाह ही इसे आगे लेकर जा सकते हैं इसलिए उन्हें ही निजाम परिवार का मुखिया बनाना चाहिए.  चार पैलेस और औकॉफ ट्रस्ट है झगड़े की वजह संपत्ति के अधिकार के अलावा मुकर्रम जाह को मिले जो भी कीमती सामान चाहे वो गिफ्ट ही क्यों न हो उसे अस्मत जाह को दे देना चाहिए. एक जानकारी के अनुसार, अस्मत जाह के पास हैदराबाद में 50 एकड़ में फैले चार पैलेस का नियंत्रण है. इसमें चौमोहल्ला पैलेस, फलकनुमा पैलेस, नारजी बाग और पुरानी हवेली शामिल है. इन पैलेस में कला और कलाकृतियों का ऐसा अनूठा नजारा है जो देखते ही बनता है. इसके अलावा निजाम परिवार के पास एक्सक्लूसिव वक्फ प्रॉपर्टी भी है जिसका नाम अकौफ ट्रस्ट है जो कई हजारों करोड़ की बताई जाती है. वहीं इन्हीं संपत्तियों पर अब छठे और सातवें निजाम के परिवार वालों ने बराबर के हक की मांग की है. ये भी पढ़ें- क्या इमरान की बुर्के वाली बीवी बुशरा पॉवरफुल नेता बनकर उभर रही हैं, जिन्होंने ला दिया पाकिस्तान में तूफान राजस्थान का बीकानेर राजघराना अब बीकानेर राजघराने में प्रॉपर्टी को लेकर विवाद सामने आया है. यह मामला बुआ और भतीजी के बीच है. बीकानेर राजपरिवार की राज्यश्री कुमारी और उनकी बहन मधुलिका कुमारी ने राजघराने के ट्रस्टों से जुड़े हनुवंत सिंह, गोविंद सिंह, राजेश पुरोहित और पुखराज के खिलाफ चार ट्रस्टों की संपत्तियां खुद-बुर्द करने का आरोप लगाते हुए थाने में मामला दर्ज कराया है. इन चारों ट्रस्टों की चेयरपर्सन राजपरिवार की सदस्य सिद्धि कुमारी हैं, जो राज्यश्री कुमारी और मधुलिका कुमारी की भतीजी हैं. सिद्धि कुमारी अभी बीकानेर पूर्व से बीजेपी की विधायक हैं. महाराजा गंगासिंह ट्रस्ट, करणी चैरिटेबल फंड्स ट्रस्ट, करणीसिंह फाउंडेशन ट्रस्ट और महारानी सुशीला कुमारी रिलीजियस एंड चैरिटेबल ट्रस्ट बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा डॉ. कर्णी सिंह ने जनकल्याण के विभिन्न कार्यों को करने के लिए स्थापित किए थे. चार ट्रस्ट हैं फसाद की जड़ चारों ट्रस्ट देवस्थान विभाग बीकानेर में पंजीबद्ध हैं. राजस्थान पब्लिक ट्रस्ट के प्रावधानों के तहत नए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का उक्त ट्रस्टों के रिकॉर्ड में संशोधित नाम दर्ज करवाने की कार्रवाई इनकी वर्तमान चेयरपर्सन सिद्धिकुमारी की ओर से की जा चुकी है. उनकी ओर से ट्रस्ट में किए गए संशोधनों को सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग बीकानेर ने स्वीकार कर लिया था. चारों ट्रस्टों के रिकॉर्ड में पुराने ट्रस्टीगण का नाम हटा कर नए ट्रस्टीगण के नाम संशोधित किए गए थे. चारों ट्रस्टों की अब चेयरपर्सन सिद्धि कुमारी हैं. उन्होंने मई 2024 में लालगढ़ पैलेस परिसर स्थित चारों ट्रस्टों का चार्ज ले लिया था. केस दर्ज होने के बाद राज्यश्री कुमारी ने इस मामले को निराधार बताया है. उनका कहना है कि पारिवारिक संपत्ति का पहले से ही कोर्ट में केस चल रहा है. ये भी पढ़ें- बांग्लादेश में इस्कॉन को क्यों किया जा रहा टारगेट, वहां इसके कितने मंदिर और संपत्तियां पंजाब का पटियाला राजघराना पटियाला राजघराने की संपत्ति, जिसमें मोती बाग पैलेस और अन्य ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं, के बंटवारे को लेकर विवाद रहा. परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति के प्रबंधन और उसके व्यावसायिक उपयोग को लेकर झगड़े हुए हैं.  मैसूर का वाडियार राजघराना मैसूर राजपरिवार और राज्य में एक के बाद एक आने वाली सरकारें कई जमीन विवादों में उलझी हुई हैं. विवाद का मुख्य कारण बैंगलोर पैलेस, मैसूर की संपत्ति और बैंगलोर पैलेस ग्राउंड का स्वामित्व है. हालांकि 1970 के दशक से ही सरकारों द्वारा संपत्ति पर कब्ज़ा करने के प्रयास किए जा रहे हैं. 1996 में सीएम एचडी देवेगौड़ा और डिप्टी सीएम सिद्धारमैया के नेतृत्व में तत्कालीन कर्नाटक सरकार ने बैंगलोर पैलेस (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1996 और बाद में मैसूर पैलेस (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1998 को लागू किया.  शाही परिवार और सरकार में ठनी शाही परिवार ने सरकार को अदालत में घसीटा. हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अधिग्रहण को बरकरार रखा, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यथास्थिति बनाए रखने को कहा. शाही परिवार ने बार-बार सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. मैसूर के बाहरी इलाके कुरुबराहल्ली में करोड़ों रुपये की पांच संपत्तियों को लेकर सरकार और शाही परिवार के बीच विवाद भी चल रहा है. यह दावा किया गया है कि जिला प्रशासन के साथ मिलीभगत करके निजी पार्टियों ने चामुंडी पहाड़ियों में शाही परिवार के स्वामित्व वाली सैकड़ों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर लिया.  Tags: British Royal family, Jaipur news, Property dispute, Udaipur newsFIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 17:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed